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भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री की बैठक

विदेशमंत्री एस जयशंकर ने अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन से के साथ 28 मई को वाशिंगटन में वार्ता बैठक की. बैठक में द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं तथा क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर रचनात्मक चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने हिन्द -प्रशांत और क्वाड समूह के साथ-साथ अफगानिस्तान, म्यांमा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया.

इस बैठक में भारत-अमरीका टीका साझेदारी पर भी चर्चा हुई जिसका उद्देश्य टीके की उपलब्धता बढ़ाना और इसकी आपूर्ति सुनिश्चित करना था. इससे अब भारत में एस्ट्राजेनेका COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के निर्माण में वृद्धि होगी. इस वैक्सीन का विकास ब्रिटिश-स्वीडिश जैव-प्रौद्योगिकी कंपनी ने ‘ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका’ ने किया है, जिसका निर्माण भारत में सीरम इंस्टिट्यूट कर रही है.

बैठक के बाद श्री ब्लिंकेन ने कहा कि अमरीका और भारत वर्तमान समय की अति महत्वपूर्ण चुनौतियों पर मिलकर काम कर रहे हैं, जिसका प्रभाव हमारे नागरिकों के जीवन पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि अमरीका और भारत कोविड महामारी और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से मुकाबले के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए क्वाड तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न संस्थानों के माध्यम से मिलकर काम कर रहे हैं.

अमेरिका ने भारत सहित 11 देशों को ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ में रखा

अमेरिका ने भारत सहित 11 देशों को उनकी मुद्रा के व्यवहार को लेकर ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ (Currency Manipulator Watch List) में रखा है. अन्य 10 देश जापान, चीन, जर्मनी, कोरिया, इटली, आयरलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, मैक्सिको और थाईलैंड हैं.

‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ क्या है?

अमेरिका उन देशों को ‘मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची’ में रखता है, जिनके बारे में उसे लगता है कि वे देश डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा का जान-बूझकर अवमूल्यन करके ‘अनुचित मुद्रा व्यवहारों’ में संलग्न हैं. मुद्रा अवमूल्यन के कारण उस देश का निर्यात अधिक हो जाता है. इसके परिणामस्वरूप व्यापार घाटे में कमी होती है.

अमेरिका द्वारा किस देश को मुद्रा व्यवहार निगरानी सूची में मुख्य रूप से तीन मानदंडों के आधार पर रखा जाता है. ये मानदंड हैं- चालू खाता अधिशेष, द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष और विदेशी मुद्रा बाजारों में निरंतर एकतरफा हस्तक्षेप.

भारत को तीन में से दो मानदंडों के आधार पर इस सूची में डाला गया है जो द्विपक्षीय व्यापार अधिशेष और निरंतर एकतरफा हस्तक्षेप हैं.

करेंसी मैनिपुलेटर्स वॉच लिस्ट

यूएस ट्रेज़री विभाग द्वारा व्यापारिक भागीदार देशों की एक सूची बनाई जाती है जिसमें ऐसे भागीदार देशों की मुद्रा के व्यवहार और उनकी वृहद आर्थिक नीतियों पर नजदीकी से नज़र रखी जाती है. यह अमेरिका के 20 सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों के मुद्रा व्यवहारों की समीक्षा करता है.

निगरानी सूची में रखे जाने के प्रभाव

सूची में शामिल करना किसी भी तरह के दंड और प्रतिबंधों के अधीन नहीं है लेकिन यह निर्यात लाभ हासिल करने के लिये मुद्राओं के अवमूल्यन सहित विदेशी मुद्रा नीतियों के संदर्भ में वित्तीय बाज़ारों में देश की वैश्विक वित्तीय छवि को खराब करता है.

भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘वज्र प्रहार’ का आयोजन

भारत और अमेरिका के विशेष बलों के बीच हाल ही में संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘वज्र प्रहार’ (Vajra Prahar) का आयोजन किया गया था. यह आयोजन हिमाचल के चंबा जिले के बकलोह में किया गया था. यह ‘वज्र प्रहार’ का यह 11वां संस्करण था.

इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त मिशन योजना और परिचालन रणनीति जैसे क्षेत्रों में अनुभव साझा करना था. इस अभ्यास का आयोजन बारी-बारी से अमेरिका और भारत में किया जाता है.

भारतीय सेना का विशेष बल 1966 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बनाया गया था. पैराशूट रेजिमेंट, भारतीय सेना के विशेष बल की पहली इकाई थी. विशेष बल ऑपरेशन ब्लू स्टार, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन कैक्टस और कारगिल युद्ध में शामिल थे.

भारत और अमेरिका के बीच दूसरी रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी मंत्रीस्तरीय बैठक

भारत और अमेरिका के बीच 18 जुलाई को दूसरी रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी मंत्रीस्तरीय बैठक (US-India Strategic Energy Partnership ministerial meeting) हुई. तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उनके अमेरिकी समकक्ष डैन ब्रोइलेट ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के ज़रिये हुई इस बैठक की सह-अध्यक्षता की. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण समेत कई अहम मुद्दों पर समझौते हुए.

बैठक में दोनों देशों के बीच ऑयल एंड गैस सेक्टर में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति बनी. इस दौरान दोनों पक्षों के बीच पहली बार रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण को लेकर अहम समझौता हुआ. इसके साथ ही गैस आधारित अर्थव्यवस्था और डीकोर्बोनाइजेशन के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने को लेकर भी समझौते हुए.

डीकार्बोनाइजेशन को लेकर दोनों देशों ने उच्च तकनीक की मदद से अक्षय ऊर्जा और जीवाश्म ईंधन स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए एक सार्वजनिक-निजी हाइड्रोजन टास्क फोर्स का भी गठन किया. भारत में अगले साल होने वाले पहले सोलर डेकाथलॉन में सहयोग के लिए भी दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ.

SEP (Strategic Energy Partnership) की स्थापना के बाद से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय हाइड्रोकार्बन व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है. 2019-20 के दौरान द्विपक्षीय हाइड्रोकार्बन व्यापार 9.2 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर तक पहुंच गया, जो 2017-18 की तुलना में 93% अधिक है.

अमरीका के राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप की भारत यात्रा, दोनों देशों के बीच 3 अरब डालर से ज्यादा के रक्षा सौदे पर सहमति

अमरीकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने 24-25 फरवरी को भारत की यात्रा पर थे. उनकी यह पहली भारत यात्रा थी. इस यात्रा में राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनकी पत्‍नी और अमरीका की प्रथम महिला मिलानिया ट्रम्‍प और प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी भी आये थे. इस यात्रा में राष्‍ट्रपति ट्रंप की सलाहकार और उनकी पुत्री इवांका ट्रंप तथा दामाद तथा वरिष्‍ठ सलाहकार जार्ड कुशनर भी शामिल थे.

अहमदाबाद, आगरा और नई दिल्‍ली का दौरा

भारत की इस यात्रा में अमरीकी राष्‍ट्रपति ने अहमदाबाद, आगरा और नई दिल्‍ली का दौरा किया था. यात्रा के दौरान आगरा उन्होंने आगरे का ताजमहल, गुजरात में साबरमती आश्रम और दिल्ली में राष्ट्रपति भवन सहित कुछ प्रमुख स्थानों का दौरा किया.

12 सदस्‍यों का प्रतिनिधिमण्‍डल

अमरीकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप और उनकी पत्‍नी मिलानिया ट्रंप के साथ भारत दौरे में उनके साथ 12 सदस्‍यों का प्रतिनिधिमण्‍डल भी था. प्रतिनिधिमंडल में वाणिज्‍य सचिव, ऊर्जा सचिव, राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, कार्यवाहक चीफ ऑफ स्‍टॉफ, राष्‍ट्रपति के दो वरिष्‍ठ सलाहकार, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार नीति के लिए विशेष प्रतिनिधि और चीफ ऑफ स्टाफ तथा व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव भी शामिल थे.

अहमदाबाद में ‘इंडिया रोड शो’

राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप ने भारत के इस यात्रा की शुरुआत अहमदाबाद से की थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं हवाईअड्डे पर राष्ट्रपति ट्रंप की आगवानी की थी. वहां दोनों नेताओं ने करीब 22 किलोमीटर लंबे भव्य रोड-शो में भाग लिया जिसका नाम ‘इंडिया रोड शो’ दिया गया था.

हैदराबाद हाउस में उच्‍चस्‍तरीय बैठक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच 25 फरवरी को नई दिल्‍ली के हैदराबाद हाउस में उच्‍चस्‍तरीय वार्ता बैठक हुई. बैठक में व्‍यापार, निवेश, रक्षा तथा सुरक्षा, आतंकवाद से निपटने, ऊर्जा सुरक्षा और हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर विचार-विमर्श किया गया.

वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 3 अरब डालर से ज्यादा के रक्षा सौदे पर सहमति जतायी. दोनों देशों ने तीन समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये. इनमें मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य तथा चिकित्‍सा उत्‍पादों की सुरक्षा के बारे में समझौता ज्ञापन और LNG के निर्यात के लिए एक्‍सन मोबिल तथा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के बीच समझौता शामिल है. दोनों पक्षों ने रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी बढ़ाने का भी फैसला किया है.

दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक में चौबीस रोमियो हैलीकॉप्‍टरों की खरीद को भी अंतिम रूप दिया गया. दोनों देश नशीले पदार्थों की तस्‍करी को रोकने के लिए नई व्‍यवस्‍था बनाने पर सहमत हुए. भारत और अमरीका ने आतंकवाद के समर्थकों को भी आतंकवाद का दोषी ठहराने के प्रयास तेज करने का फैसला किया.

मिलानिया ट्रम्‍प हैप्‍पीनैस क्‍लास में शामिल हुई

अमरीका की प्रथम महिला मिलानिया ट्रम्‍प नई दिल्‍ली के मोती बाग में सर्वोदय विद्यालय देखने पहुंची थीं. श्रीमती ट्रम्‍प ने दिल्‍ली के इस स्‍कूल में बच्‍चों से बातचीत की, विद्यालय की विभिन्‍न गतिविधियों की जानकारी ली और वे पाठ्यक्रम की हैप्‍पीनैस क्‍लास में शामिल हुई.

‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम का आयोजन

अमरीकी राष्‍ट्रपति डॉनल्‍ड ट्रंप के स्‍वागत में अहमदाबाद में ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था. यह आयोजन मोटेरा में विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम ‘सरदार पटेल स्टेडियम’ में किया गया था. इस स्टेडियम को पहले ‘मोटेरा स्टेडियम’ नाम से जाता था.

अमेरिका के ह्यूस्टन में 2019 में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के आधार पर इस कार्यक्रम का नाम ‘नमस्ते ट्रंप’ रखा गया था. कार्यक्रम का आयोजन डोनाल्ड ट्रम्प नगरिक अभिदान समिति द्वारा किया गया था. इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने एक लाख से ज्यादा लोगों की उपस्थिति में मंच साझा किया.

भारत की यात्रा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति

डोनाल्ड ट्रंप छठे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्होंने भारत की यात्रा की है. इससे पहले 1959 में ड्विट डी ईसेनहॉवर, 1969 में निक्सन, 1978 में कार्टर, 2000 में बिल क्लिंटन, 2006 में जार्ज डब्ल्यू बुश और 2010- 2015 में ओबामा भारत के दौरे पर आ चुके हैं. डोनाल्ड ट्रम्प गुजरात का दौरा करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं.

वर्ष 2000 में अमरीकी राष्‍ट्रपति बिल क्‍लिंटन की भारत यात्रा को परिवर्तनकारी माना जाता है. इस यात्रा के दौरान क्लिंटन और तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की भूमिका रखी थी. यह यात्रा भारत और अमरीका के बीच रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी की शुरूआत थी.

साल 2006 में जॉर्ज बुश ने अपने पहले कार्यकाल में भारत की यात्रा की जिसे परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने की उपलब्धि के रूप में याद किया जाता है. इसी समझौते के बाद भारत के लिए वाणिज्यि‍क परमाणु गतिविधियां शुरू करने का रास्ता खुला था.

2010 में बराक ओबामा की यात्रा से भारत-अमरीकी संबंधों को और प्रगाढ़ तथा मजबूत करने का संदेश दिया गया. ओबामा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया. ओबामा ने 2015 में अपनी पत्नी मिशेल के साथ दोबारा भारत की यात्रा की और इस तरह पद पर रहते हुए दो बार भारत यात्रा करने वाले वह पहले अमरीकी राष्ट्रपति बने.

भारत और अमरीका के बीच द्विपक्षीय व्यापार

भारत और अमरीका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार पिछले दो वर्ष में 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर बढ़ा है और यह 2018 में 142 अरब डॉलर पहुंच गया. दोनों देशों की ओर से वाणिज्यिक वस्तुओं का व्यापार लगभग 87 अरब डॉलर हो गया है. इसमें से भारत ने अमरीका को 54 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओँ का निर्यात किया.

ऊर्जा क्षेत्र में अमरीका, भारत के प्रमुख साझेदार के रूप में उभरा है. अमरीका और भारत के कच्चे तेल के आयात का छठा सबसे बड़ा स्रोत भी बन गया है. भारत ने अमेरिका से 18 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादों को खरीद की है.

चीन को पीछे छोड़कर भारत अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना

अमेरिका अब चीन को पीछे छोड़कर भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2018-19 में भारत और अमेरिका के बीच 87.95 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था. इस दौरान भारत का चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार 87.07 अरब डॉलर रहा. इसी तरह 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार 68 अरब डॉलर रहा, जबकि इस दौरान भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार 64.96 अरब डॉलर रहा.

भारत-अमेरिका व्यापर: एक दृष्टि

  • अमेरिका उन चुनिंदा देशों में से है, जिसके साथ व्यापार संतुलन का झुकाव भारत के पक्ष में है. वर्ष 2018-19 में भारत का चीन के साथ जहां 53.56 अरब डॉलर का व्यापार घाटा (trade deficit) रहा था, वहीं अमेरिका के साथ भारत 16.85 अरब डॉलर के व्यापार लाभ (trade surplus) की स्थिति में था.
  • भारत और अमेरिका आने वाले समय में भी आर्थिक संबंधों को बढ़ाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. यदि दोनों देश ‘मुक्त व्यापार समझौता’ (FTA) कर लेते हैं तो द्विपक्षीय व्यापार बहुत आगे स्तर पर पहुंच सकता है.
  • अमेरिका के साथ FTA भारत के लिये बेहद फायदेमंद होगा क्योंकि अमेरिका भारतीय माल एवं सेवाओं का सबसे बड़ा बाजार है.
  • अमेरिका के साथ भारत का आयात और निर्यात दोनों बढ़ रहा है, जबकि चीन के साथ आयात-निर्यात दोनों में गिरावट आ रही है.
  • भारत अमेरिका में स्टील, स्टील उत्पाद और एल्युमिनियम उत्पादों का निर्यात करीब 22.7 अरब डॉलर का हुआ था.
    भारत को अमेरिका के साथ FTA करते वक्त सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि अमेरिका मक्का और सोयाबीन जैसे जिंसों का सबसे बड़ा उत्पादक व निर्यातक है.

सेतुरमन पंचनाथन अमेरिका में प्रतिष्ठित नेशनल साइंस फाउंडेशन के निदेशक चुने गये

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने भारतीय-अमरीकी कंप्यूटर वैज्ञानिक सेतुरमन पंचनाथन को प्रतिष्ठित नेशनल साइंस फाउंडेशन (NSF) का निदेशक चुना है. पंचनाथन फ्रांस कोर्डोवा का स्थान लेंगे, जिनका निदेशक के रूप में छह साल का कार्यकाल 2020 में समाप्त होगा.

NSF एक अमरीकी सरकारी एजेंसी है जो विज्ञान और इंजीनियरिंग के सभी गैर-चिकित्सा क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान और शिक्षा में मदद करती है.

सेतुरमन पंचनाथन वर्तमान में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य अनुसंधान और नवाचार अधिकारी हैं. इसके अलावा वह ASU में सेंटर फॉर कॉग्निटिव यूबिकिटस कंप्यूटिंग के संस्थापक निदेशक भी हैं.

भारत और अमरीका के बीच मंत्री स्तरीय दूसरा टू-प्लस-टू वार्ता वाशिंग्टन में आयोजित की गयी

भारत और अमरीका के बीच मंत्री स्तरीय दूसरी टू-प्लस-टू वार्ता (Indo US 2nd Two-plus-two Dialogue) वाशिंग्टन में 18 दिसम्बर को आयोजित की गयी. विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस वार्ता बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया. अमरीका की ओर से वहां के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने इस बातचीत में प्रतिनिधित्व किया.

इस वार्ता में दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. दोनों देश द्विपक्षीय सहयोग और रक्षा व्यापार और मजबूत करने पर सहमत हुए हैं. जापान जैसे समान विचार वाले देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र को शांतिमय बनाने और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए तालमेल बढ़ाने पर भी दो देश सहमत हुए.

वार्ता में दोनों देशों ने आपसी संबंधों को 2020 में नये स्तर तक पहुंचाने की रूपरेखा तय की. दोनों पक्षों ने निर्वाचित प्रतिनिधियों के बीच संपर्क मजबूत करने, औद्योगिक सुरक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान, जल तथा लोगों के बीच संबंध बढ़ाने के अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, रक्षा और औद्योगिक सहयोग के नये समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.

भारत और अमरीका ने अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, लश्कर-ए-तैय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, हिज्बुल मुजाहिदीन और डी कंपनी सहित सभी आतंकवादी गुटों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई का आह्वान किया. दोनों देशों ने पाकिस्तान से तत्काल, अचूक और सतत कार्रवाई करने को कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल अन्य देशों के खिलाफ आतंकवाद के लिए न किया जा सके.

भारत-अमरीका टू-प्लस-टू दूसरी मंत्रिस्तरीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में दोनों देशों ने पाकिस्तान से 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले और पठानकोट हमले सहित सीमापार से आतंकी हमलों के दोषिय़ों को गिरफ्तार करने और उन पर मुकदमा चलाने को कहा. भारत ने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर सहित अन्य आतंकवादियों के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अमरीका के समर्थन की सराहना की.

वार्ता में अमरीका ने पुनर्गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता देशों के समूह में भारत को जल्दी प्रवेश दिये जाने के प्रति मजबूत समर्थन व्यक्त किया.

भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता: एक दृष्टि

  • भारत-अमरीका टू-प्लस-टू वार्ता में दोनों देशों के दो-दो मंत्री (विदेश और रक्षा) और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेते हैं.
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प की स्वीकृति के बाद पहली टू-प्लस-टू वार्ता सितंबर 2018 में नई दिल्ली में हुई थी. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच विदेश नीति और रक्षा के क्षेत्रों में बहुत प्रगति हुई थी.
  • यह वार्ता बैठक दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तर का संस्थागत तंत्र है जो विदेश नीति, रक्षा और रणनीतिक मुद्दों पर दोनों के विचारों को एक साथ लाता है.

भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त अभ्यास ‘टाईगर ट्रंफ’ का आयोजन

भारत और अमेरिका के बीच 13 से 21 नवंबर के दौरान संयुक्त सैन्य-अभ्यास (Indo-US Joint Military Exercise) का आयोजन किया गया. इस सैन्य-अभ्यास का नाम ‘टाइगर ट्रंफ’ था. यह सैन्य-अभ्यास आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम और काकीनाडा में आयोजित किया गया. इसका उद्देश्य दोनों ही देशों की सेना के बीच बेहतरीन तालमेल बनाना था.

इस युद्धाभ्यास में भारतीय थल, जल और वायुसेना (त्रि-सेवा) के 1200 जवान और 500 अमेरिकी जवान शामिल हुए. इसमें युद्धाभ्यास के साथ ही आपदा के दौरान मदद पहुंचाने पर भी अभ्यास किया गया. यह भारत और अमेरिका के बीच प्रथम त्रि-सेवा अभ्यास था. इससे पहले 2017 में भारत और रूस के बीच रूस के व्लादिवोस्टोक में त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास ‘इंद्र’ का आयोजन किया गया था.

समुद्र में लूट और तस्करी रोकने के लिए अमेरिका के 10वें राष्ट्रीय दक्षिण-पूर्व एशिया सहयोग और प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 9 दिन के इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था.

अमेरिका ने इस युद्धाभ्यास को इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का उदाहरण कहा है. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका ने भारतीय प्रशांत क्षेत्र के सहयोगियों के साथ सुरक्षा सहयोग एक बड़ी रकम खर्च की है ताकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहे.

7वीं भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गयी

7वीं भारत-अमेरिका आर्थिक और वित्तीय साझेदारी बैठक 1 नवम्बर को नई दिल्ली में आयोजित की गयी. बैठक में भारतीय पक्ष का नेतृत्व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और अमरीकी शिष्टमण्डल का नेतृत्व अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने किया.

बैठक में दोनों पक्षों ने धन-शोधन और आतंकवादियों को धन मुहैया कराने की रोकथाम सहित विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अफगानिस्तान को ईरान के चाबहार बंदरगाह से सड़क के जरिए संपर्क उपलब्ध कराने पर जोर दिया.

अमरीका-भारत कार्यनीतिक साझेदारी फोरम की बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गयी


अमरीका और भारत के कार्यनीतिक साझेदारी फोरम (US India Strategic Partnership Forum- USISPF) की बैठक 21 अक्टूबर को नई दिल्ली में आयोजित की गयी. बैठक में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दोनों देशों को द्विपक्षीय समझौते जैसे बड़े उपायों पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अमरीकी कंपनियों को प्रौद्योगिकी, पूंजी और नए व्यापार मॉडल तथा भारत की जैव ईंधन क्रांति में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया.

अमरीका-भारत कार्यनीतिक साझेदारी फोरम के सदस्यों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की. इस मुलाकात में प्रधानमंत्री ने तीन D डेमोक्रेसी (लोकतंत्र), डेमोग्राफी (जनसांख्यिकी), और दिमाग (बौद्धिक क्षमता) को भारत की विशिष्ट पहचान बताया. उन्होंने कारोबार आसान बनाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स में कमी, श्रम सुधार और भारतीय युवाओं की उद्यमिता जोखिम क्षमता बढाने जैसे सरकार के उपायों की चर्चा भी की. फोरम के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण में भरोसा व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के अगले 5 वर्ष विश्व के अगले 25 वर्षों का निर्धारण करेंगे.

अमरीका और भारत के कार्यनीतिक साझेदारी फोरम (USISPF) का उद्देश्य आर्थिक वृद्धि, उद्यमिता, रोजगार सृजन और नवाचार क्षेत्रों में भारत और अमरीका के बीच कार्यनीतिक साझेदारी मजबूत करना है. USISPF की स्थापना 2017 में की गयी थी.

प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा 2019: ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम में मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 21 से 27 सितंबर तक अमेरिका की यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान वह संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के 74वें अधिवेशन को संबोधित करने के साथ-साथ कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 सितम्बर को न्यूयॉर्क में ब्लूमबर्ग ग्लोबल बिजनेस फोरम में मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल हुए. उनहोंने दुनिया भर की कंपनियों को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया.

भारत की विकास गाथा के लिए 4D
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विकास गाथा के चार अहम तत्व हैं जो एक साथ, दुनिया में मिलने मुश्किल हैं. ये 4D हैं, डेमोक्रेसी, डिमांड, डेमोग्राफी और डिसाइसेवनेस.