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विमानन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए भारत और न्यूजीलैंड में समझौता

भारत और न्यूजीलैंड ने नागर विमानन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. इसमें नए मार्गों का निर्धारण, कोड साझा करने की सेवा, यातायात अधिकार और क्षमता पात्रता शामिल होगी.

समझौते के अनुसार न्यूजीलैंड की नामित विमान कंपनी भारत में छह स्थानों – नई दिल्ली, मुम्बई, बेंगलुरू, चेन्नई, कोलकाता और हैदराबाद से किसी भी तरह के विमानों के साथ कितनी भी सेवाएं संचालित कर सकती है.

इसी तरह भारत की नामित विमानन कंपनी आकलैंड, वेलिंगटन और क्राइस्टचर्च से किसी भी प्रकार के विमान के माध्यम से कितनी भी सेवाएं संचालित कर सकती है.

न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाया

न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन के लिए हाल ही में एक कानून बनाया है. इस कानून में वित्तीय क्षेत्रों को पर्यावरण के लिए जवाबदेह बनाया गया है.

न्यूजीलैंड वैसे तो जलवायु परिवर्तन का बुरी तरह से शिकार देश नहीं माना जाता है, लेकिन फिर भी न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डर्न ने यह संकल्प लिया है कि उनका देश साल 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन जाएगा और साल 2035 तक पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा के जरिए अपनी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करने लगेगा.

क्या है न्यूजीलैंड जलवायु परिवर्तन कानून?

इस कानून के तहत न्यूजीलैंड में अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने द्वारा किए गये निवेश के कारण जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक होगा. यह दुनिया का पहला कानून होगा जो वित्तीय क्षेत्र को पर्यावरण के प्रति जवाबदेह बनाएगा. इस कानून के मुताबिक बैंक, बीमा कंपनी और निवेश प्रतिष्ठानों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग अब अनिवार्य होगी.

वित्तीय क्षेत्र क्यों?

वैश्विक पूंजीवादी व्यवस्था में वित्तिय क्षेत्र की कंपनियों और प्रतिष्ठानों का खासा प्रभाव रहता है और उनके निवेश ही औद्योगिक गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं.

इस कानून से फायदा

यह कानून अगर पास हो गया तो साल 2023 को लागू हो जाएगा जिसके बाद वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग आनिवार्य हो जाएगी. वार्षिक रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करेंगी कि उच्च कार्बन निवेश कम आकर्षक हो जाएगा क्योंकि उत्सर्जन को रोकने के ले सख्तियां लागू होने लगेंगी.

दुनिया में इस तरह का कानून ला कर न्यूजीलैंड को वास्तविक नेतृत्व दिखाने का मौका मिला है जिससे दूसरे देशों को जलवायु संबंधित खुलासे करने अनिवार्य करने के लिए रास्ता मिलेगा. इससे वित्तीय प्रतिष्ठानों को अपने निवेश के जलवायु पर असर का ध्यान रखना होगा और लोगों को उनका प्रदर्शन आंकने का अवसर भी मिलेगा.

जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अन्य देशों के पहल

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश पेरिस समझौते से बंधे हैं. इसके बाद भी पर्यावरणविदों को लगता है कि यह काफी नहीं है क्योंकि दुनिया का कोई देश अपने यहां उद्योगों के लिए सख्त कानून लागू नहीं कर रहा है जिससे उनकी गतिविधियां पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालना बंद कर दें.

वैसे दुनिया में कहीं भी राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का कानून नहीं बना है. अमेरिका के कैलिफोर्निया ने साल 2006 में ग्लोबल वार्मिंग सॉल्यूशन्स एक्ट लागू किया था जिसमें बहुत सारे जलवायु परिवर्तन संबंधी बड़े कदम उठाए गए थे. इस कानून का लक्ष्य साल 2020 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के 1990 के स्तर तक ले जाने का था.

न्यूज़ीलैंड में भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन को मंत्री नियुक्त किया गया

न्यूज़ीलैंड में भारतीय मूल की प्रियंका राधाकृष्णन को मंत्री नियुक्त किया गया है. न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने 3 नवम्बर को उन्हें अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया. ऐसा पहली बार हुआ है कि न्यूज़ीलैंड में भारतीय मूल का कोई व्यक्ति इस पद पर पहुँचा है.

41 साल की प्रियंका न्यूज़ीलैंड में सत्ताधारी लेबर पार्टी की नेता हैं. सितंबर 2017 में प्रियंका लेबर पार्टी से पहली बार सांसद चुनी गईं थीं. प्रियंका ने न्यूज़ीलैंड में घरेलू हिंसा में प्रताड़ित होने वाली महिलाओं और शोषणग्रस्त प्रवासी मज़दूरों के अधिकार के लिए काम किया है.

प्रियंका का जन्म चेन्नई में हुआ था. उन्होंने स्कूल की पढ़ाई सिंगापुर से की थी, इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए न्यूज़ीलैंड चली गई थीं.