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भारत और पाकिस्तान ने परमाणु ठिकानों और कैदियों की सूची साझा की

भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी 2023 को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची का आदान प्रदान किया था. इन सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया.

भारत ने वर्तमान में देश की जेलों में बंद 339 पाकिस्तानी नागरिक कैदियों और 95 पाकिस्तानी मछुआरों की सूची साझा की. इसी तरह, पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में 51 नागरिक कैदियों और 654 मछुआरों की सूची साझा की.

परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची संबंधी समझौता: एक दृष्टि

  • पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले पर प्रतिबंध संबंधी समझौते (Agreement on Prohibition of Attacks against Nuclear Installations and Facilities) के अनुच्छेद-2 के तहत यह सूची साझा की जाती है. इस समझौते के तहत दोनों देश हर वर्ष 1 जनवरी को इस सूची का आदान प्रदान करते हैं.
  • यह समझौता 31 दिसम्बर 1988 में किया गया था और 27 जनवरी 1991 से अमल में है. 1 जनवरी 1992 को पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी थी.
  • दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद असैन्य कैदियों (civilian prisoners) की सूची का भी 1 जनवरी को आदान-प्रदान करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.

भारत और पाकिस्तान ने परमाणु ठिकानों और कैदियों की सूची साझा की

भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची का आदान प्रदान किया. इन प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया. यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच परमाणु ठिकानों पर हमले के विरुद्ध समझौते (Agreement on Prohibition of Attacks against Nuclear Installations and Facilities) के तहत किया जाता है.

परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची संबंधी समझौता: एक दृष्टि

  • पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले पर प्रतिबंध संबंधी समझौते के अनुच्छेद-2 के तहत यह सूची साझा की जाती है. इस समझौते के तहत दोनों देश हर वर्ष 1 जनवरी को इस सूची का आदान प्रदान करते हैं.
  • यह समझौता 31 दिसम्बर 1988 में किया गया था और 27 जनवरी 1991 से अमल में है. 1 जनवरी 1992 को पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी थी.
  • दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी 1 जनवरी को आदान-प्रदान करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.

भारत और पाकिस्‍तान ने अपनी हिरासत में मौजूद नागरिकों की सूची का आदान-प्रदान किया

भारत और पाकिस्तान ने 1 जुलाई को एक-दूसरे को अपनी हिरासत में मौजूद कैदियों और मछुआरों की सूची का आदान-प्रदान किया. सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया.

भारत ने अपनी हिरासत में मौजूद 265 पाकिस्‍तानी आम नागरिकों और 97 मछुआरों की सूची सौंपी. पाकिस्‍तान ने अपनी हिरासत में मौजूद 54 आम नागरिकों और 270 मछुआरों की सूची सौंपी.

भारत और पाकिस्‍तान ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का आदान-प्रदान प्रत्‍येक वर्ष पहली जनवरी और पहली जुलाई को करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.

IMD मौसम रिपोर्ट में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को भी शामिल किया गया

भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मौसम रिपोर्ट में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र- मुजफ्फराबाद और गिलगित-बाल्टिस्तान को शामिल किया जाना हाल के दिनों में चर्चा में रहा है.

दरअसल IMD ने जम्मू और कश्मीर के अपने मौसम संबंधी उप-मंडल का उल्लेख ‘जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद’ के रूप में करना शुरू किया है. इनमें मुजफ्फराबाद और गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के अंतर्गत आते हैं.

IMD द्वारा यह परिवर्तन 5 मई से उत्तर-पश्चिमी डिविजन के दैनिक पूर्वानुमान में दिखाई देना शुरू हुआ था. देश में इस समय 36 मौसम संबंधी उप-मंडल हैं. इन्हें राज्य की सीमाओं के साथ परिभाषित किया गया है.

उत्तर पश्चिम डिविजन के तहत 9 उप-मंडल (सबडिवीजन) आते हैं जिसमें जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली-चंडीगढ़-हरियाणा, पंजाब, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी राजस्थान शामिल हैं.

घटनाक्रम का महत्व

इस घटनाक्रम का महत्व ऐसे समय में काफी बढ़ जाता है जब भारत ने हाल ही एक बार फिर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि POK भारत का हिस्सा है. इसमें बगैर भारत की अनुमति के किसी तरह की छेड़खानी सहन नहीं की जाएगी.

IMD ने मुजफ्फराबाद और गिलगित-बाल्टिस्तान के लिये मौसम पूर्वानुमान जारी करना तब शुरू किया गया है जब कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गिलगिट-बाल्टिस्तान में चुनाव की अनुमति दी थी.

पाकिस्तान और चीन का संयुक्त हित

  1. वर्तामान में पाकिस्तान, POK को देश का ‘स्वतंत्र हिस्सा’ मानता है. यहाँ पृथक सरकार चलती है. POK के अपने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति हैं.
  2. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China–Pakistan Economic Corridor- CPEC), गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है.
  3. POK के इस हिस्से में चीन तभी पूंजी निवेश करेगा, जब यह हिस्सा पूरी तरह पाकिस्तान के नियंत्रण में न आ जाए. यह यहाँ नई सरकार के गठन से ही यह संभव है.
  4. इस कारण पाकिस्तान ने POK के उपरी हिस्से गिलगित-बाल्टिस्तान को देश का पांचवां प्रदेश बनाने का मंसूबा तैयार किया है. अभी पाकिस्तान में चार प्रांत सिंध, पंजाब, खैबर पख्तूनख्वाह और बलूचिस्तान हैं.

भारत और पाकिस्तान ने परमाणु ठिकानों और कैदियों की सूची साझा की

भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी को एक-दूसरे को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची सौंपी. इन प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया. यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच परमाणु ठिकानों पर हमले के विरुद्ध समझौते (Agreement on Prohibition of Attacks against Nuclear Installations and Facilities) के तहत किया जाता है.

परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची संबंधी समझौता: एक दृष्टि

  • पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले पर प्रतिबंध संबंधी समझौते के अनुच्छेद-2 के तहत यह सूची साझा की जाती है. इस समझौते के तहत दोनों देश हर वर्ष 1 जनवरी को इस सूची का आदान प्रदान करते हैं.
  • यह समझौता 31 दिसम्बर 1988 में किया गया था और 27 जनवरी 1991 से अमल में है. 1 जनवरी 1992 को पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी थी.
  • दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी 1 जनवरी को आदान-प्रदान करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.

प्रधानमंत्री ने 550वें प्रकाश वर्ष पर करतारपुर गलियारे के उदघाटन किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 9 नवम्बर को पंजाब में गुरूदासपुर के डेरा बाबा नानक में करतारपुर गलियारे की समन्वित जांच चौकी का उदघाटन किया. उन्‍होंने कहा कि करतारपुर गलियारे के खुलने के बाद दरबार साहिब गुरूद्वारा पर मत्‍था टेकना सरल हो जायेगा. उन्‍होंने भारत की इस भावना को समझने के लिए पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का धन्‍यवाद किया.

प्रधानमंत्री नानक देव जी के 550वें प्रकाश वर्ष पर गुरुदासपुर के डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे पहुंचे थे. उन्होंने सुल्‍तानपुर लोधी में गुरूद्वारा बेरसाहिब में मत्था टेका. यहाँ प्रधानमंत्री को शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति अमृतसर ने कौमी सेवा पुरस्कार प्रदान किया. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर 550 रूपये का एक यादगारी सिक्‍का और पांच यादगारी डाक टिकटें भी जारी कीं.

करतारपुर साहिब गलियारा (कोरिडोर): एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2018 में देश भर में और पूरे विश्व में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती शानदार तरीके से मनाने की मंजूरी दी थी.
  • चार किलोमीटर से ज्‍यादा यह कोरिडोर पाकिस्तान (पंजाब प्रांत के नारोवल जिले) के करतारपुर में स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब और पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक शाइन को जोड़ेगा.
  • करतारपुर दरबार साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है. यह पाकिस्तान के पंजाब में भारत-पाक सीमा से 3-4 किलोमीटर दूर स्थित है.
  • इसकी स्थापना सिख धर्म के पहले गुरु गुरुनानक देवजी द्वारा 1522 में की गयी थी. यहाँ गुरुनानक देवजी ने अपने जीवन के 18 वर्ष बिताए थे.

भारत ने ‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ में पाकिस्तान की शिकायत की

भारत ने 28 अक्टूबर को ‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ (International Civil Aviation Organisation) में पाकिस्तान की शिकायत की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब दौरे के लिए विमान को अपने एयरस्पेस से उड़ने की मंजूरी न देने के कारण यह शिकायत की गयी है.

यह दूसरा मौका है, जब पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विमान को अपने एयरस्पेस से उड़ने की अनुमति नहीं दी है. इससे पहले सितंबर में उनके अमेरिका दौरे के वक्त भी पाकिस्तान ने ऐसा ही किया था.

‘अंरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संस्था’ एक वैश्विक संस्था है. इसके नियमों के मुताबिक एक देश मंजूरी मांगता है और दूसरा देश इसकी अनुमति देता है.

भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गलियारा खोले जाने के समझौते पर हस्ताक्षर किये

भारत और पाकिस्तान ने 24 अक्टूबर को करतारपुर साहिब गलियारा खोले जाने के समझौते पर हस्ताक्षर किए. बाबा गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाशोत्सव पर डेरा बाबा नानक में जीरो प्वाइंट पर दोनों देशों के अधिकारियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 9 नवंबर को डेरा बाबा नानक सीमा पर गलियारे का उद्घाटन करेंगे और 550 सदस्यों वाली पहले जत्थे को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे.

समझौते के मुख्य बिंदु

  1. समझौते के अनुसार सभी धर्मों के पांच हजार भारतीय श्रद्धालु और भारतीय मूल के लोग करतारपुर साहिब दर्शन के लिए वीजा मुक्त यात्रा कर सकेंगे. श्रद्धालुओं को अपने साथ केवल एक वैध पासपोर्ट लाना होगा.
  2. करतारपुर कॉरिडोर सुबह सूर्योदय से शाम तक खुला रहेगा. सुबह आने वाले श्रद्धालुओं को उसी दिन शाम को लौटना होगा. यह गलियारा कुछ अधिसूचित दिनों के अलावा वर्ष भर खुला रहेगा.
  3. भारत, यात्रा से दस दिन पहले श्रद्धालुओं की सूची पाकिस्‍तान को भेजेगा और पाकिस्‍तान से यात्रा से चार दिन पहले श्रद्धालुओं की अंतिम सूची जारी की जायेगी.
  4. समझौते से पहले भारत ने पाकिस्तान की ओर से प्रति श्रद्धालु 20 डॉलर का शुल्क लगाने के फैसले को लेकर उनसे पुनर्विचार करने के लिए कहा है. हालांकि इस कॉरिडोर की अहमियत के मद्देनजर फिलहाल मौजूदा सहमतियों के साथ आगे बढ़ने का फैसला भी किया गया.

करतारपुर साहिब गलियारा (कोरिडोर): एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने नवंबर 2018 में देश भर में और पूरे विश्व में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती शानदार तरीके से मनाने की मंजूरी दी थी.
  • चार किलोमीटर से ज्‍यादा यह कोरिडोर पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित गुरूद्वारा दरबार साहिब और पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक शाइन को जोड़ेगा.
  • करतारपुर दरबार साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के तट पर स्थित है. यहाँ गुरुनानक देवजी ने अपने जीवन के 18 वर्ष बिताए थे.

ब्रिटेन के कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के फंड को लेकर एक मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया

ब्रिटेन के एक हाई कोर्ट ने हैदराबाद के निजाम के फंड को लेकर दशकों से चल रहे मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. भारत विभाजन के दौरान निजाम की लंदन के एक बैंक में जमा रकम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मुकदमा चल रहा था.

लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस के जज मार्कस स्मिथ ने 2 अक्टूबर को अपने फैसले में कहा कि हैदराबाद के 7वें निजाम उस्मान अली खान इस फंड के मालिक थे और फिर उनके बाद उनके वंशज और भारत, इस फंड के दावेदार हैं. निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह इस मुकदमे में भारत सरकार के साथ थे.


क्या है मामला?
देश के विभाजन के दौरान 1948 में हैदराबाद के तत्कालीन 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे. निजाम ने यह राशि ब्रिटेन में पाकिस्तान के उच्चायुक्त को ये रकम भेजी थी. अब यह राशि बढ़कर करीब 35 मिलियन पाउंड (करीब 3 अरब 8 करोड़ 40 लाख रुपये) हो चुकी है.

इस भारी रकम पर दोनों ही देश अपना हक जता रहे थे. भारत का समर्थन करने वाले निजाम के वंशज इस रकम पर अपना हक जताते हैं. दोनों देशों की बीच यह विवाद 1948 से ही चला आ रहा था.

भारत ने थार लिंक एक्सप्रेस का संचालन रद्द किया

भारत ने 16 अगस्त से थार लिंक एक्सप्रेस का संचालन रद्द किया करने की घोषणा की. इस ट्रेन का संचालन अग्रिम आदेशों तक अप और डाउन लाइनों पर रद्द रहेगी.
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने और उसका 2 केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में पुनर्गठन किए जाने के बाद पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस पर रोक लगाई थी, जिसके बाद भारत ने भी समझौता एक्सप्रेस के संचालन पर रोक लगा दी थी.

मुख्य तथ्यों पर एक दृष्टि

  • थार एक्सप्रेस: थार एक्सप्रेस 18 फरवरी 2006 से जोधपुर (मुनाबाओ) के भगत की कोठी स्टेशन से कराची के बीच हर शुक्रवार की रात को चलती थी. थार एक्सप्रेस राजस्थान सीमा के आर-पार रहने वाले लोगों के बीच लोकप्रिय रही है.
  • समझौता एक्सप्रेस: समझौता एक्सप्रेस की शुरुआत 22 जुलाई, 1976 को शिमला समझौते के तहत हुई थी. भारत में यह ट्रेन दिल्ली से अटारी तक जाती है, जबकि पाकिस्तान में यह ट्रेन लाहौर से वाघा तक जाती है. इस ट्रेन 52 किलोमीटर की दूरी तय करती है. यह ट्रेन लाहौर जंक्शन, वाघा रेलवे स्टेशन, अटारी, खासा रेलवे स्टेशन, छेहरटा रेलवे स्टेशन तथा अमृतसर से होते हुए दिल्ली तक जाती है.


पाकिस्तान ने ‘समझौता एक्सप्रेस’ ट्रेन का संचालन बंद करने का निर्णय लिया

पाकिस्तान ने ‘समझौता एक्सप्रेस’ ट्रेन सेवा को स्थायी तौर पर बंद करने का 8 अगस्त को निर्णय लिया. इससे पहले पाकिस्तान ने भारत से राजनयिक संबंधों में कमी की थी और दोनों देशों के बीच होने वाले व्यापर को भी निलंबित कर दिया था. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने यह निर्णय लिया है. इस अनुच्छेद के कारण जम्‍मू कश्‍मीर में केंद्र सरकार के कानून लागू नहीं हो रहे थे. इस कारण पाकिस्‍तान द्वारा आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ावा दिया जा रहा था.

समझौता एक्सप्रेस: एक दृष्टि
समझौता एक्सप्रेस भारत एवं पाकिस्तान के मध्य चलने वाली ट्रेन (रेलगाड़ी) सेवा है. यह ट्रेन 22 जुलाई 1976 को अटारी-लाहौर के बीच शुरू हुई थी. समझौता एक्सप्रेस अटारी-वाघा के बीच केवल 3 किमी का रास्ता तय करती है.


पाकिस्तान ने भारत के साथ व्यापार और राजनीयिक संबंधों को निलंबित किया

पाकिस्तान ने भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को निलंबित करने और राजनीयिक संबंधों का दर्जा घटाने (डाउनग्रेड) का 7 अगस्त को निर्णय लिया. इस निर्णय के बाद पाकिस्तान ने भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को भारत लौटने के लिए कहा है. फिलहाल भारत में पाकिस्तान का कोई उच्चायुक्त नहीं है.

भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गये विशेषाधिकार के प्रावधानों को खत्म करने के परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान ने यह निर्णय लिया है.