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58वां ज्ञानपीठ पुरस्कार: जगतगुरू रामभद्राचार्य और कवि गुलजार को सम्मानित किया जाएगा

ज्ञानपीठ चयन समिति ने 58वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार (58th Jnanpith Award) की घोषणा 17 फ़रवरी को की थी. वर्ष 2023 के लिए  जाने-माने शायर गुलजार और संस्‍कृत के विद्वान जगतगुरू रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जाएगा.

गुलजार: गुलजार को हिन्‍दी सिनेमा में उनके कार्य के लिए जाना जाता है और उन्‍हें इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक माना जाता है. इससे पहले उन्हें उर्दू में अपने कार्य के लिए 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं.

जगतगुरू रामभद्राचार्य: जगतगुरू रामभद्राचार्य चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं और प्रख्‍यात हिन्‍दू आध्‍यात्मिक नेता, शिक्षक और 240 से अधिक पुस्तकों और पाठों के लेखक हैं.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2021 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2022 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो को दिया गया था.
  • कुछ प्रसिद्ध ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं के नाम: महादेवी वर्मा (हिंदी), अमृता प्रीतम (पंजाबी), विष्णु नारायण भाटकरे (मराठी), रवींद्रनाथ टैगोर (बंगाली), के.एस. नारायणस्वामी (कन्नड़), महाश्वेता देवी (बंगाली), अब्दुल कलाम (तमिल)

बद्रीनारायण को हिन्दी और अनुराधा रॉय को अंग्रेजी का साहित्य अकादमी पुरस्कार

साहित्य अकादमी ने वर्ष 2022 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं अनुवाद पुरस्कार की घोषणा हाल ही में की थी. इस वर्ष 23 भारतीय भाषाओं के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार घोषित किए गए हैं. ये पुरस्कार 11 मार्च 2023 को नई दिल्ली स्थित कमानी सभागार में वितरित किए जाएंगे.

मुख्य बिदु

  • हिंदी भाषा के कवि बद्रीनारायण को उनके कविता संग्रह “तुमड़ी के शब्द” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
  • बिहार के रहने वाले बद्री नारायण को हिंदी कविता में विशिष्ट योगदान के लिए ‘भारत भूषण पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘स्पंदन सम्मान’ और ‘केदार सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है.
  • उन्होंने ‘दि मेकिंग ऑफ दलित पब्लिक इन नॉर्थ इंडिया : उत्तर प्रदेश, 1950-वर्तमान तक’, ‘फैसिनेटिंग हिन्दुत्व : सैफ्रान पॉलिटिक्स एंड दलित मोबिलाइजेशन’, ‘वुमेन हीरोज़ और दलित एसर्शन इन नॉर्थ इंडिया’ पुस्तकें भी लिखी हैं.
  • अंग्रेजी भाषा लिए अनुराधा रॉय के उपन्यास ‘ऑल द लाइब्स वी नेवर लिव्ड’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है.
  • इसके अलावा पंजाबी के लिए सुखजीत (मैं अयंघोष नहीं, कहानी-संग्रह) और उर्दू के लिए अनीस अशफ़ाक (ख़्वाब सराब, उपन्यास) पुरस्कृत किए गए हैं.

पुलित्जर पुरस्कार की घोषणा, सार्वजनिक सेवा पत्रकारिता पुरस्कार वाशिंगटन पोस्ट को

साल 2022 के लिए पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize 2022) के विजेताओं की घोषणा 9 मई को की गई थी. इस वर्ष वाशिंगटन पोस्ट ने सार्वजनिक सेवा पत्रकारिता में पुलित्जर पुरस्कार जीता है, जिसने 6 जनवरी 2021 के कैपिटल हिल पर हमले की रिपोर्टिंग की थी.

मुख्य बिंदु

  • पुरस्कार प्राप्त भारतीयों में अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू, अमित दवे और दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी (Danish Siddiqui) शामिल हैं.
  • रायटर्स के दिवंगत पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पिछले साल अफगानिस्‍तान के सैनिकों और तालिबान लड़ाकों के बीच हुए संघर्ष को कवर करते हुए मौत हो गई थी.
  • न्यूयार्क टाइम्स ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्टिंग दोनों श्रेणी में ही पुरस्कार जीता.
  • मियामी हेराल्ड के कर्मचारी, फ्लोरिडा में समुद्रतट अपार्टमेंट टावरों के ढहने के कवरेज के लिए ‘ब्रेकिंग न्यूज रिपोर्टिंग’ श्रेणी में पुरस्कार दिया गया.

पुलित्जर पुरस्कार (Pulitzer Prize): एक दृष्टि

  • पुलित्जर पुरस्कार, संयुक्त राज्य अमेरिका का एक प्रमुख पुरस्कार है. इसकी स्थापना 1917 में हंगरी मूल के अमेरिकी प्रकाशक जोसेफ पुलित्जर ने की थी.
  • यह पुरस्कार पत्रकारिता, साहित्य एवं संगीत रचना के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रदान किया जाता है. यह पत्रकारिता के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है.
  • इस पुरस्कार की घोषणा प्रत्येक वर्ष कोलम्बिया विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है. यह पुरस्कार 21 श्रेणियों में प्रदान किया जाता है.
  • पुलित्जर लोकसेवा श्रेणी के पुरस्कार के विजेताओं को एक गोल्ड मेडल दिया जाता है और अन्य श्रेणी के पुरस्कारों में सभी को 15,000 डॉलर दिए जाते हैं.

नीलमणि फुकन को 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया

असमी भाषा के प्रसिद्ध कवि नीलमणि फुकन को 11 अप्रैल को गुवाहाटी में 56वें ज्ञानपीठ पुरस्‍कार (Gyanpeeth Award) से सम्‍मानित किया गया.

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpeeth Award) की घोषणा दिसम्बर 2021 में की थी. वर्ष 2020 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन को तथा वर्ष 2021 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो (Damodar Maujo) को दिए जाने की घोषणा की गयी थी.
  • नीलमणि फूंकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं. सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका, सूर्यमुखी फुल्तोर फाले, कोबिता, गुलापी जमूर लग्‍न आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं.
  • 84 वर्ष के श्री फूकन ज्ञानपीठ पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले तीसरे असमी भाषा के साहित्यकार हैं. उनसे पहले 1979 में बिरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य और 2000 में इंदिरा गोस्वामी को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्‍दी के प्रख्‍यात उपन्‍यासकार कृष्‍णा सोबती को दिया गया था.
  • वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.
  • वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से मलयालम कवि अक्कीथम को सम्मानित किया गया था.

प्रो. रामदरश मिश्र की कृति ‘मैं तो यहां हूं’ को 31वें सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया

प्रोफेसर रामदरश मिश्र के हिन्दी कविता संग्रह ‘मैं तो यहां हूं’ को वर्ष 2021 के 31वें सरस्वती सम्मान (31st Saraswati Samman 2022) के लिए चुना गया है. हिन्दी भाषा की यह कृति वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई थी.

प्रो. रामदरश मिश्र गोरखपुर उत्तर प्रदेश के हैं. उनके अब तक 32 काव्य संग्रह, 15 उपन्यास, 30 कहानी संग्रह, 15 समीक्षात्मक कृति, चार ललित निबंध और दो आत्मकथा के अतिरिक्त कई यात्रावृतांत, साक्षात्कार व संस्मरण प्रकाशित हो चुके हैं. उनकी अनेक कृतियों का अन्य भारतीय भाषा में अनुवाद भी किया गया है.

सरस्वती सम्मान: एक दृष्टि

  • यह प्रतिष्ठित सम्मान केके बिरला फाउंडेशन की ओर से प्रदान किया जाता है. यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की एक ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है, जो संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लेखित किसी भी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो. भारतीय साहित्य के लिए अब यह शीर्षस्थ सम्मान है.
  • इस सम्मान में 15 लाख रुपये की पुरस्कार राशि के साथ प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिह्न भेंट किया जाता है. यह सम्मान 1991 से प्रदान किया जा रहा है. इसके तहत प्रस्तावित कृति साहित्य की किसी भी विधा में हो सकती है, जैसे कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, हास्य-व्यंग्य, ललित निबंध, जीवनी, आत्मकथा, साहित्य समीक्षा और साहित्य का इतिहास.
  • केके बिरला फाउंडेशन की ओर से साहित्य में तीन बड़े सम्मान, सरस्वती सम्मान (हिन्दी व संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं के लिए), व्यास सम्मान (हिन्दी के लिए) और बिहारी पुरस्कार (राजस्थान के हिन्दी/राजस्थानी लेखकों के लिए) प्रदान किया जाता है.
  • मराठी लेखक डॉ. शरणकुमार लिंबाले को 31वें सरस्वती सम्मान (वर्ष 2020 के लिए) जबकि सिंधी साहित्यकार वासदेव मोही को वर्ष 29वें सरस्वती सम्मान (2019 के लिए) दिया गया था.

पत्रकार आरिफा जौहरी को ‘चमेली देवी जैन’ पुरस्कार के लिए चुना गया

वर्ष 2021 के ‘चमेली देवी जैन’ पुरस्कार के लिए मुंबई की पत्रकार आरिफा जौहरी को चुना गया है. आरिफा जौहरी ‘स्क्रॉल डॉट इन’ की पत्रकार है.

मुख्य बिंदु

  • चमेली देवी जैन पुरस्कार वार्षिक पुरस्कार है, जिसे वर्ष 1982 से दिया जा रहा है. इस पुरस्कार का नाम स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक चमेली देवी जैन के नाम पर रखा गया है, जो स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जेल गई थीं.
  • यह भारत में उन महिला मीडियाकर्मियों के लिए एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जिन्होंने सामाजिक विकास, राजनीति, समानता, लैंगिक न्याय, स्वास्थ्य, युद्ध एवं संघर्ष और उपभोक्ता मूल्यों जैसे विषयों पर रिपोर्टिंग की है.

साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार 2021: दया प्रकाश सिन्हा की रचना ‘सम्राट अशोक’ को पुरस्‍कृत किया जाएगा

साहित्‍य अकादमी ने वर्ष 2021 के लिए पुरस्कारों (Sahitya Akademi Award)  की घोषणा 30 दिसम्बर 2021 को की थी. घोषणा के तहत 20 भारतीय भाषाओं के लेखकों को पुरस्कार देने की घोषणा की गयी जबकि गुजराती, मैथिली, मणिपुरी और उर्दू भाषाओं के पुरस्कार बाद में घोषित किए जाएंगे. इन पुरस्कारों का अनुमोदन साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर कम्बार की अध्यक्षता में आयोजित कार्यकारी मंडल की बैठक में किया गया.

घोषणा के तहत हिंदी के लिए दया प्रकाश सिन्हा को उनके नाटक ‘सम्राट अशोक’ और अंग्रेजी के लिए नमिता गोखले को उनके उपन्यास ‘थिंग्स टू लीव बिहाइंड’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गई है.

साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार 2021 विजेताओं की सूची

विजेताभाषाशैली
अनुराधा सरमा पुजारीअसमियाउपन्यास
ब्रत्य बासुबंगालीनाटक
मवदई गहाईबोडोकविता
राज राहीडोगरीलघु कथाएँ
नमिता गोखलेअंग्रेजीउपन्यास
दया प्रकाश सिन्हाहिंदीनाटक
डीएस नागभूषणकन्नड़जीवनी
वली मो. असीर कश्तवारीकश्मीरीआलोचना
संजीव वीरेंकरकोंकणीशायरी
जॉर्ज ओनाक्कूरमलयालमआत्मकथा
किरण गौरवमराठीलघु कथाएँ
छबीलाल उपाध्यायनेपालीमहाकाव्य कविता
हृषिकेश मल्लिकउड़ियाकविता
खालिद हुसैनपंजाबीलघु कथाएँ
मिथेश निर्मोहीराजस्थानीकविता
विन्देश्वरीप्रसाद मिश्रा ‘विनय’संस्कृतकविता
निरंजन हंसदासंतालीलघु कथाएँ
अर्जुन चावलासिंधीकविता
अम्बाईतमिललघु कथाएँ
गोराती वेंकन्नातेलुगुकविता

साहित्य अकादमी पुरस्कार: एक दृष्टि

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार साहित्य अकादमी द्वारा यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान जाता है. यह अकादमी प्रतिवर्ष 24 भाषाओं में से प्रत्येक में प्रकाशित सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति को पुरस्कार प्रदान करती है. इस पुरस्कार की स्थापना 1954 में हुई थी , पहली बार 1955 में ये पुरस्कार दिये गये थे.
  • पुरस्कारों की अनुशंसा इन भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों की ओर से की जाती है तथा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष अध्यक्षता में आयोजित कार्यकारी मंडल की बैठक में इन्हें अनुमोदित किया जाता है.
  • मुख्य पुरस्कार विजेता को पुरस्कार स्वरूप एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक लाख रुपये की प्रदान की जाती है.

अनुकृति उपाध्याय को सुशीला देवी साहित्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया

प्रसिद्ध लेखिका अनुकृति उपाध्याय को ‘सुशीला देवी साहित्य पुरस्कार’ (Sushila Devi Literature Award) से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके उपन्यास किंत्सुगी (Kintsugi) के लिए प्रदान किया गया.

सुशीला देवी साहित्य पुरस्कार

सुशीला देवी साहित्य पुरस्कार की स्थापना रतनलाल फाउंडेशन द्वारा की गई थी. यह नवगठित पुरस्कार एक महिला लेखक द्वारा लिखे गए कथा (Fiction) के सर्वश्रेष्ठ लेखन के लिए है. इस पुरस्कार के तहत 2 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है.

56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा: नीलमणि फूकन और दामोदर मौउजो को दिया जाएगा

ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति ने 7 दिसम्बर को 56वें और 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (Gyanpeeth Award) की घोषणा की. वर्ष 2020 के लिए असमिया साहित्यकार नीलमणि फूकन (Nilmoni Phukan) को तथा वर्ष 2021 के लिए कोंकणी साहित्यकार दामोदर मौउजो (Damodar Maujo) को दिए जाने की घोषणा की गयी है.

नीलमणि फूंकन मूलत: असमिया भाषा के भारतीय कवि और कथाकार हैं. उन्होंने कविता की तेरह पुस्तकें लिखी हैं. सूर्य हेनो नामि अहे एई नादियेदी, मानस-प्रतिमा और फुली ठका,  सूर्यमुखी फुल्तोर फाले आदि उनकी कुछ महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं. उन्हें 56वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

दामोदर मौउजो गोवा के उपन्यासकार, कथाकार, आलोचक और निबन्धकार हैं. इनके द्वारा रचित एक उपन्यास कार्मेलिन के लिये उन्हें सन् 1983 में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया जा चुका है. मौउज़ो ने छह कहानी संग्रह, चार उपन्यास, दो आत्मकथात्मक कृतियां और बाल साहित्य को कलमबद्ध किया है. मौउज़ो को 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और वह दिवंगत रवींद्र केलकर के बाद यह शीर्ष साहित्यिक पुरस्कार जीतने वाले दूसरे कोंकणी लेखक बन गए हैं.

ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक दृष्टि

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार साहित्‍य के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्‍च सम्‍मान है.
  • यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में बताई गई भाषाओं में से किसी भाषा के लेखन के लिए दिया जाता है.
  • पुरस्कार में 11 लाख रुपये की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है.
  • पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था.
  • अब तक हिन्दी तथा कन्नड़ भाषा के लेखक सबसे अधिक 7 बार यह पुरस्कार पा चुके हैं. यह पुरस्कार बांग्ला को 5 बार, मलयालम को 4 बार, उड़िया, उर्दू और गुजराती को 3-3 बार, असमिया, मराठी, तेलुगू, पंजाबी और तमिल को 2-2 बार मिल चुका है.
  • वर्ष 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार हिन्‍दी के प्रख्‍यात उपन्‍यासकार कृष्‍णा सोबती को दिया गया था.
  • वर्ष 2018 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार अमिताव घोष सम्मानित किये गये थे. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह देश के अंग्रेजी के पहले लेखक हैं.
  • वर्ष 2019 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से मलयालम कवि अक्कीथम को सम्मानित किया गया था.

डेमोन गैलगट को उनके उपन्‍यास द प्रॉमिस के लिए बुकर पुरस्‍कार के लिए चुना गया

दक्षिण अफ्रीका के उपन्‍यासकार डेमोन गैलगट (Damon Galgut) को 2021 के बुकर पुरस्‍कार (Booker Prize) के लिए चुना गया है. यह पुरस्कार उनके उपन्‍यास ‘द प्रॉमिस’ (The Promise) के लिए दिया गया.

श्री गैलगट को वर्ष 2003 और 2010 में भी इस पुरस्‍कार के लिए नामित किया गया था. उन्हें 2003 में ‘द गुड डॉक्टर’ (The Good Doctor) और 2010 में ‘इन अ स्ट्रेंज रूम’ (In a Strange Room) के लिए नामित किया गया था.


बुकर पुरस्‍कार: एक दृष्टि

  • बुकर पुरस्‍कार के पूरा नाम ‘मैन बुकर पुरस्कार फ़ॉर फ़िक्शन’ (Man Booker Prize for Fiction) है.
  • बुकर पुरस्कार की स्थापना सन् 1969 में इंगलैंड की बुकर मैकोनल कंपनी द्वारा की गई थी.
  • यह पुरस्‍कार राष्ट्रमंडल (कॉमनवैल्थ) या आयरलैंड के नागरिक द्वारा लिखे गए मौलिक अंग्रेजी उपन्यास के लिए हर वर्ष दिया जाता है.
  • बुकर पुरस्कार विजेता को 60 हज़ार पाउण्ड की राशि विजेता लेखक को दी जाती है.
  • पहला बुकर पुरस्कार इंगलैंड के उपन्यासकार पी एच नेवई (P. H. Newby) को ‘Something to Answer For’ के लिए दिया गया था.

बुकर पुरस्‍कार पाने वाले भारतीय: एक दृष्टि
कुल 5 बार यह पुरस्कार भारतीय मूल के लेखकों को मिला है. ये लेखक हैं- वी एस नाइपॉल, अरुंधति राय, सलमान रश्दी, किरण देसाई और अरविन्द अडिग.

लेखकउपन्यासवर्ष
1. वी एस नाइपॉलइन ए फ़्री स्टेट1971
2. सलमान रश्दीमिडनाइट्स चिल्ड्रेन1981
3. अरुंधति रायद गॉड ऑफ़ स्माल थिंग्स1997
4. किरण देसाईद इनहैरिटैंस ऑफ लॉस2006
5. अरविन्द अडिगद व्हाइट टाइगर2008

उड़िया कवि राजेंद्र किशोर पांडा को कुवेम्पु राष्ट्रीय पुरस्कार के लिये चुना गया

उड़िया कवि डॉ. राजेंद्र किशोर पांडा को ‘कुवेम्पु पुरस्कार’ (Kuvempu Rashtriya Puraskar) 2020 के लिये चुना गया है. डॉ. पांडा ओडिशा के एक प्रसिद्ध कवि एवं उपन्यासकार हैं. अब तक उनके कुल 16 कविता संग्रह और एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं.
उन्हें वर्ष 2010 में ‘गंगाधर राष्ट्रीय पुरस्कार’ और वर्ष 1985 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था.

कुवेम्पु पुरस्कार

  • यह 20वीं सदी के दिवंगत कन्नड़ कवि कुप्पली वेंकटप्पा ‘कुवेम्पु’ की स्मृति में स्थापित एक राष्ट्रीय पुरस्कार है.
  • कुवेम्पु कन्नड़ भाषा के पहले लेखक थे जिन्हें रामायण के उनके स्वयं के संस्करण ‘श्री रामायण दर्शनम’ के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
  • यह पुरस्कार प्रतिवर्ष भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी भाषा के साहित्य में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले लेखक को दिया जाता है.
  • इस पुरस्कार के तहत विजेताओं को 5 लाख रुपए का नकद पुरस्कार तथा एक रजत पदक एवं एक प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है.

फ़्रांसिसी लेखक डेविड डिओप को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2021 दिया गया

फ़्रांसिसी लेखक डेविड डिओप (David Diop) को अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize 2021) 2021 दिया गया है. वे इस पुरस्कार को जीतने वाले पहले फ़्रांसिसी हैं. उन्हें उनकी पुस्तक ‘At Night All Blood is Black’ के लिए यह पुरस्कार दिया गया है.

इस पुस्तक का अंग्रेजी में अनुवाद एना मोश्कोवाकिस (Anna Moschovakis) द्वारा किया गया है. डेविड डिओप पुरस्कार के रूप में मिली 50,000 पाउंड की राशि को अनुवादक एना के साथ साझा करेंगे.

अन्तर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि

  • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष किसी भी भाषा के काल्पनिक कथा उपन्यास को दिया जाता है जिसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ है और प्रकाशन ब्रिटेन अथवा आयरलैंड में हुआ हो.
  • इस पुरस्कार का उद्देश्य दुनिया भर से गुणवत्तापूर्ण साहित्य के प्रकाशन और पढ़ने को प्रोत्साहित करना और अनुवादकों के काम को बढ़ावा देना है.
  • यह पुरस्कार मूल बुकर पुरस्कार से अलग है. मूल बुकर पुरस्कार परीक्षा की दृष्टि से अधिक महत्वपूर्ण है.
  • इस पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है. नियमों के अनुसार यह ईनाम राशि लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है.