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चीन के विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा

चीन के विदेश मंत्री वांग यी 25-26 मार्च की भारत यात्रा पर थे. उन्होंने इस यात्रा के दौरान नई दिल्‍ली में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ वार्ता बैठक की. इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई.

मुख्य बिंदु

  • बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापक और महत्वपूर्ण एजेंडे पर चर्चा की. बैठक में अफगानिस्‍तान और यूक्रेन सहित प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. आपसी संबंधों में शिक्षा, यात्रा और वाणिज्य सहित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की गई.
  • डॉ. जयशंकर ने कहा चीन के साथ संबंधों में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है. उन्‍होंने कहा कि भारत स्‍थायी और भरोसेमंद संबंध चाहता है, लेकिन सामान्य स्थिति बहाल होने के लिए सीमा पर शांति और स्थिरता कायम होना आवश्यक है.
  • चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने दोनों देशों के बीच सामान्‍य स्थिति बहाल करने की इच्‍छा व्‍यक्‍त की.
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चीन ने नया सीमा कानून पारित किया, पडोसी देशों की चिंता

चीन की संसद ने हाल ही में एक नया सीमा कानून पारित किया था. इस कानून का नाम “भूमि सीमा कानून” (Land Boundary Law) है. नया सीमा कानून 1 जनवरी, 2022 से लागू होगा.

इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा. कानून में सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रावधान है.

यह चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए चीन की भूमि सीमाओं के पार किसी भी आक्रमण, अतिक्रमण, घुसपैठ, उकसावे का मुकाबला करने के लिए व्यवस्था करता है.

पडोसी देशों की चिंता

  • चीनी का यह कानून भारत सहित चीन के सभी पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों पर असर डालेगा. चीन 14 देशों के साथ लगभग 22,000 किलोमीटर की भूमि सीमा साझा करता है, जिसके साथ विवाद उत्पन्न होते रहते हैं.
  • भारत ने इस नए कानून पर चिंता व्यक्त की है. भारत का मानना है कि इस कानून का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय समझौतों और सीमा से जुड़े सम्पूर्ण प्रश्नों पर प्रभाव पड़ सकता है.
  • भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जो अरुणाचल प्रदेश से जम्मू और कश्मीर तक फैली हुई है. भारत के साथ सीमा पूरी तरह से सीमांकित नहीं है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है.
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भारत में 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया

सरकार ने देश में चल रहे 59 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसकी घोषणा इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 29 जून को की. देश की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा को ध्यान में रखते हुए इन ऐप पर प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें अधिकतर चीनी मोबाइल ऐप हैं.

प्रतिबंधित ऐप में टिकटॉक, शेयरइट और वी-चैट शामिल हैं. इन ऐप पर एंड्रॉयड और IOS दोनों प्लेटफॉर्म पर प्रतिवंध लगाया गया है. इन ऐप को प्रतिवंधित किये जाने से आत्‍मनिर्भर भारत अभियान को फायदा होगा. इस फैसले से भारतीय र्स्‍टाटअप कंपनियों को फायदा होगा और वे इनका बेहतर विकल्‍प लेकर आ सकेंगी.

गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने इन एप्स पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी. सिफारिश में कहा गया है कि ये एप, उपयोगकर्ताओं के डेटा को चुराकर, उन्हें गुपचुप तरीके से भारत के बाहर स्थित सर्वर को भेजते हैं.

प्रतिबंधित ऐप की सूची

1. TikTok, 2. Shareit 3. Kwai, 4. UC Browser, 5. Baidu map, 6. Shein, 7. Clash of Kings, 8. DU battery saver, 9. Helo, 10. Likee, 11. YouCam makeup, 12. Mi Community, 13. CM Browers, 14. Virus Cleaner, 15. APUS Browser,
16. ROMWE, 17. Club Factory, 18. Newsdog, 19. Beutry Plus, 20. WeChat, 21. UC News, 22. QQ Mail, 23. Weibo, 24. Xender, 25. QQ Music, 26. QQ Newsfeed, 27. Bigo Live, 28. SelfieCity, 29. Mail Master, 30. Parallel Space, 31. Mi Video Call – Xiaomi, 32. WeSync, 33. ES File Explorer, 34. Viva Video – QU Video Inc, 35. Meitu, 36. Vigo Video, 37. New Video Status, 38. DU Recorder, 39. Vault- Hide, 40. Cache Cleaner DU App studio, 41. DU Cleaner, 42. DU Browser, 43. Hago Play With New Friends, 44. Cam Scanner, 45. Clean Master – Cheetah Mobile, 46. Wonder Camera, 47. Photo Wonder, 48. QQ Player, 49. We Meet, 50. Sweet Selfie, 51. Baidu Translate, 52. Vmate, 53. QQ International, 54. QQ Security Center, 55. QQ Launcher, 56. U Video, 57. V fly Status Video, 58. Mobile Legends और 59. DU Privacy

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रूस, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक, राष्ट्र सुरक्षा परिषद सीट के लिए भारत का समर्थन

रूस, भारत और चीन (RIC) के विदेश मंत्रियों की बैठक 23 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के (वर्चुअल) माध्यम आयोजित की गयी. इस त्रिपक्षीय बैठक की मेजबानी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोफ द्वारा की गयी.

इस बैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र के संभावित सुधारों पर चर्चा हुई. बैठक में रुसी विदेश मंत्री ने संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट के लिए भारत के दावे का समर्थन किया.

बैठक में विदेश मंत्री डॉक्‍टर एस. जयशंकर ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय कानून का सम्‍मान, सहयोगी देशों के वैध हितों का ध्‍यान, बहुपक्षवाद को समर्थन और साझा हितों को बढावा देना ही टिकाऊ विश्‍व व्‍यवस्‍था कायम करने का एकमात्र तरीका है.

डॉ. जयशंकर ने कहा कि संयुक्‍त राष्‍ट्र 50 सदस्‍यों के साथ शुरू हुआ था और आज 193 देश इसके सदस्‍य हैं. इसलिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया को पहले की तरह जारी नहीं रखा जा सकता.

भारतीय विदेश मंत्री ने तत्‍कालीन राजनीति परिस्थितियों में भारत को उचित सम्‍मान नहीं जाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अन्‍याय पिछले 75 वर्ष में भी ठीक नहीं किया गया, जबकि दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है. इसलिए विश्‍व के लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि भारत के योगदान का सम्‍मान किया जाए और अतीत की भूल सुधारी जाए.

द्वारकानाथ कोटनिस के योगदान को याद किया गया

विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन को भारतीय चिकित्सक द्वारकानाथ कोटनिस के योगदान के बारे में याद दिलाया. 1938 में जापान-चीन युद्ध के समय द्वारकानाथ कोटनिस के नेतृत्व में भारतीय मेडिकल मिशन ने बिना किसी नींद के 72 घंटे तक ऑपरेशन किया था. इस मिशन द्वारा 800 से अधिक घायल चीनी सैनिकों का इलाज किया गया था.

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लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी सेना के साथ हिंसक संघर्ष

पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी क्षेत्र में 15 जून को भारतीय सेना का चीनी सेना के साथ हिंसक संघर्ष हो गया. इस क्षेत्र में चीन की सेना ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश की थी जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस हिंसक झड़प में भारत के करीब 20 सैनिक शहीद हो गये.

इन शहीदों में बिहार रेजीमेंट के 16वीं बटालियन के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू ने चीन के सैनिकों के साथ हिंसक संघर्ष में देश के लिए अपनी जान न्‍योछावर कर दी. कर्नल संतोष बाबू हैदराबाद के समीप सूर्यपेट के निवासी थे.

उल्लेखनीय है कि भारत में चीन से लगी सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) की है. यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है.

संक्षिप्त घटनाक्रम

  1. पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर दोनों देशों के बीच चार पॉइंट्स पर पिछले कई दिनों से गतिरोध जारी है. इसके बाद से ही दोनों देशों ने वहां अपने सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी थी.
  2. 6 जून को पहली बार भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी. जिसमें गतिरोध के पॉइंट्स की पहचान की गई थी. इस बातचीत में गलवान वैली और हॉट स्प्रिंग एरिया में गतिरोध के तीन पॉइंट्स में धीरे-धीरे सैनिकों को पीछे किये जाने पर सहमति बनी थी. चीन पैंगोंग सो एरिया से पीछ हटने को तैयार नहीं हुआ था.
  3. चीन 6 जून को हुई सहमति से मुकर गया. उसने गलवान घाटी में एलएसी पर इस सहमति के अनुरूप काम नहीं किया. 15 जून को देर शाम और रात को चीन की सेना ने वहां यथास्थिति बदलने की कोशिश की जिससे दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई.
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भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच वार्ता, शांतिपूर्ण समाधान के लिए सहमति

भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 6 जून को उच्च स्तरीय वार्ता हुई. यह वार्ता लद्दाख में मोल्दो-चुशूल सीमा चौकी के पास चीनी क्षेत्र में आयोजित की गयी थी.

इस वार्ता में भारत और चीन की सेना के लेफ्टिनेंट जनरल स्तर के अधिकारियों ने हिस्सा लिया. वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व लेफिटनेंट जनरल हरिंदर सिंह के नेतृत्‍व में भारतीय शिष्‍टमंडल ने किया जबकि चीन का नेतृत्‍व वहां के मेजर जनरल लिन लुई ने किया. इस वार्ता में दोनों देश विभिन्‍न द्विपक्षीय समझौतों के अनुरूप सीमा क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सहमत हुए.

LAC पर जारी गतिरोध को खत्म करने का मुद्दा

दोनों देशों के बीच यह वार्ता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए थी. अब तक चीन से कई स्तर पर बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक किसी समाधान पर नहीं पहुंचा जा सका है.

5 मई को पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई. उसके बाद भारत ने फैसला किया कि पैंगोंग सो, गलवान वैली, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी जैसे सभी विवादत जगहों पर चीन की आक्रामकता से निपटने के लिए भारतीय सैनिक मजबूत रुख अपनाएंगे.

फिंगर-4 में चीनी कब्जा सबसे अहम मुद्दा

दोनों देशों के बीच हुई इस वार्ता में सबसे अहम मुद्दा यह था कि इस बार चीनी सैनिक गलवान घटी के फिंगर-4 तक आ गए हैं. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक यह ऐसा इलाका है जहां भारत और चीन, दोनों दावा करते हैं और इस इलाके में भारतीय सैनिक हमेशा से गश्त करते आये हैं.

समझौते के अनुसार सैनिक वहां आ तो सकते हैं लेकिन वहां कोई ढांचा खड़ा नहीं कर सकते हैं और न ही वहां डेरा डाल सकते हैं. चीन ने इस समझौते का उल्लंघन करते हुए वहां बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं. उनका मकसद भारतीय सैनिकों को इससे आगे गश्त करने से रोकना है जबकि भारतीय सैनिक शुरू से ही फिंगर-8 तक गश्त करते रहे हैं.

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1 अप्रैल 2020: भारत-चीन राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हुए

1 अप्रैल 2020 को भारत और चीन के बीच शुरू किये गये राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हो गये. दोनों देशों ने विश्व में फैले COVID-19 महामारी के कारण अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए निर्धारित सभी कार्यक्रमों को स्थगित करने का निर्णय लिया था.

भारत और चीन के नेताओं ने 1 अप्रैल 1950 को दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था. दोनों देशों ने संयुक्त रूप से ‘शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पाँच सिद्धांतों’ (Five Principles of Peaceful Coexistence) की वकालत की थी. भारत, चीनी गणराज्य (People’s Republic of China- PRC) के साथ संबंध स्थापित करने वाला पहला गैर-समाजवादी देश था.

भारत-चीन राजनयिक संबंध: एक दृष्टि

  • 21वीं सदी के प्रारंभ से अब तक भारत और चीन के बीच होने वाला व्यापार 3 बिलियन डॉलर से बढ़कर लगभग 100 बिलियन डॉलर (32 गुना) हो गया है. वर्ष 2019 में भारत तथा चीन के बीच होने वाला व्यापार की मात्रा 92.68 बिलियन डॉलर थी.
  • भारत तथा चीन के बीच हैंड-इन-हैंड (Hand-in-Hand) संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभ्यास के अब तक 8 संस्करण आयोजित किये जा चुके हैं.

भारत-चीन मुख्य विवाद

  • डोकलाम गतिरोध 2017, अरुणाचल प्रदेश में आसफिला क्षेत्र पर विवाद.
  • परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (Nuclear Suppliers Group- NSG) में भारत का प्रवेश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता पर विरोध.
  • चीन के ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (Belt and Road Initiative) के अंतर्गत चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China Pakistan Economic Corridor- CPEC) विवाद.
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भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष प्रतिनिधियों की 22वीं बैठक

भारत और चीन के बीच सीमा मुद्दे पर चर्चा के लिए विशेष प्रतिनिधियों की बैठक 21 दिसम्बर को नई दिल्‍ली में आयोजित की गयी. इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच यह 22वीं बैठक थी. इस बैठक में भारतीय शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के शिष्‍टमंडल का नेतृत्‍व वहां के विदेश मंत्री वांग यी ने किया.

अक्‍टूबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनफिंग के बीच चेन्‍नई में दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद यह दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की पहली बैठक थी.

सीमा मुद्दे पर हुई 22वीं बैठक के मुख्य बिंदु

  • बैठक में भारत-चीन विकास साझेदारी को और सुदृढ़ बनाने पर खास तौर पर चर्चा हुई. दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने सीमा मामले को भारत-चीन संबंधों के नीतिगत परिपेक्ष्य में देखे जाने की आवश्‍यकता पर जोर दिया. उन्‍होंने सीमा के मसले के युक्तिसंगत, निष्‍पक्ष और परस्‍पर स्‍वीकार्य समाधान के प्रयास तेज करने का भी संकल्‍प लिया.
  • बैठक में दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत थे कि सीमा मसले के शीघ्र समाधान से दोनों ही देशों के बुनियादी हितों को फायदा पहुंचेगा. भारत और चीन के बीच इस बात को लेकर भी एक जैसी राय थी कि द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन बना रहना चाहिए और इसके लिए अंतिम समाधान निकाला जा सकता है.
  • उन्‍होंने सीमा पर तैनात सुरक्षा कर्मियों के बीच संचार और संपर्क बनाए रखने और सीमा प्रबंधन के लिए आपसी भरोसा बढ़ाने के मौजूदा प्रयासों को तेज करने की आवश्‍यकता पर भी बल दिया.
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भारत और चीन के बीच मेघालय में 8वां संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास ‘हैंड-इन-हैंड 2019’ आयोजित किया जा रहा है

भारत और चीन के बीच मेघालय के उमरोई में 7 से 20 दिसंबर तक 8वां संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास ‘हैंड-इन-हैंड 2019’ (Hand in Hand 2019) आयोजित किया जा रहा है. दोनों देशों के बीच यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के आदेश के तहत आतंकवाद का मुकाबला करने वाली थीम पर आधारित है.

इस अभ्यास में चीनी दल की ओर से तिब्बत सैन्य कमान के 130 जवान और इतनी ही संख्या में भारतीय सैन्यकर्मी हिस्सा ले रहे हैं.

इसका उद्देश्य उपनगरीय इलाके के लिए संयुक्त योजना बनाना और आतंकवाद रोधी अभियानों के संचालन का अभ्यास करना है.

यह अभ्यास कार्यक्रम विभिन्न व्याख्यानों और आतंकियों से निपटने के अभ्यास तथा एक-दूसरे के हथियारों से फायरिंग, विशेष हवाई अभियान के प्रशिक्षण और आतंकवादी परिस्थितियों में चलाए गए विभिन्न अभियानों की केस स्टडीज पर केंद्रित है.

प्रशिक्षण के दौरान दो सामरिक अभ्यास; पहला आतंकवाद निरोधक परिदृश्य पर और दूसरा मानवीय एवं आपदा राहत (HADR) अभियान पर निर्धारित हैं.

हैण्ड-इन-हैण्ड (Hand in Hand) संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास: एक दृष्टि
हैण्ड-इन-हैण्ड, भारत और चीन के बीच आयोजित होने वाला एक वार्षिक संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास है. इस सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का पहला संस्करण 2007 में चीन के कुनमिंग में आयोजित किया गया था.

इसके दूसरे संस्करण का आयोजन भारत में कर्नाटक के बेलगाम में किया गया था. दूसरे संस्करण के आयोजन के बाद इस अभ्यास का आयोजन बंद कर दिया गया था. वर्ष 2013 में इस अभ्यास का आयोजन पुनः आरम्भ हुआ.

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दूसरा भारत-चीन अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन मामल्‍लपुरम में आयोजित किया गया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और चीन के राष्‍ट्रपति षी चिनपिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता 11-12 अक्टूबर को तमिलनाडु के मामल्‍लपुरम में आयोजित की गयी. दोनों नेताओं में कई दौर में अनौपचारिक वार्ता और शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता हुई. शिष्‍टमंडल स्‍तर की वार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी उपस्थित थे. चीन के शिष्‍टमंडल में पोलित ब्‍यूरो के वरिष्‍ठ सदस्‍य‍ और विदेश मंत्री शामिल थे.

अनौपचारिक शिखर वार्ता में महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे द्विपक्षीय व्यापार, वैश्विक व्यापार, पीपल टू पीपल कॉन्टेक्ट, अगले साल दोनों देशों के बीच 70वीं वर्षगांठ, डिप्लोमेटिक रिलेशन की और टूरिज़्म के ऊपर गहनता से चर्चा हुई. इसके साथ ही क्लाइमेट चेंज, WTO और कई अन्य सारे क्षेत्रीय मु्द्दों पर भी बात हुई.

चीनी राष्ट्रपति के साथ बैठक में आपसी रणनीतिक साझेदारी, व्यापारिक संबंध के अलावा लोगों के बीच आपसी संबंध को बढ़ावा देने के लिए भी सहमति बनी. इस क्रम में मामल्लपुरम और चीन के फूचियन प्रांत के बीच ऐतिहासिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाने पर भी विचार हुआ.

श्री मोदी ने षी चिनपिंग को उनकी तस्‍वीर वाली एक शॉल उपहार स्‍वरूप भेंट की. इसे कोयम्‍बटूर के सिरुमुगई के शिल्‍पकारों ने विशेष रूप से उनके लिए तैयार किया है. प्रधानमंत्री ने उन्‍हें कांचीपुरम सिल्‍क की साड़ी भी भेंट की.

यह अनौपचारिक शिखर वार्ता विश्व की दो तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के बीच आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देगी.

भारत-चीन तीसरा अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन चीन में

राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे जारी रखते हुए प्रधानमंत्री को तीसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए भी आमंत्रित किया. इस आमंत्रण को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने स्वीकार कर लिया है. श्री चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के बीच पहला अनौपचारिक शिखर सम्‍मेलन 2018 में चीन के वुहान में हुआ था.

मामल्‍लपुरम चीनी सम्‍बंधों से जुड़ी विश्‍व धरोहर

तमिलनाडु का सुप्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल मामल्‍लपुरम चीनी सम्‍बंधों से जुड़ी विश्‍व धरोहर की श्रेणी में आता है. यह दोनों देशों के बीच 1700 साल पुराने संबंधों का राजदार है. तमिलनाडु का यह प्राचीन शहर अपने भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए बेहद ही लोकप्रिय है. द्रविड वास्तुकला की दृष्टि से यह शहर अग्रणी स्थान रखता है.

सातवीं शताब्दी में यह शहर पल्लव राजाओं की राजधानी था और इस दौरान चीन के साथ कई स्तरों पर संबंध भी थे. पल्लव वंश के राजा नरसिंह द्वितीय ने चीन के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अपने दूतों को चीन भी भेजा था. यह चीन से व्‍यापार करने वाले पल्‍लव राजवंश का बंदरगाह था.

दरअसल, इस क्षेत्र में काफी समय पहले चीन, फारस और रोम के प्राचीन सिक्के मिले थे, इतिहासकारों के मुताबिक ये इस बात के सबूत देते हैं कि यहां पर बंदरगाह के जरिए इन देशों के साथ व्यापार होता था.

चीन और भारत के बीच व्यापारिक के अलावा आध्यात्मिक संबंध भी रहे हैं. भारतीय बौद्ध-भिक्षु ने 520 या 526 ई. में मल्‍लापुरम से ही चीन गए थे और उन्‍होंने वहां बौद्ध धर्म का प्रचार किया था.

मालाबार सैन्य अभ्यास का 23वां संस्करण: भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल

‘मालाबार सैन्य-अभ्यास’ (Malabar Trilateral Maritime Exercise) का 23वां संस्करण 26 सितम्बर से 4 अक्टूबर 2019 तक जापान के ससेबो शहर के समीप पश्चिमी प्रशांत महासागर में आयोजित किया गया. पूर्वी चीन सागर के समीप इस सैन्य अभ्यास में भारत, जापान और अमेरिकी नौसेना शामिल हुए.

23वां मालाबार सैन्य अभ्यास: एक दृष्टि
इस अभ्यास में सतह, उप-सतह और वायु क्षेत्रों में जटिल सामुद्रिक ऑपरेशन शामिल हुए तथा पनडुब्बी-रोधी युद्ध, विमान-रोधी और पनडुब्बी-रोधी फायरिंग, मैरीटाइम इन्टर्डिक्शन ऑपरेशन्स (एमआईओ) पर ध्यान केंद्रित किया गया.

भारत की ओर से इस अभ्यास में 6100 टन वजनी INS सहयाद्रि, पनडुब्बी विध्वंसक INS किल्टन और पी8आई मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट हिस्सा ले रहे हैं. यह पहला मौका है जब जापान में भारत का P8I एयरक्राफ्ट पहुंचा था.

चीन की आपत्ति
चीन पहले से ही समुद्र के इस हिस्से को अपना जलक्षेत्र मानता है और किसी भी प्रकार की सैन्य गतिविधि को सीधा अपनी संप्रभुता का उल्लंघन समझता है. चीन मानता है कि मालाबार अभ्यास के तहत तीन देश उसके खिलाफ सैन्य लामबंदी कर रहे हैं.

वहीं इस अभ्यास के जरिये भारतीय नौसेना यह सामरिक संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह केवल हिंद महासागर के इलाके तक ही अपने को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है.

युद्धाभ्यास के उद्देश्य

  • इस तरह के क्षेत्रों में युद्धाभ्यास करने से नौसेना को प्रायोगिक तौर पर लड़ाई में आने वाली दिक्कतों का अंदाजा हो पाता है. ‘रियल टाइम अटैक स्ट्रैटजी’ में भी नौसेना को फायदा होता है.
  • नौ-सैनिकों को वास्तविक अनुभव मिलता है जिसका फायदा वो युद्ध की स्थिति में उठा पाते हैं, साथ ही नौसेना को वैश्विक स्तर पर भी खुद की स्थिति का पता चलता है.
  • इस तरह की युद्धाभ्यास का लक्ष्य कई बार शक्ति प्रदर्शन भी होता है. ऐसा कर एक देश दूसरे देश को ताकत का अहसास करा कर डर पैदा करना चाहता है.


भारतीय सेना पूर्वोत्तर के चीन सीमा पर ‘हिम विजय’ युद्ध-अभ्यास करेगी

भारतीय सेना पूर्वोत्तर के चीन सीमा पर नियोजित युद्ध-अभ्यास (war exercise) करेगी. इस युद्ध-अभ्यास का नाम ‘हिम विजय’ (Him Vijay) रखा गया है. यह युद्ध-अभ्यास मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश में नव-निर्मित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर की युद्ध लड़ने की क्षमताओं का परीक्षण करेगा. इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना (IAF) भी शामिल होगी जो वास्तविक युद्ध स्थिति के अभ्यासों के लिए हवाई सुरक्षा प्रदान करेगी.

इस दौरान देश के पूर्वी मोर्चे पर वास्तविक युद्ध जैसी स्थिति का निर्माण कर अभ्यास करने के लिए सैन्यबलों को तैनात किया जाएगा. यह चीन की सीमा पर तैनात नव-निर्मित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर द्वारा अपनी तरह का पहला अभ्यास होगा.

युद्ध-अभ्यास ‘हिम विजय’: एक दृष्टि

  • युद्ध अभ्यास के दौरान 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के साथ तैनात किया जाएगा जिससे सेना दुश्मन के खिलाफ तेज और निर्णायक कार्रवाई कर सके.
  • युद्धाभ्यास में अमेरिकी हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर चिनूक का भी इस्तेमाल किया जाएगा. इससे M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को ऊंचाई वाले इलाकों में एयरलिफ्ट करके जल्दी से तैनात करने की क्षमताओं का परीक्षण किया जा सके.
  • चिनूक को अभी तक वायु सेना द्वारा पूर्वोत्तर में शामिल नहीं किया गया है. वहीं M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को K-9 वज्र हॉवित्जर के साथ भारतीय सेना में शामिल किया गया है.
  • इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायु सेना पश्चिम बंगाल में बगदोगरा से सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए अपने परिवहन विमानों सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और एएन-32 विमानों का उपयोग करेगी.