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कुर्द नेता अब्दुल लतीफ राशिद इराक के नए राष्ट्रपति चुने गए

इराक की संसद ने कुर्द राजनेता अब्दुल लतीफ राशिद को देश के नए राष्ट्रपति के रूप में चुना है. इराक के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने संसद में दो दौर के मतदान के बाद इराकी कुर्द बरहम सालेह को मात दी.

78 वर्षीय राशिद 2003 से 2010 तक इराकी जल संसाधन मंत्री थे.

इराक ने इससे पहले मौजूदा साल में 7 फरवरी से 30 मार्च तक नए राष्ट्राध्यक्ष का चुनाव करने के तीन असफल प्रयास किए थे.

मुस्तफा अल कादमी ने इराक के अगले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली

मुस्तफा अल कादमी ने 7 मई को इराक के अगले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. इससे पहले श्री अल कादमी अमरीका समर्थित खुफिया विभाग के पूर्व प्रमुख थे. प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत होने से पहले उन्होंने खुफिया प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया था.

इराक के प्रधानमंत्री के तौर पर मुस्तफा अल-कदीमी के नाम के प्रस्ताव को मंजूरी दी इराक की संसद ने दिया. अप्रैल 2020 में इराक के राष्ट्रपति बरहम सलीह ने कादमी को इस पद के लिए नामित किया गया था.

मुस्तफा अल-कदीमी सद्दाम हुसैन के मुखर विरोधी थे. 1985 में उन्होंने इराक छोड़ दिया था. वे कई वर्षों तक इराक से निर्वासन होकर ब्रिटेन में रहे थे.
कादमी ने ऐसे समय में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभाला है, जब तेल राजस्व में गिरावट के बीच इराक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है.

अमेरिका ने इराक के नए प्रधानमंत्री अदनान जुरफी को समर्थन देने की घोषणा की

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने इराक के नए प्रधानमंत्री अदनान जुरफी को समर्थन देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि इराक के लोग देश की संप्रभुता को बनाए रखने के अलावा लोगों की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने वाली भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चाहते हैं, जो कि उनके मानवाधिकारों की रक्षा भी करें. अगर इराक के नवनियुक्त प्रधानमंत्री इन मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं, तो उन्हें अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन मिलेगा.

पोम्पियो ने इससे पहले रविवार को इराक के पूर्व प्रधानमंत्री अदेल अब्दुल मेंहदी से इराक में अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना की सुरक्षा के मद्देनजर कुछ निश्चित कदम उठाने की बात कही थी. पूर्व प्रधानमंत्री मेंहदी ने दो माह पूर्व ही पद से इस्तीफा दे दिया था और वे सिर्फ अंतरिम तौर पर पद संभाले हुए थे.

अदनान जुरफी नये प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये थे

इराक के राष्ट्रपति बरहाम सालेह ने 17 मार्च को अदनान जुरफी को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. जुरफी पवित्र शिया शहर नजफ के पूर्व गवर्नर थे. जुरफी के पास अपने मंत्रिमंडल का गठन करने के लिए 30 दिनों का समय है. जिसके बाद पद बने रहने के लिए उन्हें इराक के संसद से विश्वास मत हासिल करना होगा.

अदनान जुरफी को निवर्तमान प्रधानमंत्री आदिल अब्देल मेहदी की जगह नियुक्त किया गया है. मेहदी ने दिसंबर 2019 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. प्रदर्शनकारियों ने उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार एवं अक्षमता के आरोप लगाया था.

ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते से अलग होने का फैसला किया

ईरान ने घोषणा की है कि अब वह 2015 के परमाणु समझौते को नहीं मानेगा. उसने कहा है कि अब वह इस समझौते के तहत आने वाले परमाणु संवर्धन की क्षमता, संवर्धन के स्‍तर, संवर्धित सामग्री के भंडार या अनुसंधान और विकास से जुडी सीमाओं का पालन नहीं करेगा. ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी को बगदाद में अमरीका द्वारा मारे जाने के परिपेक्ष्य में यह फैसला किया गया है.

यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने ईरान के विदेश मंत्री मोहम्‍मद जावेद ज़ारिफ को परमाणु समझौते पर चर्चा और सुलेमानी की हत्‍या से उत्‍पन्‍न संकट दूर करने पर बातचीत के लिए ब्रसेल्‍स आने का निमंत्रण दिया है. श्री बोरेल ने कहा कि 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम समझौते को बचाने के लिए क्षेत्र में राजनीतिक समाधान एक मात्र उपाय है.

जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के नेताओं ने भी ईरान से 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन ना करने की अपील की है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक संयुक्त बयान में कहा कि हम ईरान से उन सभी कदमों को वापस लेने की अपील करते हैं जो परमाणु समझौते के अनुरूप नहीं है.

ईरान परमाणु समझौता: एक दृष्टि

ईरान ने P5+1 (China, France, Russia, the United Kingdom, and the US; plus Germany) देशों के साथ जिनेवा में एक परमाणु समझौता हस्ताक्षरित किया था. 2015 के इस परमाणु समझौते में ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु गतिविधियों को सीमित करने और अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को जांच की अुनमति देने पर राजी हुआ था. इसके बदले ईरान के खिलाफ लगे कड़े आर्थिक प्रतिबंध को हटाने का प्रावधान था.

2018 में अमेरिका इस परमाणु समझौते से अलग हो गया था. परन्तु रूस, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम अभी भी इस समझौते में बना हुआ है.

इराक़ की संसद ने सभी विदेशी सैनिकों से देश छोड़ने को कहा

इराक़ की संसद ने 6 जनवरी को एक प्रस्ताव पास कर सभी विदेशी सैनिकों से मुल्क छोड़ने को कहा है. अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमले में ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत के बाद इराक़ की संसद ने ये प्रस्ताव पास किया है. इराक ने देश में हुए अमेरिकी हवाई हमले की शिकायतें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् को सौंप दी हैं.

इराक़ में अभी अमरीका के पाँच हज़ार सैनिक हैं. इराकी संसद ने विदेशी बलों को इराक़ की ज़मीन, हवाई क्षेत्र और जलक्षेत्र के इस्तेमाल को रोकने और अमरीकी सेना को सभी तरह की मदद बंद किये जाने की बात भी कही है.

इराक में नए चुनावी कानून को मंजूरी दी गयी, सामुहिक प्रदर्शनों के कारण बदलाव

इराक की संसद ने में हाल ही में नए चुनावी कानून को मंजूरी दी है. संसद द्वारा पारित नए कानून से मतदाता पार्टी की सूची से सांसद चुनने के बजाय अलग से सांसदों का चुनाव करने का प्रावधान किया गया है. नए कानून से प्रत्येक संसद सदस्य किसी ग्रुप का प्रतिनिधित्व करने के स्थान पर विशेष निर्वाचक जिले का प्रतिनिधित्व करेंगे.

इराक में चुनाव निष्पक्ष कराने के लिए 1 अक्टूबर 2019 से प्रदर्शन हो रहे थे. प्रदर्शनकारियों की यह एक महत्वपूर्ण मांग थी. प्रदर्शनकारियों ने केवल नए चुनावी कानून की ही मांग नहीं की थी बल्कि पूरी सत्ता को हटाने का भी मांग किया था, जो विदेशी ताकतों के प्रभाव में काम कर रहे थे.

सामुहिक प्रदर्शनों से इराक में संकट पैदा हो गया था. प्रदर्शनकारी पूरी राजनीतिक प्रणाली को बदलने की मांग कर रहे थे. इराक में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और ज्यादातर इराकी नागरिक गरीबी में जीवन-यापन कर रहे हैं.

इराक के प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी ने अपने पद से इस्तीफा दिया

इराक में प्रधानमंत्री आदिल अब्दुल मेहदी ने 1 दिसम्बर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. मंत्रिमंडल की आपात बैठक के बाद प्रधानमंत्री मेहदी, उनके चीफ-ऑफ-स्टाफ तथा प्रमुख अधिकारियों ने औपचारिक रूप से इस्तीफा दे दिया. शुक्रवार को इराक के शीर्ष शिया नेता ने सरकार से समर्थन वापिस लेने की घोषणा की थी.

देश में चल रहे सरकार विरोधी प्रदर्शन के कारण उन्होंने अपने इस्तीफे की घोषणा की है. इराक के लोग खस्ताहाल अनिवार्य सेवाओं, नौकरियों के अभाव और भ्रष्टाचार के खिलाफ अक्टूबर की शुरुआत से प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई हिंसक झड़पों में सेकडों लोगों की मौत हो चुकी है.