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विश्‍व बैंक ने भारत के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी

विश्‍व बैंक ने भारत के कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को गति देने के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी है. आर्थिक पैकेज का पहला चरण देशभर में प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना के जरिये लागू किया जाएगा. यह उन गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा, जो COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

यह मंजूर सहयोग राशि दो चरणों में जारी की जाएगी. पहले चरण में वित्‍त वर्ष 2020 के लिए 75 करोड़ डॉलर और वित्‍त वर्ष 2021 के लिए दूसरे चरण में 25 करोड़ डॉलर दिया जाएगा. विश्व बैंक ने भारत में कोविड-19 से निपटने के आपात प्रयासों के लिए कुल दो अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

विश्‍व बैंक: एक दृष्टि

  1. विश्व बैंक (World Bank) विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निमाण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है. इसकी स्थापना 1945 में हुई थी. इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में है. विश्‍व बैंक का आदर्श वाक्य ‘निर्धनता मुक्त विश्व के लिए कार्य करना’ है.
  2. विश्‍व बैंक दो अनूठी विकास संस्‍थाओं- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और अन्तर्राष्ट्रीय विकास एसोसिएशन (IDA) का संगम है. इन दोनों संस्‍थाओं पर 188 सदस्‍य देशों का स्‍वामित्‍व है.

8 मई 2020: चेचक के उन्मूलन की 40वीं वर्षगांठ, स्मारक डाक टिकट जारी किया गया

8 मई 2020 को दुनियाभर में चेचक के उन्मूलन की 40वीं वर्षगांठ मनाई गयी. इस अवसर पर विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) की डाक एजेंसी ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया है.

संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मूल के एक शीर्ष अधिकारी अतुल खरे ने इस स्‍मारक टिकट जारी करने में मुख्य भूमिका निभाई है. यह डाक टिकट चेचक से लड़ने में वैश्विक एकजुटता की एक पहचान है और एक साथ काम करने वाले लाखों लोगों को सम्मान करता है.

1980 में चेचक के उन्मूलन की घोषणा की गयी थी

1980 में इसी दिन WHO के 33वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में चेचक के उन्मूलन की आधिकारिक घोषणा की गयी थी. यह WHO के 10 साल के वैश्विक प्रयास के बाद संभव हो पाया था. इस दौरान दुनिया भर के हजारों स्वास्थ्य कर्मियों को लगाया गया था और 50 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया गया.

UNEP की सद्भावना दूत के रूप में दीया मिर्जा के कार्यकाल में विस्तार

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की सद्भावना दूत (गुडविल एम्बेसडर) के रूप में बॉलीवुड एक्ट्रेस दीया मिर्जा का कार्यकाल को बढ़ाकर अब साल 2022 के अंत तक कर दिया गया है. दीया सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत भी हैं.

सद्भावना दूत का कार्य पर्यावरणीय जागरूकता की दिशा में सुधार, जलवायु, वन्यजीवों की सुरक्षा, जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित करने की दिशा प्रयास, आदि है.

सद्भावना दूत राजस्व जुटाने में मदद करते हैं, इसके अलावा वे किसी मुद्दे के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए भी कार्य करते है. उनकी सेवा की अवधि 2 वर्ष होती है.

अमेरिका ने अशोक माइकल पिंटो को IBRD के प्रतिनिधि के रूप में नामित किया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अशोक माइकल पिंटो को अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक (IBRD) के प्रतिनिधि के रूप में नामित किया है. उनका कार्यकाल 2 वर्ष का होगा. वह इस पद पर एरिक बेथल का स्थान लेंगे. माइकल पिंटो अमेरिका के पूर्व-राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के विशेष सहायक रह चुके हैं.

अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक: एक दृष्टि

IBRD, विश्व बैंक समूह की एक ऋण प्रदान कराने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था है. इसकी स्थापना वर्ष 1944 में हुई थी. इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में है. वर्तमान में इसके 189 सदस्य देश हैं. IBRD गरीबी उन्मूलन एवं विकास कार्य हेतु मध्यम आय वाले विकासशील देशों को ऋण प्रदान करता है.

NAM देशों का विशेष ऑनलाइन शिखर सम्‍मेलन आयोजित किया गया

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सदस्‍य देशों का विशेष शिखर सम्‍मेलन 4 मई को वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया. इस ऑनलाइन सम्‍मेलन सदस्‍य देशों के राष्‍ट्रध्‍यक्षों और शासनाध्‍यक्षों ने हिस्सा लिया. सम्‍मेलन का आयोजन अजरबेजान के राष्‍ट्रपति इलहाम अलीयेफ की पहल पर किया गया था. अजर बेजान इस समय गुटनिरपेक्ष आंदोलन का अध्‍यक्ष है. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सम्‍मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

इस वर्चुअल सम्‍मेलन में कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सदस्‍य देशों के बीच समन्‍वय के तरीकों पर चर्चा की गयी. सम्‍मेलन का समापन कोविड-19 के खिलाफ गुटनिरपेक्ष आंदोलन के देशों की एकता की राजनीतिक घोषणा के साथ हुआ.

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) क्या है?

  • NAM, Non-Aligned Movement (गुटनिरपेक्ष आंदोलन) का संक्षिप्त रूप है. NAM संयुक्त राष्ट्र के बाद दूसरा बड़ा राजनीतिक संगठन है. इसके साथ एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 120 विकासशील देश जुड़े हुए हैं. इसकी स्थापना अप्रैल,1961 में हुई थी. भारत NAM का संस्थापक सदस्य रहा है.
  • इसका जन्म तब हुआ था, जब दुनिया पूरी तरह से अमेरिकी और पू्र्व सोवियत गुट में बंटा हुआ था. उस समय NAM देशों ने निश्चय किया था, कि विश्व के वे किसी भी गुट के साथ या विरोध में नहीं (गुटनिरपेक्ष) रहेंगे.
  • यह आंदोलन भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासिर, युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप बरोज़ टीटो, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डाॅ सुक्रणों एवं घाना के राष्ट्राध्यक्ष क्वामें एन्क्रूमा ने आरंभ किया था.

26 अप्रैल: विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना

प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को विश्व-भर में विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस (World Intellectual Property Day) मनाया जाता है. इसी दिन 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना के लिए समझौता लागू हुआ था. इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य बौद्धिक संपदा के अधिकारों (पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट इत्यादि) के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

बौद्धिक संपदा क्या है?

मानव बुद्धि से निर्मित रचनाएं बौद्धिक संपदा कहलाती है, जिन्हें छूकर महसूस नहीं किया जा सकता. इनमें मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क शामिल हैं. इनके अलावा ट्रेड सीक्रेट्स, प्रचार अधिकार, नैतिक अधिकार और अनुचित प्रतिस्पर्द्धा के खिलाफ अधिकार भी इसमें शामिल हैं.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस 2020 का विषय

इस वर्ष यानी 2020 के विश्व बौद्धिक सम्पदा अधिकार दिवस का मुख्य विषय (थीम)– Innovate for a Green Future है.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने वर्ष 2000 में प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी. WIPO की स्थापना 14 जुलाई, 1967 को हुई थी.

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

WIPO का कार्य बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा तथा संवर्द्धन करना है. वर्तमान में भारत सहित इसके कुल 191 सदस्य देश हैं. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है. भारत 1975 में WIPO का सदस्य बना था.

राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति

भारत ने राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति 2016 में स्वीकार की थी. जिसका मुख्य उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

प्रधानमंत्री ने सार्क के सदस्‍य देशों के साथ विचार-विमर्श किया

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 15 मार्च को सार्क (SAARC) के सदस्‍य देशों के साथ वीडियो कॉफ्रेंस के जरिए संवाद किया. इस संवाद का उद्देश्य कोविड-19 (कोरोना वायरस) बीमारी से निपटने के लिए संयुक्‍त रूप से एक सशक्‍त रणनीति तैयार करना था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही सार्क सदस्यों के वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रणनीति पर चर्चा का प्रस्ताव दिया था, जिसका सभी सदस्य देशों ने स्वागत किया था.

सार्क देशों के साथ इस संवाद में प्रधानमंत्री मोदी ने ‘कोविड-19 इमर्जेंसी फंड’ बनाने का सुझाव दिया और भारत की तरफ से इसके लिए 1 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की. इस बैठक में सार्क देशों के शामिल प्रतिनिधियों ने अपने यहाँ उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानकारी दी.

इस कॉफ्रेंस में शामिल प्रतिनिधि

विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग और पाकिस्तान की तरफ से वहां के स्वास्थ्य राज्य मंत्री जफर मिर्जा शामिल हुए.

सार्क (SAARC): एक दृष्टि

  • SAARC, South Asian Association for Regional Cooperation (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन- दक्षेस) का संक्षिप रूप है.
  • इसकी स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी. भारत के प्रयास से अप्रैल 2007 में सार्क के 14वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बना था.
  • सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है. संगठन के सदस्य देशों में दुनिया की कुल जनसंख्या का 20 फीसदी (लगभग 1.7 अरब) निवास करता है.
  • सार्क का मुख्यालय नेपाल की राजधानी काठमांडू में है. इसका राजभाषा अंग्रेजी है.
  • संगठन का संचालन सदस्य देशों के मंत्रिपरिषद द्वारा नियुक्त महासचिव करते हैं, जिसकी नियुक्ति तीन साल के लिए सदस्य देशों के वर्णमाला क्रम के अनुसार की जाती है.
  • सार्क के प्रथम महासचिव बांग्लादेश के अब्दुल अहसान और वर्तमान महासचिव पाकिस्तान के अमजद हुसैन बी सियाल हैं.

वर्तमान सदस्य देश

भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव, भूटान और अफ़ग़ानिस्तान

वर्तमान प्रेक्षक देश

अमेरिका, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय संघ, ईरान, चीन, ऑस्ट्रेलिया. म्यान्मार, मॉरिशस और जापान

सार्क चार्टर में परिभाषित किए गए संगठन के उद्देश्य:

  • दक्षिण एशिया के लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जीवन की उनकी गुणवत्ता में सुधार लाना.
  • क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास में तेजी लाना.
  • दक्षिण एशिया के देशों के बीच सामूहिक आत्म-निर्भरता को बढ़ावा देना और मजबूती प्रदान करना.
  • आपसी विश्वास, एक दूसरे समस्याओं के प्रति समझ बढ़ाना.
  • आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, सामाजिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना.
  • अन्य विकासशील देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना.

FATF की पैरिस में बैठक: पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बने रहने का फैसला बरकरार रखा गया

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक पैरिस में 16 से 21 फरवरी तक आयोजित की गयी. बैठक में 205 देशों के 800 से अधिक प्रतिनिधि, संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और अन्य संगठन अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई पर विचार-विमर्श किया.

पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में रखने की घोषणा

इस बैठक में पाकिस्तान और वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए खतरा बने कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को धन मुहैया कराने की रोकथाम में प्रगति की समीक्षा की गयी. बैठक में समापन में FATF ने पाकिस्तान को प्रतिबंधित सूची यानी ग्रे-लिस्ट में रखने की आधिकारिक घोषणा की. इस बैठक में पाकिस्तानी दल का नेतृत्व पाकिस्तान के वित्तमंत्री हम्माद अजहर ने किया था.

जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा

FATF घोषणा के तहत पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी देते हुए जून 2020 तक टैरर फंडिंग पर प्रतिबंधन लगाने की नई समय-सीमा दी गयी. इस समय अवधि में उसे 27 प्वाइंट एक्शन प्लान पर काम करना होगा. अगर वह इसमें कामयाब हो जाता है तो ग्रे-लिस्ट से बाहर आ सकता है. लेकिन अगर वह इस पर अमल करने में विफल रहा तो ब्लैक-लिस्ट में जा सकता है.

भारत का पक्ष

भारत यह कहता रहा है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों को नियमित सहायता देता है, जिसका प्रमुख लक्ष्य भारत में हमला करना है. ऐसे में भारत FATF से पाक के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाता रहा है.

पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है

उल्लेखनीय है कि तीन बार दी गई आखिरी समय-सीमाओं के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने में नाकाम रहा है. FATF ने इससे पहले अक्टूबर और जून 2019 में हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा था.

फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF): एक दृष्टि

  • FATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है. इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद (आतंकी फाइनैंसिंग) को रोकने के लिए नियम बनाना है. इसका गठन 1989 में किया गया था.
  • वर्तमान में FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देशों की संख्या 39 है. सउदी अरब को 21 जून 2019 को फ्लोरिडा के ऑरलैंडो में समूह की वार्षिक आम बैठक में FATF की सदस्यता दी गयी. वह पूर्ण सदस्‍यता पाने वाला 39वां देश बना है.
  • FATF की ग्रे-लिस्ट या ब्लैक-लिस्ट में डाले जाने पर देश को अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है.
  • FATF नियमों के मुताबिक, ग्रे-लिस्ट और ब्लैक-लिस्ट के बीच डार्क ग्रे-लिस्ट की भी कैटिगरी होती है. ‘डार्क ग्रे-लिस्ट’ का अर्थ है सख्त चेतावनी, ताकि संबंधित देश को सुधार का एक अंतिम मौका मिल सके.
  • FATF ने पाकिस्तान को फरवरी 2018 में इसे ग्रे-लिस्ट के डाला था. इससे पहले पाकिस्तान साल 2012 से 2015 तक FATF की ग्रे लिस्ट में रहा था.
  • FATF की वर्तमान ब्लैक-लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं.

FATF की पूर्ण सदस्‍यता वाले देश

Argentina, Australia, Austria, Belgium, Brazil, Canada, China, Denmark, European Commission, Finland, France, Germany, Greece, Gulf Co-operation Council, Hong Kong, China, Iceland, India, Ireland, Israel, Italy, Japan, Republic of Korea, Luxembourg, Malaysia, Mexico, Netherlands, New Zealand, Norway, Portugal, Russian Federation, Singapore, South Africa, Spain, Sweden, Switzerland, Turkey, United Kingdom, United States and Saudi Arabia

FATF का पर्यवेक्षक देश

इंडोनेशिया

FATF का वर्तमान अध्यक्ष देश

चीन

दूसरा बिम्‍सटेक आपदा प्रबंधन अभ्‍यास–2020 भुबनेश्वर में आयोजित किया गया

दूसरा बिम्सटेक आपदा प्रबंधन अभ्यास-2020 (BIMSTEC DMEx-2020) का आयोजन 11 से 13 फरवरी तक भुबनेश्वर में किया गया. इसका आयोजन भारत के ‘राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल’ (NDRF) द्वारा किया गया था.

बिम्‍सटेक के सात सदस्‍य देशों में से पांच सदस्‍य देशों यथा भारत, बांग्‍लादेश, नेपाल, श्रीलंका और म्‍यांमार के प्रतिनिधियों एवं बचाव टीमों ने इस अभ्‍यास में भाग लिया था. दो बिम्सटेक देश थाईलैंड और भूटान ने इस आयोजन में हिस्सा नहीं लिया था.

क्या है बिम्सटेक?

  • बिम्सटेक ‘बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर सेक्टोरल टेक्नीकल एंड इकॉनोमिक को-ऑपरेशन’ का संक्षिप्त रूप है. यह बंगाल की खाड़ी से तटवर्ती या समीपी देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग संगठन है.
  • मूल रूप से यह एक सहयोगात्मक संगठन है. बिम्सटेक का गठन व्यापार, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्य पालन, परिवहन और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों आपसी सहयोग के लिए किया गया था. परंतु बाद में कृषि, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद, संस्कृति, जनसंपर्क, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और जलवायु-परिवर्तन जैसे क्षेत्रों को भी इसमें शामिल किया गया.

मालदीव को राष्ट्रमंडल में आधिकारिक रूप से फिर से शामिल किया गया

मालदीव को राष्ट्रमंडल में आधिकारिक रूप से 1 फरवरी को फिर से शामिल कर लिया गया. मालदीव अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड और लोकतांत्रिक सुधार पर प्रगति के अभाव को लेकर निलंबित किए जाने की चेतावनी के बाद 2016 में राष्ट्रमंडल से अलग हो गया था.

मालदीव ने राष्ट्रमंडल से फिर से जुड़ने का अनुरोध दिसंबर 2018 में किया था जब उसके राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने राष्ट्रमंडल महासचिव पैट्रीशिया स्कॉटलैंड को पत्र लिखा था. मालदीव राष्ट्रमंडल में ऐसे समय फिर से शामिल हुआ है जब ब्रिटेन 47 साल सदस्य रहने के बाद यूरोपीय संघ से अलग हुआ है.

राष्ट्रमण्डल क्या है?

राष्ट्रमण्डल देश (Commonwealth Nations), 53 वैसे स्वतंत्र राज्यों का एक संघ है जो कभी ब्रिटेन का हिस्सा थे (मोज़ाम्बीक और स्वयं यूनाइटेड किंगडम को छोड़ कर). इसका मुख्यालय लंदन में स्थित है.

इसका मुख्य उद्देश्य लोकतंत्र, साक्षरता, मानवाधिकार, बेहतर प्रशासन, मुक्त व्यापार और विश्व शांति को बढ़ावा देना है. इसकी स्थापना 1931 में हुई थी, लेकिन इसका आधुनिक स्वरूप 1947 में भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र होने के बाद निश्चित हुआ.

अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा के बीच USMCA व्यापर समझौता, नाफ्टा का स्थान लेगा

अमेरिका, मैक्सिको और कनाडा ने मैक्सिको सिटी में 10 दिसम्बर को एक समझौते (United States–Mexico–Canada Agreement) पर हस्ताक्षर किया. यह समझौता अब अंतिम अनुमोदन के लिए संबंधित देशों की संसद में भेजा जाएगा.

यह समझौता दो साल से अधिक समय तक चली सघन बातचीत के बाद हुआ है. यह नया समझौता 25 साल पुराने उत्तरी अमेरिका मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA) का स्थान लेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नाफ्टा की लगातार आलोचना करते आये हैं.

समझौते में श्रम सुधार, पर्यावरण संबंधी मसलों की निगरानी आदि को कठोर बनाने के प्रावधान शामिल किये गये हैं. इसमें औषधियों के सस्ते जेनेरिक संस्करणों की राह में बाधा बनने वाले प्रावधानों को भी दूर करने के उपाय किये गये हैं.

समझौते पर अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर, कनाडा की उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड और मैक्सिको के शीर्ष वार्ताकार जीसस सिएड ने हस्ताक्षर किये. मैक्सिको के राष्ट्रपति आंद्रेस मैनुएल लोपेज ओब्राडोर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.

उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (NAFTA) क्या है?

NAFTA, उत्तर अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौता (North American Free Trade Agreement का संक्षिप्त रूप है. यह एक व्यापार समझौता है जो मेक्सिको, कनाडा और अमेरिका के बीच 1 जनवरी, 1994 से प्रभाव में आया था. इस संधि का उद्देश्य उपरोक्त तीन उत्तर अमेरिकी देशों के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना था.

8 दिसम्बर: दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का स्‍थापना दिवस

8 दिसम्बर को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का 35वां स्‍थापना दिवस (35th SAARC Founding Day) है. इसी दिन सार्क समूह के घोषणा पत्र पर हस्‍ताक्षर किये गए थे.

स्‍थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने सार्क देशों से आतंकवाद और इसे समर्थन देने वाली ताकतों से निपटने के लिए कारगर उपायों की अपील की है. सार्क सचिवालय को भेजे गए पत्र में प्रधानमंत्री ने कहा कि एकजुट प्रयासों से संगठन की मजबूती को बल मिलेगा.

श्री मोदी ने कहा कि सार्क देशों के बीच अधिक सहयोग के भारत के प्रयासों को आतंकवादी गतिविधियों से लगातार चुनौती मिलती रही है. ऐसे में संगठन की पूरी क्षमता के उपयोग के लिए साझा प्रयास जरूरी है. उन्होंने कहा कि संगठन ने प्रगति की है लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना जरूरी है.

पिछला सार्क शिखर सम्‍मेलन वर्ष 2014 में काठमांडू में हुआ था. 2016 का शिखर सम्‍मेलन पाकिस्‍तान के इस्‍लामाबाद में होना था लेकिन उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने इसमें शामिल होने से इंकार कर दिया था. बंगलादेश, भूटान और अफगानिस्‍तान के भी इंकार के बाद सम्‍मेलन रद्द कर दिया गया.