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क्या है कच्चातिवु की कहानी, भारत सरकार ने इसे श्रीलंका को क्यों दिया था

कच्चातिवु द्वीप (Katchatheevu Island) का मुद्दा हाल के दिनों में चर्चा में रहा है. दरअसल के. अन्नामलाई ने आरटीआई दायर कर कच्चातिवु के बारे में पूछा था. आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि सन 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने एक समझौता किया था. इसके तहत कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • कच्चातिवु द्वीप 285 एकड़ का हरित क्षेत्र है जो 1976 तक भारत का था. यह भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के नेदुन्तीवु के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित है. यह बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है.
  • यह द्वीप सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. यह द्वीप कई दशकों से दोनों देशों के बीच विवाद और मतभेद का विषय रहा जो वर्तमान समय में श्रीलंका द्वारा प्रशासित है.
  • साल 1974 में तत्कालीन PM इंदिरा गांधी ने श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. इन्हीं समझौते के तहत कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया था.
  • भारत में कच्चातीवु का हस्तांतरण अवैध माना जाता है क्योंकि इसे भारतीय संसद द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था. भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बेरुबारी यूनियन मामले (1960) में फैसला सुनाया कि भारतीय क्षेत्र को किसी अन्य देश को हस्तांतरित करने के लिए संसद द्वारा संविधान संशोधन अधिनियम के माध्यम से अनुमोदन किया जाना चाहिए.

कच्चातिवु का इतिहास

  • कच्चातिवू द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुआ था. यह कभी 17वीं शताब्दी में मदुरई के राजा रामानद के अधीन था.
  • ब्रिटिश शासनकाल में यह द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया. 1921 में श्रीलंका और भारत दोनों ने मछली पकड़ने के लिए भूमि पर दावा किया और विवाद अनसुलझा रहा. आजादी के बाद इसे भारत का हिस्सा माना गया.
  • साल 1974 में 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच इस द्वीप के बारे में बातचीत हुई. इन्हीं दो बैठकों में कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया.
  • 1974 के समझौते ने भारतीय मछुआरों को अपने जाल सुखाने और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए द्वीप के चर्च का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी.
  • हालाँकि, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) का 1976 में किया गया सीमांकन, 1974 के समझौते का स्थान ले लेता है, जिससे द्वीप पर इन गतिविधियों में संलग्न होने के भारतीय मछुआरों के अधिकार प्रभावी रूप से समाप्त हो जाते हैं.

भारत और श्रीलंका के बीच नौवां ‘मित्र-शक्ति’ संयुक्त अभ्यास पुणे में आयोजित किया गया

भारत और श्रीलंका के बीच 16 से 29 नवंबर 2023 तक संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति-2023’ आयोजित किया गया था. यह मित्र शक्ति का नौवां संस्करण था जिसे औंध (पुणे) में आयोजित किया गया था.

मित्र शक्ति: मुख्य बिन्दु

  • भारतीय टुकड़ी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से की मराठा लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के सैनिकों द्वारा किया गया था. श्रीलंकाई पक्ष का प्रतिनिधित्व 53 इन्फैंट्री डिवीजन के सैनिकों ने किया.
  • अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत उप पारंपरिक संचालन का संयुक्त रूप से पूर्वाभ्यास करना था.
  • अभ्यास के दायरे में आतंकवाद विरोधी अभियानों के दौरान संयुक्त प्रतिक्रियाओं का समन्वय शामिल था. दोनों पक्ष छापेमारी, खोज और मिशन को नष्ट करने, हेलिबोर्न ऑपरेशन आदि जैसी सामरिक कार्रवाइयों का अभ्यास किया.
  • ‘मित्र शक्ति’-2023 में हेलीकॉप्टरों के अलावा ड्रोन और काउंटर मानव रहित हवाई प्रणालियों का उपयोग भी शामिल था.
  • मित्र शक्ति अभ्यास की शुरुआत 2012 में दक्षिण एशिया तथा हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से हुई थी.

केंद्रीय वित्‍त मंत्री ने श्रीलंका की तीन दिन की राजकीय यात्रा संपन्न की

केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारामन 1 से 3 नवंबर तक श्रीलंका की राजकीय यात्रा पर थे. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच महत्‍वपूर्ण वार्ताएं और राजनयिक विचार-विमर्श हुए थे.

मुख्य बिन्दु

  • वित्‍त मंत्री सीतारामन ने श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिलों के आगमन के 200 वर्ष पूरे होने के अवसर पर श्रीलंका सरकार द्वारा आयोजित ‘नाम टू हंड्रेड’ सम्‍मेलन को संबोधित किया था. समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रम सिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्धने भी शामिल थे.
  • उन्होंने ‘भारत-श्रीलंका व्यापार शिखर सम्मेलन’ को भी सम्‍बोधित किया. सम्मेलन का विषय था- सम्‍पर्क वृद्धि: समृद्धि के लिए भागीदारी. इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार को बढ़ावा देना था.
  • वित्तमंत्री श्रीलंका के नेताओं के साथ भी वार्ता किए जिसमें दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के कार्यनीतिक महत्व पर जोर दिया गया.
  • ऊर्जा क्षेत्र में सक्षमता के लिए वित्तमंत्री की उपस्थिति में श्रीलंका में धार्मिक स्‍थलों के सौर विद्युतीकरण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए. भारत इस परियोजना के लिए भारत 82.40 करोड रुपए आवंटित करेगा.
  • भारत ने गत वर्ष श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान उसे चार अरब अमरीकी डॉलर की अभूतपूर्व मानवीय सहायता प्रदान की थी.

श्रीलंका के राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघ की भारत यात्रा

श्रीलंका के राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघ 20-21 जुलाई को भारत की यात्रा पर थे. भारत और श्रीलंका के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर वे प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के निमंत्रण पर भारत पहुंचे थे. राष्‍ट्रपति का कार्यभार संभालने के बाद श्री विक्रमसिंघ की यह पहली भारत यात्रा थी.

मुख्य बिन्दु

  • प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और श्रीलंका के राष्‍ट्रपति रानिल विक्रमसिंघ ने नई दिल्‍ली में द्विपक्षीय बैठक की.
  • बैठक में दोनों देशों ने आर्थिक सहयोग से जुडे महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में पांच महत्वपूर्ण समझौते किये. दोनों देशों के बीच पर्यटन क्षेत्र में सहयोग पर प्रमुख रूप से चर्चा की गई.
  • इन समझौते में नवीकरणीय ऊर्जा पर एक समझौता और श्रीलंका के त्रिंकोमाली में आर्थिक विकास परियोजनाओं पर सहयोग शामिल है.
  • श्रीलंका में यू.पी.आई. के जरिये लेन-देन के लिए एन.आई.पी.एल. और श्रीलंका पे के बीच समझौता हुआ. इससे दोनों देशों के बीच भुगतान प्रणाली आसान होगी.
  • संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिलों के लिए 75 करोड रुपयों की विभिन्न परियोजनाओं की घोषणा की गयी.
  • श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघ की भारत यात्रा दोनों देशों के बीच मौजूद दोस्‍ती को मजबूत करेगी और साथ ही सभी क्षेत्रों में सहयोग को और बढावा देने में लाभकारी होगी.
  • भारत ने 2022 के श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान आवश्यक वस्‍तुओं के लिए मानवीय सहायता के रूप में चार अरब डॉलर प्रदान किया था. श्री
  • लंका भारत की नेबरहुड फर्स्‍ट नीति और विजन सागर यानी क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास में एक महत्‍वपूर्ण भागीदार है.

श्रीलंका में, भारत सरकार के सहयोग से जाफना सांस्‍कृतिक केन्‍द्र का निर्माण

श्रीलंका में, भारत सरकार के आर्थिक सहयोग से निर्मित जाफना सांस्‍कृतिक केन्‍द्र का उद्घाटन 11 फ़रवरी को किया गया. इस अवसर पर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे तथा सूचना और प्रसारण राज्‍य मंत्री डॉ. एल मुरुगन उपस्थित थे.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने वर्ष 2015 में जाफना सांस्‍कृतिक केन्‍द्र की आधारशिला रखी थी. श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने जाफना सांस्कृतिक केन्द्र को प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और भारत सरकार की ओर से उपहार बताया है.

उन्होंने आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका की मदद के लिए भी भारत सरकार के प्रति आभार प्रकट किया है. डॉ. मुरुगन ने कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी प्रधानमंत्री मोदी की पड़ोसी प्रथम नीति के अनुरुप हैं.

विदेश मंत्री ने मालदीव और श्रीलंका की यात्रा संपन्न की

विदेश मंत्री डॉक्‍टर सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर 18 से 20 जनवरी तक मालदीव और श्रीलंका की यात्रा पर थे. दोनों देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तार देने के लिए यह यात्रा काफी अहम थी.

मालदीव और श्रीलंका दोनों हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसी हैं और प्रधानमंत्री के ‘नेबरहुड फर्स्ट’ के दृष्टिकोण में एक विशेष स्थान रखते हैं.

मालदीव

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस यात्रा की शुरुआत मालदीव से की थी. यहां पहुंचने पर उन्होंने मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात कर द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति का जायजा लिया.
  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीवी विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस वार्ता में द्विपक्षीय विकास सहयोग से संबंधित समझौतों पर हस्ताक्षर हुए.
  • दोनों नेताओं की इस बैठक में भारत समर्थित मौजूदा परियोजनाओं की समीक्षा की गयी. दोनों देशों ने सहमति पत्रों पर भी हत्‍साक्षर किए. इनमें उच्‍च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिए दस करोड़ रुफिया के अतिरिक्त अनुदान का सहमति-पत्र भी शामिल है.
  • डॉ. जयशंकर ने ग्रेटरमाले कनेक्टिविटी परियोजना सहित भारत समर्थित सहित कई और परियोजनाओं की समीक्षा की.
  • डॉ. जयशंकर ने राष्ट्रपति इब्राहिम सालेह के साथ हनीमधु अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे ग्राउंड ब्रेकिंग समारोह में भी भाग लिए. यह विकास परियोजना राजधानी क्षेत्र के बाहर सबसे बड़े निवेशों में से एक है.

श्रीलंका

  • यात्रा के दूसरे चरण में वे श्रीलंका दौरे पर गए थे. उनकी यह यात्रा ऐसे समय थी जब श्रीलंका अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्राप्त करने के प्रयास कर रहा है.
  • श्रीलंका में श्री जयशंकर ने वहां के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधान मंत्री दिनेश गुणवर्धने से मुलाकात की.
  • उन्होंने विदेश मंत्री एम.यू.एम. अली साबरी के साथ भी भारत-श्रीलंका साझेदारी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस वार्ता में दोनों देशों के बीच साझेदारी के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई.
  • इस वार्ता में मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे, संपर्क, ऊर्जा, उद्योग और स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में सहयोग पर विचार-विमर्श हुआ.

चीनी पोत ‘युवान वांग-5’ श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पर, भारत के लिए चिंता

चीनी अनुसंधान पोत ‘युवान वांग-5’ 16 अगस्त को श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह (Hambantota Port) पहुंचा. श्रीलंका ने इस पोत को अपने हम्‍बनटोटा बंदरगाह पर 16 से 22 अगस्त तक ठहरने की अनुमति दी थी. चीन के इस पोत को आमतौर पर जासूस पोत माना जाता है जिसे लेकर भारत ने अपनी चिंता जाहिर की थी.

भारत की चिंता

  • ‘युवान वांग-5’ चीन का एक उपग्रह और मिसाइल निगरानी पोत है. इस जहाज के हम्बनटोटा बंदगाह पर उतारे जाने पर भारत ने श्रीलंका से अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता जताई थी, जिसके कारण श्रीलंका को चीनी जहाज को अपने बंदरगाह पर उतरने की अनुमति देने में देरी हुई. इससे पहले यह जहाज 11 अगस्त को आने वाला था.
  • भारत के अनुसार यह एक जासूसी जहाज है. जासूसी जहाज समुद्र के तल का नक्शा बना सकता है जो चीनी नौसेना के पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए महत्वपूर्ण है.
  • यह पोत, हिंद महासागर क्षेत्र के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में उपग्रह अनुसंधान कर सकता है, जिससे भारत के लिए सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हो सकती हैं.

हंबनटोटा बंदरगाह

हंबनटोटा बंदरगाह, कोलंबो से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. श्रीलंका ने यह बंदरगाह चीन को कर्ज के बदले में लीज पर दिया है. श्रीलंका सरकार ने चीन से लिए गए कर्ज को चुकाने के लिए काफी संघर्ष किया जिसके बाद बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीनियों को सौंप दिया गया.

भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर समुद्री टोही विमान उपहार में दिया

भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर समुद्री टोही विमान उपहार में दिया है. 15 अगस्त को कातुनायके में श्रीलंका के वायुसेना अड्डे पर विशेष कार्यक्रम में यह विमान सौंपा गया. इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा मजबूत करना है.

  • श्रीलंका की नौसेना और वायुसेना के सदस्य  चार महीने तक इस विमान के संचालन का प्रशिक्षण भारत में ले चुके हैं.
  • यह विमान बहुमुखी सुरक्षा का काम करेगा और श्रीलंका को समुद्र तटीय क्षेत्र में मानव तथा मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य संगठित अपराधों से जुड़ी चुनौतियों से निपटने में अधिक सक्रिय रूप से मदद करेगा.

भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच युद्धाभ्यास ‘स्लाइनेक्स’ आयोजित किया गया

भारत और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच 6 से 10 मार्च तक संयुक्त युद्धाभ्यास ‘स्लाइनेक्स’ (SLINEX) का आयोजन किया गया था. यह इस युद्धाभ्यास का नौवां संस्करण है. यह युद्धाभ्यास दो चरणों में आयोजित किया गया था. इसका पहला चरण 7 और 8 मार्च को विशाखापट्टणम में, जबकि दूसरा चरण 9 और 10 मार्च को बंगाल की खाड़ी में आयोजित किया गया.

  • श्रीलंका की नौसेना का नेतृत्व युद्धपोत SLNS सयुराला ने किया, जबकि भारतीय नौसेना आईएनएस क्रीच की अगुवाई में युद्धाभ्यास में भाग लिया.
  • युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना के आईएनएस ज्योति, अत्‍याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर, सीकिंग और चेतक हेलीकॉप्टर तथा डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान ने हिस्सा लिया.
  • इससे पहले अक्तूबर 2020 में स्लाइनेक्स युद्धाभ्यास का आयोजन किया गया था. इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच बहुआयामी समुद्री संचालन के लिए आपसी समझ बढ़ाना है.

एक्जिम बैंक ने श्रीलंका को 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा के लिये समझौता किया

भारतीय निर्यात आयात बैंक (EXIM बैंक) ने श्रीलंका को पेट्रोलियम उत्पादों के वित्तपोषण के लिये 50 करोड़ डॉलर की ऋण सुविधा के लिये समझौता किया है. इसके साथ एक्जिम बैंक भारत सरकार की तरफ से अबतक श्रीलंका को कुल 2.18 अरब डॉलर मूल्य की 10 कर्ज सुविधाएं उपलब्ध करा चुका है.

मुख्य बिंदु

  • श्रीलंका को दी गयी कर्ज सुविधाओं के तहत शामिल परियोजनाओं में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति, रेलवे और रक्षा और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं.
  • श्रीलंका में डॉलर के संकट के कारण ईंधन आयात करने की श्रीलंका की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है. भारत ने 13 जनवरी, 2022 में श्रीलंका को 400 मिलियन अमरीकी डालर की मुद्रा अदला-बदली (currency swap) की थी.

समुद्री सुरक्षा को लेकर भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच त्रिपक्षीय वार्ता

भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर 28 नवम्बर को कोलंबो में एक त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित किया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने इस वार्ता में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इससे पहले इस तरह की बैठक 2014 में नई दिल्ली में हुई थी.

इस वार्ता में श्रीलंका के डिफेंस सेक्रेटरी रिटायर्ड मेजर जनरल कमल गुनारत्ने और मालदीव की रक्षा मंत्री मारिया दीदी और भारत की ओर से अजीत डोभाल ने हिस्सा लिया. श्रीलंका के विदेश मंत्री दिनेश गुणावर्धने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे.

इस त्रिपक्षीय वार्ता में तीनों देशों ने क्षेत्र में वर्तमान समुद्री सुरक्षा वातावरण का जायजा लिया और समुद्री जागरूकता, मानवीय सहायता, आपदा राहत, संयुक्त अभ्यास, क्षमता निर्माण, समुद्री सुरक्षा और समुद्री प्रदूषण के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर चर्चा की.

भारत-श्रीलंका सैन्य अभ्‍यास ‘स्‍लीनैक्‍स 2020’ श्रीलंका के त्रिंकोमाली में आयोजित किया गया

भारत और श्रीलंका के नौसेना का वार्षिक अभ्‍यास ‘स्‍लीनैक्‍स (SLINEX) 2020’ का आयोजन 19 से 21 अक्टूबर तक श्रीलंका के त्रिंकोमाली में किया गया. यह SLINEX-20 का 8वां संस्करण था. इस अभ्‍यास में नौसेना बेड़े के कमांडिंग फ्लैग आफिसर सहित श्रीलंका की नौसेना के कर्मचारीयों ने हिस्सा लिया.

SLINEX नौसैन्य अभ्यास: एक दृष्टि

SLINEX नौसैन्य अभ्यास भारत और श्रीलंका के नौसेनाओं के बीच प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है. इसका उद्देश्य दोनो नौसेनाओं के बीच परस्पर सहयोग, आपसी तालमेल में सुधार करना है.

भारत ने श्रीलंका के साथ 40 करोड़ डॉलर की मुद्रा विनिमय का अनुबंध किया

भारत और श्रीलंका ने हाल ही में 40 करोड डॉलर के मुद्रा विनिमय (अदला-बदली) समझौता किया था. इस समझौते में दोनों पड़ोसी देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के उपायों पर विचार किया गया था.

इस समझौते के अनुबंध दस्‍तावेज पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और श्रीलंका के केंद्रीय बैंक ने 26 जुलाई को हस्‍ताक्षर किये. समझौते पर हस्ताक्षर दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के फ्रेमवर्क तहत किया गया है.

दोनों देशों के बीच मुद्रा विनिमय का उपयोग विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने और देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जाएगा. यह मुद्रा विनिमय समझौता नवम्‍बर 2022 तक मान्य होगा.

मुद्रा विनिमय (Currency Swap) क्या है?

मुद्रा विनिमय दो देशों के बीच एक विदेशी मुद्रा विनिमय अनुबंध है. यह अनुबंध दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच होता है. इस अनुबंध में एक देश का केंद्रीय बैंक दूसरे देश के केंद्रीय बैंक को विदेशी मुद्रा (सामान्यतः अमेरिकी डॉलर) प्रदान करता है.

विदेशी मुद्रा प्राप्त करने वाले देश का केंद्रीय बैंक पूर्व निर्धारित समय में बाजार विनिमय दर के अनुसार उस देश की मुद्रा के समान धनराशि लौटा देता है. यह समझौता एक मुद्रा के बदले दूसरी मुद्रा प्राप्त करने हेतु एक निश्चित समय के लिये किया जाता है.