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मिस्र के पूर्व-राष्ट्रपति मोहम्मद होस्नी मुबारक का निधन

अरब गणराज्य मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद होस्नी मुबारक का 25 फरवरी को निधन हो गया. वे 91 वर्ष के थे. होस्नी मुबारक तीस वर्ष तक मिस्र के राष्ट्रपति रहे थे. वे मिस्र के चौथे राष्ट्रपति थे. मुबारक के नेतृत्व में 1991 में खाड़ी युद्ध में मिस्र ने सक्रिय भागीदारी निभाई थी.

मोहम्मद होस्नी मुबारक को 1975 में उप-राष्ट्रपति नियुक्त किया गया था. 14 अक्टूबर 1981 को राष्ट्रपति अनवर अल-सदात की हत्या के बाद उन्होंने राष्ट्रपति का पद संभाला था. मुहम्मद अली पाशा के बाद वे सबसे लंबे समय से मिस्र के शासक रहे थे. वर्ष 1995 में इन्हें जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

मुबारक को देशभर में 18 दिन चले विरोध प्रदर्शनों के बाद 11 फरवरी, 2011 को इस्तीफा देना पड़ा था. बाद में मुबारक को गिरफ्तार कर लिया गया और प्रदर्शनकारियों की मौत तथा भ्रष्टाचार के मामले में उन पर मुकदमा चलाया गया. उन्हें 2012 में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई लेकिन 2017 तक उन्हें सभी आरोपों से बरी करने के बाद रिहा कर दिया गया.

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मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इस्तीफा दिया

मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने 24 फरवरी को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपना इस्तीफा वहां के राजा सुल्तान अब्दुल्लाह सुल्तान शाह को सौंपा. महातिर के इस्तीफे के साथ ही मलेशिया में अब नई सरकार के गठन की संभावनाएं तेज हो गईं हैं. महातिर ने उप-प्रधानमंत्री वान अजीजा वान इस्माइल को देश के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया है.

94 वर्षीय महातिर की पार्टी (युनाइटेड इंडेजेनियस पार्टी ऑफ मलेशिया या PPBM) गठबंधन से अलग हो गई है. महातिर ने पार्टी अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दे दिया है.

महातिर के इस्तीफा देने का कारण

हाल के दिनों में महातीर और अनवर इब्राहिम के बीच टकराव खुलकर सामने आ गया था. दोनों ने 2018 में मिलकर सरकार बनाई थी. उस दौरान महातिर ने अपनी सहयोगी पार्टी को भी सत्ता सौंपने की बात कही थी. अनवर ने महातिर पर धोखेबाजी का आरोप लगाया और सत्ता सौंपने का अपना वादा नहीं निभाने का आरोप लगाया.

भारत के द्विपक्षीय मामले में दखल देने के कारण महातिर चर्चा में रहे थे

महातिर मोहम्मद भारत के द्विपक्षीय मामले में दखल देने के कारण हाल के दिनों में चर्चा में रहे थे. उन्होंने भारतीय संविधान से अनुच्छेद-370 और 35A में संशोधन मामले में भारत विरोधी बयान दिया था. मोहम्मद ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का भी विरोध किया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने मलेशियाई राजदूत को बुलाकर साफ कर दिया था कि भारत इसे आंतरिक मामलों में दखल मानता है.

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मैनूएल मॅरो क्रूज को क्‍यूबा के नये प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये

क्‍यूबा में राष्‍ट्रपति मिगेल दीयास ने मैनूएल मॅरो क्रूज को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. यहाँ जनवरी 2019 में देश में नया संविधान बनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री के पद का प्रावधान किया गया है.

क्‍यूबा के पूर्व नेता फिदेल कास्‍त्रो ने 1976 में प्रधानमंत्री का पद समाप्‍त कर दिया था. इस प्रकार मैनूएल मॅरो क्रूज क्‍यूबा में 40 वर्ष बाद देश के नए प्रधानमंत्री नियुक्‍त किये गये हैं. श्री मॅरो एक वास्‍तु शिल्‍पी हैं और 16 वर्षों तक क्‍यूबा के पर्यटन मंत्री रहे हैं.

पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो 1959 से 1976 तक देश के प्रधानमंत्री रहे और जब देश में संविधान लागू हुआ तब उनका पद राष्ट्रपति के रूप में परिवर्तित हो गया और प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया गया था.

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ब्रिटेन आम चुनाव में मौजूदा प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के नेतृत्व वाली कंजरवेटिव पार्टी ने जीत दर्ज की

ब्रिटेन आम चुनाव में मौजूदा प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की कंजरवेटिव पार्टी ने जीत दर्ज की है. 650 सदस्‍यों वाले निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) में कंजर्वेटिव पार्टी ने 365 सीटें जीत कर स्पस्ट बहुमत प्राप्त किया है. विपक्षी लेबर पार्टी को 203 सीटें मिली है. स्‍कॉटिश नेशनलिस्‍ट पार्टी-एसएनपी को 48, लिबरल डेमोक्रेट्स को 11 और डेमोक्रेटिक यूनियनिस्‍ट पार्टी को आठ सीटें मिली हैं. इस जीत के साथ ही ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग करने (ब्रेग्जिट) पर अनिश्चितता खत्म हो गयी है.

ब्रिटेन में नई संसद के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ के 650 सदस्यों के चुनाव के लिए 12 दिसम्बर को मतदान हुआ था. वर्ष 2016 में यूरोपीय संघ से अलग होने के मुद्दे पर हुए जनमत संग्रह के बाद ब्रिटेन में ब्रेक्जिट को लेकर गतिरोध बना हुआ था. 31 अक्टूबर की अंतिम समयसीमा तक ब्रेक्जिट लागू करने में नाकाम रहने के बाद प्रधानमंत्री जॉनसन ने 12 दिसंबर को चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी.

मौजूदा प्रधानमंत्री और कंजरवेटिव पार्टी के नेता बोरिज जॉनसन ने जनता से बहुमत देने की अपील की थी ताकि वह अगले महीने यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के अलग होने (ब्रेक्जिट) में तेजी ला सके. दूसरी तरफ जेरेमी कोरबेन के नेतृत्व वाली प्रमुख विपक्षी दल लेबर पार्टी ने ब्रेक्जिट पर नया जनमत संग्रह कराने का वायदा किया था. नतीजों के बाद जेरेमी कोरबेन ने लेबर पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया. लेबर पार्टी का 1935 से हुए अब तक के आम चुनाव में यह सबसे खराब प्रदर्शन है.

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