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रूस ने ईरान के जासूसी उपग्रह ‘सुदूर खय्याम’ का प्रक्षेपण किया

रूस ने 10 अगस्त को ईरान के जासूसी उपग्रह ‘सुदूर खय्याम’ का प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण रूसी सोयुज रॉकेट द्वारा दक्षिणी कजाकिस्तान में बैकोनूर कोस्मोड्रोम से किया गया था जो सफलतापूर्वक कक्षा में प्रवेश किया. इसका नाम फारसी वैज्ञानिक उमर खय्याम के नाम पर रखा गया है, जो 11वीं और 12वीं शताब्दी में रहते थे.

ईरान ने कहा कि इस उपग्रह का उपयोग पर्यावरण निगरानी के लिए किया जाएगा और यह पूरी तरह से उसके नियंत्रण में रहेगा. इसका उपयोग केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.

मुख्य बिन्दु

  • सुदूर खय्याम उपग्रह उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे से लैस है. यदि यह उपग्रह सफलतापूर्वक संचालित होता है, तो ईरान को अपने कट्टर दुश्मन इजराइल और मध्य पूर्व के अन्य देशों की निगरानी करने की क्षमता हासिल हो जाएगी.
  • पश्चिमी देशों ने इस उपग्रह के माध्यम से रूस द्वारा यूक्रेन में अपनी खुफिया क्षमता को बढ़ाने में उपयोग किए जाने का दावा किया है.
  • ईरान के पास नागरिक और सैन्य दोनों अंतरिक्ष कार्यक्रम हैं. अमेरिका को डर है कि इसका इस्तेमाल अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है.
  • यह उपग्रह एक मीटर-प्रति-पिक्सेल डेफिनेशन के साथ उच्च-रिज़ॉल्यूशन सर्विलांस छवियां प्रदान करेगा. पश्चिमी नागरिक उपग्रह लगभग आधा मीटर प्रति पिक्सेल की छवियां भेजते हैं, जबकि अमेरिकी जासूसी उपग्रहों के पास और उन्नत तकनीक है जिससे वे और हाई डेफिनेशन की तस्वीरें भेजते हैं.
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इब्राहिम रईसी ने ईरान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली

इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) ने 05 अगस्त 2021 को ईरान के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. रायसी ने मौजूदा प्रधानमंत्री हसन रूहानी का स्थान लिया है. 19 जून को ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में रईसी को विजेता घोषित किया गया था. उनका कार्यकाल चार वर्ष का होगा.

इब्राहिम रईसी वह मार्च 2019 से ईरान के मुख्य न्यायाधीश भी हैं. वो राजनीतिक क़ैदियों को मौत की सज़ा दिए जाने के फ़ैसलों से जुड़े रहे हैं और उन पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू है.

ईरान और इसराइल

इसराइल के विदेश मंत्रालय ने रईसी को ईरान का सबसे कट्टरपंथी राष्ट्रपति कहा हैं. ईरान और इसराइल के बीच लंबे समय से छद्म युद्ध चल रहा है. दोनों देशों के बीच परिस्थिति बेहद जटिल है लेकिन तनाव की एक बड़ी वजह ईरान का परमाणु कार्यक्रम भी है.

ईरान ने पिछले साल हुई अपने शीर्ष परमाणु वैज्ञनिक की हत्या और इस साल अप्रैल में परमाणु संयंत्र पर हुए हादसे के लिए इसराइल को ज़िम्मेदार माना है. वहीं इसराइल का मानना है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए नहीं है. इसराइल मानता है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का मक़सद परमाणु हथियार बनाना है.

ईरान और पश्चिमी देशों के बीच परमाणु समझौता

ईरान और पश्चिमी देशों के बीच 2015 में एक परमाणु समझौता हुआ था, जिसके बाद ईरान पर लगे सख़्त प्रतिबंध हटा लिए गए थे. हालांकि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2018 में अमेरिका को इस सौदे से बाहर कर लिया था और ईरान पर फिर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. नए राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार अब फिर से समझौते में शामिल होने का रास्ता निकाल रही है.

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ईरान में वर्तमान मुद्रा ‘रियाल’ को बदलकर ‘तोमान’ करने के लिए विधेयक

ईरान की संसद ने अपनी वर्तमान मुद्रा (करेंसी) ‘रियाल’ (Rial) में कई तरह के परिवर्तन के लिए हाल ही में एक विधेयक पारित किया है. इस विधेयक के अनुसार ‘रियाल’ में चार शून्य तक की कटौती की जाएगी और इसका नाम बदलकर तोमान (Toman) किया जाएगा. यानी एक तोमान का मूल्य 10,000 रियाल के बराबर होगी.

इस विधेयक को ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह खामनेई की अध्यक्षता वाली कमेटी के समक्ष पेश किया जाएगा.

मुद्रा में परिवर्तन की वजह

अमेरिका द्वारा ईरान लगाये गये कई प्रतिबंधों के कारण ईरानी मुद्रा रियाल के मूल्य में बड़ी गिरावट आई है. मुद्रा में गिरावट के कारण यहाँ मुद्रास्फीति (महँगाई दर) चरम पर है. मुद्रा से चार शून्य हटाने का फैसला देश की मुद्रा की मजबूती के लिए लिया गया है. ईरान सरकार के नए फैसले के बाद नई करेंसी ‘तोमान’ डॉलर के मुकाबले 15.6 के स्तर पर होगी.

तोमन पहले से प्रचालन में है

ईरान में तोमन का प्रचालन पहले से ही है. दरअसल अब तक ईरान की आधारिक मुद्रा रियाल थी. और दस रियाल को एक तोमन कहा जाता था. लेकिन अब नए बदलाव के बाद एक तोमन दस हजार रियाल के बराबर होगा.

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ईरान ने सैन्य उपग्रह ‘नूर’ के प्रक्षेपण किये जाने की पुष्टि की

ईरान ने हाल ही में एक सैन्य उपग्रह (military satellite) के प्रक्षेपण किये जाने की पुष्टि की है. इस उपग्रह को ‘नूर’ नाम दिया गया है. यह उपग्रह पृथ्वी की सतह से 425 किलोमीटर ऊपर कक्षा में सफलतापूवर्क स्थापित किया गया है.

यह प्रक्षेपण ऐसे समय में किया गया है जब ईरान और अमेरिका के बीच खत्म हुए परमाणु समझौते तथा जनवरी में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी के मारे जाने को लेकर दोनों देशों के संबंधों में तनाव चल रहा है.

उल्लेखनीय है कि 3 जनवरी को अमेरिका द्वारा बगदाद एयरपोर्ट पर एक एयर स्ट्राइक की गई, जिसमें ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. तब से अमेरिका-ईरान के बीच तनाव और अधिक बढ़ गया है.

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ईरान ने यूक्रेन के एक विमान को मानवीय भूल के कारण गिराए जाने को स्वीकार किया

ईरान ने यूक्रेन के एक विमान को मानवीय भूल के कारण गिराए जाने की बात स्वीकार कर ली है. ईरान ने स्वीकार किया है की उसकी सेना ने 8 जनवरी को यूक्रेन एयरलाइंस की उड़ान संख्या 752 के एक विमान को मानवीय भूल के कारण गैर इरादतन कार्रवाई में गिरा दिया था. इस दुर्घटना में 176 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की दुखद मृत्यु हुई थी. विमान में ईरान के 82, कनाडा के 63, यूक्रेन के 11, स्वीडन के 10, अफगानिस्तान के 4, जर्मनी के 3 और ब्रिटेन के 3 यात्री सवार शामिल थे.

दुर्घटना के तुरंत बाद ईरानी सेना ने इस दु:खद घटना के कारणों की जांच के लिए नागरिक उड्डयन संगठन से अलग, तकनीकी और परिचालन विशेषज्ञों की एक विशेष समिति गठित की थी. इस बीच, ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने इसे अमेरिकी दुस्साहस के कारण हुई मानवीय त्रुटि बताया है.

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ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला किया

ईरान ने घोषणा की है कि अब वह 2015 के परमाणु समझौते को नहीं मानेगा. उसने कहा है कि अब वह इस समझौते के तहत आने वाले परमाणु संवर्धन की क्षमता, संवर्धन के स्‍तर, संवर्धित सामग्री के भंडार या अनुसंधान और विकास से जुडी सीमाओं का पालन नहीं करेगा. ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में अमरीका द्वारा मारे जाने के परिपेक्ष्य में यह फैसला किया गया है.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ईरान के विदेश मंत्री मोहम्‍मद जावेद ज़ारिफ को परमाणु समझौते पर चर्चा और सुलेमानी की हत्‍या से उत्‍पन्‍न संकट दूर करने पर बातचीत के लिए ब्रसेल्‍स आने का निमंत्रण दिया है. श्री बोरेल ने कहा कि 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते को बचाने के लिए क्षेत्र में राजनीतिक समाधान एक मात्र उपाय है.

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं ने भी ईरान से 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन ना करने की अपील की है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हम ईरान से उन सभी कदमों को वापस लेने की अपील करते हैं जो परमाणु समझौते के अनुरूप नहीं है.

ईरान परमाणु समझौता: एक दृष्टि

ईरान ने P5+1 (China, France, Russia, the United Kingdom, and the US; plus Germany) देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया था. 2015 के इस परमाणु समझौते में ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को जांच की अुनमति देने पर राजी हुआ था. इसके बदले ईरान के खिलाफ लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध को हटाने का प्रावधान था.

2018 में अमेरिका इस परमाणु समझौते से अलग हो गया था. परन्तु रूस, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम अभी भी इस समझौते में बना हुआ है.

इराक़ की संसद ने सभी विदेशी सैनिकों से देश छोड़ने को कहा

इराक़ की संसद ने 6 जनवरी को एक प्रस्ताव पास कर सभी विदेशी सैनिकों से मुल्क छोड़ने को कहा है. अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले में ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत के बाद इराक़ की संसद ने ये प्रस्ताव पास किया है. इराक ने देश में हुए अमेरिकी हवाई हमले की शिकायतें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को सौंप दी हैं.

इराक़ में अभी अमरीका के पाँच हज़ार सैनिक हैं. इराकी संसद ने विदेशी बलों को इराक़ की ज़मीन, हवाई क्षेत्र और जलक्षेत्र के इस्तेमाल को रोकने और अमरीकी सेना को सभी तरह की मदद बंद किये जाने की बात भी कही है.

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ईरान ने देश के महिलाओं को पुरुषों के मैच नहीं देखने के लिए लगी 40 वर्ष पुरानी पावंदी को हटाई

ईरान ने किसी फुटबॉल या दूसरे स्टेडियमों में महिलाओं के प्रवेश पर लगी 40 वर्ष पुरानी पावंदी को हटा लिया है. 10 अक्टूबर 2019 वहां 40 सालों बाद पहली बार ईरानी महिलाओं ने अपने देश का कोई फुटबॉल मैच स्टेडियम में जाकर देखा. 2022 फीफा विश्व कप क्वालीफायर का ये मैच ईरान और कंंबोडिया के बीच खेला गया. इसमें ईरान ने कंबोडिया को 14-0 से पराजित कर दिया.

फीफा के निर्देश पर पावंदी हटाई गयी

हाल ही में फुटबॉल की शीर्ष संस्था फीफा ने उसे यहां के स्टेडियमों में महिलाओं के आने पर लगी रोक को हटाने का आदेश दिया था. ऐसा नहीं करने पर ईरान को निलंबित किए जाने की चेतावनी भी मिली थी. निलंबन से डरकर ईरानी फुटबॉल संघ ने फीफा को आश्वस्त किया था कि वह महिलाओं को स्टेडियम में आने की इजाजत देगा.

ब्लू गर्ल की मृत्यु के बाद यह मामला शुरू हुआ

ब्लू गर्ल नाम से मशहूर एक ईरानी फुटबॉल प्रशंसक की हाल ही में हुई मृत्यु के बाद यह मामला शुरू हुआ था. उस महिला प्रशंसक को सुरक्षा अधिकारियों ने उस समय पकड़ लिया था जब वह पुरुष के वेश में फुटबॉल मैच देखने के लिए स्टेडियम में घुसने का प्रयास कर रही थी. इसके बाद उसने जेल जाने के डर से खुद को आग लगा दी, जिसके बाद उसकी अस्पताल में मृत्यु हो गई थी.

सऊदी अरब की तेल कंपनी पर ड्रोन से हमले किये गये

सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर 14 सितम्बर को ड्रोन से हमले किये गये. हमले के बाद से सऊदी अरब की तेल कंपनी ने उत्पादन को लगभग आधा कर दिया है. बीते 4 महीनों में यह छठा मौका है, जब सऊदी अरब के फैसिलिटी सेंटर या फिर आपूर्ति करने वाले तेल टैंकरों को निशाना बनाया गया.

आपूर्ति को लेकर संकट

हमले से इस इंडस्ट्री के समक्ष पहली बार आपूर्ति को लेकर संकट खड़ा हो गया है. इस हमले के चलते आपूर्ति में 57 लाख बैरल प्रतिदिन की कमी आई है, जो वैश्विक आपूर्ति का 6 फीसदी है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में ग्लोबल क्रूड सप्लाई चेन के लिए यह गंभीर चुनौती है और अनियंत्रित युद्ध की स्थिति में विकट हालात पैदा हो सकते हैं.

हमले की जिम्मेदारी हूथी विद्रोही संगठन ने ली

अरामको के अबकैक और खुराइस में स्थित तेल कुओं पर हमले की जिम्मेदारी यमन के हथियारबंद हूथी विद्रोही संगठन ने ली थी. लेकिन अमरीका और सउदी अरब को संदेह है कि यह हमला ईरान द्वारा किया गया है. सउदी अरब ने कहा है कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हमारे तेल संयंत्र पर हमला ईरानी हथियारों से किया गया था.

अमेरिका और ईरान के बीच तनाव

सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हमले के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव गहरा गया है. अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने ईरान पर सउदी तेल प्रतिष्‍ठानों पर कल के ड्रोन हमलों का आरोप लगाया है. जबकि ईरान ने अमेरिका के दावे को सिरे से खारिज किया है.ईरान ने कहा है कि अमेरिका उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई के बहाने तलाश रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी अरब को अमेरिका की ओर से समर्थन देने का प्रस्ताव दिया है.

सउदी अरब, अमरीका के नेतृत्‍व वाले संगठन में शामिल हुआ

सउदी अरब ने कहा है कि वह पश्चिम एशिया के समुद्री मार्गों और तेल उद्योग को ईरान से होने वाले संभावित हमलों से सुरक्षित रखने के लिए अमरीका के नेतृत्‍व वाले संगठन में शामिल हो गया है. सउदी अरब का यह फैसला अमरीका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की आगामी सउदी अरब यात्रा को देखते हुए किया गया है.