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भारत में अफगानिस्तान का दूतावास स्थायी तौर पर बंद हुआ

अफगानिस्तान ने 23 नवंबर 2023 से नई दिल्ली स्थित अपने दूतावास को स्थायी तौर पर बंद कर दिया। नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास का परिचालन 30 सितंबर 2023 से बंद था। अफगानिस्तान सरकार का कहना है कि उन्हें भारत सरकार से सहयोग नहीं मिल सका, जिसके बाद दूतावास बंद करने का फैसला किया गया।

मुख्य बिन्दु

  • अफगानिस्तान ने कहा है कि विएना कन्वेंशन 1961 के मुताबिक भारत सरकार से मांग की गई है कि अफगानिस्तान के दूतावास की संपत्ति, बैंक अकाउंट, वाहनों और अन्य संपत्तियों की कस्टडी उन्हें दी जाए। अफगानिस्तान ने मिशन के बैंक खातों में रखे करीब पांच लाख डॉलर की रकम पर भी दावा किया है।
  • अफगानिस्तान ने जारी बयान में कहा है कि बीते दो साल तीन महीने में भारत में अफगानी लोगों की संख्या में काफी कमी आई है और अगस्त 2021 की तुलना में यह आंकड़ा आधा रह गया है. इस दौरान बेहद कम संख्या में नए वीजा जारी किए गए हैं।
  • भारत में अफगानिस्तान के इंचार्ज एंबेसडर फरीद मामुंदजई थे लेकिन उनकी नियुक्ति अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी से पहले हुई थी।
  • मामुंदजई ने आरोप लगाया कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद उन्हें कोई समर्थन या कूटनीतिक मदद नहीं दी गई। इसके चलते वह अपना काम नहीं कर पा रहे थे।
  • वहीं आरोप लगा कि मामुंदजई भारत सरकार और तालिबान सरकार के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे थे। आखिरकार बीती 30 सितंबर को अफगानिस्तान दूतावास का भारत में परिचालन बंद हो गया.

अमरीका और तालिबान के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर, भारत पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित

अफगानिस्तान में शांति के लिए अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते पर कतर की राजधानी दोहा में हस्‍ताक्षर किए गये. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किया. दोनों पक्षों के बीच 18 महीनों की वार्ता के बाद यह समझौता हुआ.

भारत पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित

भारत को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में पर्यवेक्षक के रूप में आम‍ंत्रित किया गया था. कतर में भारत के राजदूत पी कुमारन इस ऐतिहासिक समारोह में उपस्थित थे. भारत, अफगानिस्‍तान में शांति और सुलह प्रक्रिया में महत्‍वपूर्ण भागीदार रहा है. यह पहला मौका था जब भारत तालिबान से जुड़े किसी मामले में आधिकारिक तौर पर शामिल हुआ.

क्या है समझौता?

इस समझौते से अफगानिस्‍तान से हजारों अमरीकी सैनिकों की चरणबद्ध वापसी होगी. अफगानिस्तान में अमेरिका के करीब 13 हजार सैनिक हैं. विदेशी सैनिकों की वापसी के लिए 14 महीने की समय सीमा तय की गई है. अमेरिका अपने बलोंसैनिकों की संख्या शुरू में ही घटाकर 8,600 तक करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह वह स्तर है जिसे अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो बलों के कमांडर, जनरल स्कॉट्स मिलर ने उनके मिशन को पूरा करने के लिए आवश्यक बताया था.

समझौते के तहत तालिबान को स्‍थायी युद्धविराम और युद्ध के बाद के अफगानिस्‍तान में सत्‍ता में भागीदारी के लिए अफगान सरकार, सिविल सोसायटी तथा राजनीतिक गुटों के साथ बातचीत शुरू करनी होगी. समझौते में 10 मार्च तक एक हजार सरकारी बंदियों को छोडे जाने के बदले में पांच हजार तालिबान बंदियों की रिहाई की बात भी कही गई है.

भारत का पक्ष

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखंडता, लोकतंत्र, विविधता को मजबूत बनाने और बाहर से प्रायोजित आतंकवाद की समाप्ति में भारत अफगानिस्‍तान का साथ देगा. शांति समझौते पर हस्ताक्षर से पहले विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रंगला काबुल पहुंचे हैं. विदेश सचिव ने वहां के नेताओं को बताया कि भारत शांतिपूर्ण और स्थिर अफगानिस्तान को निरंतर समर्थन देता रहेगा.

भारत की चिंता

तालिबान के साथ पाकिस्‍तान के अच्‍छे संबंध हैं. इस समझौते के बाद पाकिस्‍तान अपने आतंकी शिविर अपने देश से हटाकर अफगानिस्‍तान भेज सकता है. साथ ही दुनिया को दिखा सकता है कि वह आ‍तंकियों का पोषण नहीं कर रहा है. इसके अलावा तालिबानी आतंकी कश्‍मीर की ओर रुख कर सकता है.

अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति ने आतंकवादियों की रिहाई की शर्त को अस्‍वीकार किया

अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अशरफ गनी ने 1 मार्च को समझौते को खारिज करते हुए जेलों में बंद तालिबानी आतंकवादियों की रिहाई की शर्त को अस्‍वीकार कर दिया. उन्‍होंने पूर्ण-युद्धविराम के लक्ष्‍य तक पहुंचने के लिए हिंसा में कमी लाने के प्रयास जारी रखे जाने की बात कही.

चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए नई दिल्ली में बैठक

चाबहार बंदरगाह के विकास और प्रबंधन समझौते के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए 20 दिसम्बर को नई दिल्ली में बैठक हुई. इस बैठक में भारत, अफगानिस्तान और ईरान के अधिकारियों ने भाग लिया. इस बैठक में तीनों देशों ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड द्वारा दिसंबर 2018 में बंदरगाह का कामकाज संभालने के बाद हुई प्रगति का स्वागत किया है.

इस बैठक में पारगमन, परिवहन, सीमा शुल्क और परामर्श सेवा मामलों को आसान बनाने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने पर सहमति हुई. चाबहार बंदरगाह को लोकप्रिय बनाने के लिए अफगानिस्तान और भारत में प्रचार और व्यापार कार्यक्रम आयोजित करने पर भी सहमति बनी.

चाबहार बंदरगाह: एक दृष्टि

  • चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) दक्षिण-पूर्वी ईरान में स्थित ओमान की खाड़ी के तट एक बंदरगाह है. यह पाकिस्तान के गवादर बंदरगाह के पश्चिम की तरफ मात्र 72 किलोमीटर की दूरी पर हैं. इस बंदरगाह का विकास भारत के सहयोग से किया गया है.
  • इस बंदरगाह की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है कि पाकिस्तान के रास्ते का उपयोग किये बिना भारत अफगानिस्तान, यूरोप तथा मध्य एशिया के साथ व्यापर कर सकता है. भारत ने मई 2016 में ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय कनेक्टिविटी समझौते पर हस्ताक्षर था.
  • चाबहार बंदरगाह के पहले चरण (शाहिद बेहेश्ती) के क्रियान्वयन के लिए समझौते पर हस्ताक्षर फरवरी, 2018 किये गये थे. इस समझौते के तहत भारतीय कंपनी ‘इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड’ इसके संचालन का अंतरिम प्रभार दिया गया था.