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नीति आयोग ने राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक जारी किया

नीति आयोग ने 15 जुलाई को राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multi-dimensional Poverty Index) जारी किया था. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्‍यम द्वारा जारी इस सूचकांक में गरीबी से मुक्त लोगों की जानकारी दी गई है.

यह राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-21 के बीच बहुआयामी गरीबी को कम करने में भारत की प्रगति को दर्शाता है.

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक: मुख्य बिन्दु

  • नीति आयोग ने कहा है कि 2015-16 से 2019-20 के बीच 5 वर्षों में 13.5 करोड़ लोग बहु-आयामी गरीबी से मुक्त हुए. इन पांच वर्षों में गरीब लोगों की संख्या 24.85 प्रतिशत से घटकर 14.96 प्रतिशत पर आ गयी है.
  • ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी की दर में तेज गिरावट आयी है और इस दौरान यह 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गयी है.
  • इस रिपोर्ट में 36 राज्यों और केन्‍द्रशासित प्रदेशों तथा 707 प्रशासनिक जिलों में बहुआयामी गरीबी का आकलन प्रस्तुत किया गया है.
  • रिपोर्ट के अनुसार पोषण में सुधार, बच्चों के स्कूल जाने की व्यवस्था, स्वच्छता और रसोई के लिए ईंधन की व्यवस्था ने गरीबी में कमी लाने में उल्लेखनीय भूमिका निभायी है.
  • यह सूचकांक स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और जीवनशैली के आधार पर गरीबी को परिभाषित करने का समग्र तरीका है. इसके माध्यम से राष्ट्रीय, राज्य और जिलों के स्तर पर राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में सुधार की योजनाओं का आकलन किया जाता है.

नीति आयोग की संचालन परिषद की आठवीं बैठक दिल्ली में आयोजित की गई

नीति आयोग की संचालन परिषद (GCM) की आठवीं बैठक दिल्ली के प्रगति मैदान में 27 मई को आयोजित की गई थी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी.

मुख्य बिन्दु

  • इस बैठक में देश को 2047 तक विकसित देश बनाने के उद्देश्य से स्वास्थ्य, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण और बुनियादी ढांचा विकास समेत कई मुद्दों पर चर्चा की हुई.
  • बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से वित्तीय मामलों में विवेकपूर्ण निर्णय लेने को कहा ताकि वे वित्तीय रूप से सशक्त बनें और नागरिकों के सपनों को पूरा करने वाले कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से चला सकें. साथ ही उन्होंने कहा कि जब राज्य बढ़ते हैं, प्रगति करते हैं तो भारत आगे बढ़ता है.
  • बैठक में प्रधानमंत्री ने राज्यों और जिलों से देश की आजादी के 100 साल पूरे होने पर वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक साझा दृष्टिकोण तैयार करने की अपील की.
  • बैठक में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस, स्वास्थ्य, एमएसएमई, कौशल विकास, महिला सशक्तीकरण, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और पीएम गतिशक्ति समेत कई अहम मसलों पर चर्चा की गई.
  • बैठक में दिल्ली के अरविंद केजरीवाल, पंजाब के भगवंत मान, बिहार के नीतीश कुमार, पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी, राजस्थान के अशोक गहलोत, तेलंगाना के चंद्रशेखर राव, ओडिशा के नवीन पटनायक, तमिलनाडु के एमके स्टालिन, केरल के पी विजयन और कर्नाटक के सिद्धरमैया शामिल शामिल नहीं हुए.

नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक दिल्ली में आयोजित की गई

नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक (NITI Aayog 7th Governing Council Meeting) 7 अगस्त को राष्ट्रपति भवन स्थित सांस्कृतिक केन्द्र में हुई थी. जुलाई 2019 के बाद से शासी परिषद की यह पहली प्रत्यक्ष बैठक थी. इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री और नीति आयोग के अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी ने की.

बैठक में केंद्र तथा राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच सहयोग- समन्वय बढ़ाने पर विचार-विमर्श हुआ.

बैठक की कार्यसूची (एजेंडे) में कौशल विविधीकरण और तिलहन, दलहन तथा कृषि समुदाय के आत्मनिर्भर बनने, राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन और शहरी शासन शामिल थे. शासी परिषद ने प्रत्येक विषय पर कार्य योजना और कार्रवाई योजना को अंतिम रूप दिया.

नीति आयोग की शासी परिषद

यह परिषद राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और रणनीतियों के बारे में साझा दृष्टिकोण विकसित करने वाली प्रमुख संस्था है. यह अन्तर क्षेत्रीय, अंतर विभागीय और संघीय मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच प्रदान करता है.

नीति आयोग की शासी परिषद के सदस्यों में भारत के प्रधानमंत्री, नीति आयोग के सभी सदस्य, सभी राज्यों/UT के मुख्यमंत्री/ उपराज्यपाल शामिल हैं.

नीति आयोग के वर्तमान सदस्य
  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: डॉ सुमन के. बेरी
  • पूर्णकालिक सदस्य: बीके सारस्वत, रमेश चंद और बीके पॉल
नीति आयोग के पदेन सदस्य
  • राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
  • अमित शाह, गृह मंत्री
  • निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वित्त व कॉर्पोरेट मामले मंत्री
  • नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि व किसान कल्याण मंत्री
नीति आयोग (NITI Aayog): एक दृष्टि
  • नीति आयोग में नीति, (NITI) का पूरा नाम (National Institution for Transforming India) है.
  • इसका गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार द्वारा योजना आयोग के स्‍थान पर किया गया था. योजना आयोग की तरह नीति आयोग भी एक गैर-संवैधानिक निकाय है.
  • अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी और इसके भंग होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया.
  • नीति आयोग भारत सरकार के एक थिंक टैंक के रूप में देश को महत्वपूर्ण जानकारी, नवीनता और उद्यमशीलता सहायता प्रदान करता है.
  • नीति आयोग का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं इसके लिये रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्य योजनाएँ तैयार करना है.

नीति आयोग के CEO के रूप में परमेश्वरन अय्यर की नियुक्ति

परमेश्वरन अय्यर को नीति आयोग का नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO)  नियुक्त किया गया है. उन्होंने मौजूदा CEO अमिताभ कांत का स्थान लिया है. इनकी नियुक्ति अभी दो साल के लिए या अगले आदेश तक के लिए की गई है।

परमेश्वरन अय्यर यूपी कैडर के 1981 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। उन्होंने साल 2009 में IAS से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। वे 2030 वाटर रिसोर्सेज ग्रुप के प्रोग्राम मैनेजर हैं, जो वर्ल्ड बैंक ग्रुप द्वारा आयोजित एक पब्लिक, प्राइवेट व सिविल सोसाइटी पार्टनरशिप है।

नीति आयोग के वर्तमान सदस्य

  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: डॉ सुमन के. बेरी
  • पूर्णकालिक सदस्य: बीके सारस्वत, रमेश चंद और बीके पॉल
  • नीति आयोग के पदेन सदस्य:
    1. राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
    2. अमित शाह, गृह मंत्री
    3. निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वित्त व कॉर्पोरेट मामले मंत्री
    4. नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि व किसान कल्याण मंत्री

नीति आयोग (NITI Aayog): एक दृष्टि

  • नीति आयोग में नीति, (NITI) का पूरा नाम (National Institution for Transforming India) है.
  • इसका गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार द्वारा योजना आयोग के स्‍थान पर किया गया था. योजना आयोग की तरह नीति आयोग भी एक गैर-संवैधानिक निकाय है.
  • अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी और इसके भंग होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया.
  • नीति आयोग भारत सरकार के एक थिंक टैंक के रूप में देश को महत्वपूर्ण जानकारी, नवीनता और उद्यमशीलता सहायता प्रदान करता है.
  • नीति आयोग का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं इसके लिये रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्य योजनाएँ तैयार करना है.

डॉ सुमन के बेरी को नीति आयोग का नया उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया

डॉ सुमन के. बेरी को नीति आयोग का नया उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वे 1 मई से कार्यभार संभालेंगे. वे वर्तमान उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार का स्थान लेंगे जो 30 अप्रैल को अपने पद से कार्यमुक्त हो जाएंगे. कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के आदेश में इसकी घोषणा की गयी है.

डॉ. सुमन के. बेरी इससे पहले नई दिल्ली में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं.

नीति आयोग के वर्तमान सदस्य
  • अध्यक्ष: प्रधानमंत्री
  • उपाध्यक्ष: डॉ सुमन के. बेरी
  • पूर्णकालिक सदस्य: बीके सारस्वत, रमेश चंद और बीके पॉल
नीति आयोग के पदेन सदस्य
  • राजनाथ सिंह, रक्षा मंत्री
  • अमित शाह, गृह मंत्री
  • निर्मला सीतारमण, केन्द्रीय वित्त व कॉर्पोरेट मामले मंत्री
  • नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि व किसान कल्याण मंत्री
नीति आयोग (NITI Aayog): एक दृष्टि
  • नीति आयोग में नीति, (NITI) का पूरा नाम (National Institution for Transforming India) है.
  • इसका गठन 1 जनवरी 2015 को भारत सरकार द्वारा योजना आयोग के स्‍थान पर किया गया था. योजना आयोग की तरह नीति आयोग भी एक गैर-संवैधानिक निकाय है.
  • अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने योजना आयोग को भंग करने की घोषणा की थी और इसके भंग होने के साथ ही पंचवर्षीय योजना का युग भी समाप्त हो गया.
  • नीति आयोग भारत सरकार के एक थिंक टैंक के रूप में देश को महत्वपूर्ण जानकारी, नवीनता और उद्यमशीलता सहायता प्रदान करता है.
  • नीति आयोग का मुख्य कार्य न्यू इंडिया के निर्माण का विज़न एवं इसके लिये रणनीतिक मसौदा बनाना तथा कार्य योजनाएँ तैयार करना है.

नीति आयोग ने अपनी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने हाल ही में बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) रिपोर्ट जारी की थी. यह नीति आयोग द्वारा जारी पहली MPI रिपोर्ट थी जिसमें भारत के गरीब राज्यों को रेखांकित किया गया है.

मुख्य बिंदु

  • नीति आयोग के MPI रिपोर्ट के अनुसार बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश देश के सबसे निर्धन राज्यों में शामिल हैं. बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है. इसके बाद झारखंड का स्थान है. वहां की 42.16 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करती है. उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है, जहां के 37.79 प्रतिशत लोग निर्धन हैं. मध्य प्रदेश में 36.65 प्रतिशत और मेघालय में 32.67 प्रतिशत लोग गरीब हैं.
  • देश के जिन राज्यों में सबसे कम गरीबी है, उनमें केरल (0.71 प्रतिशत) शीर्ष पर है. इसके बाद गोवा (3.76 प्रतिशत), सिक्किम (3.82 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.89 प्रतिशत) और पंजाब (5.59 प्रतिशत) का स्थान है.
  • केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा और नगर हवेली में सबसे ज्यादा गरीबी है. वहां 27.36 प्रतिशत लोग गरीब हैं. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 12.58 प्रतिशत और दिल्ली में 4.79 प्रतिशत लोग गरीब हैं.
  • बिहार में कुपोषण के शिकार लोगों की संख्या भी सबसे ज्यादा है. इसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ का स्थान है.
  • मातृत्व स्वास्थ्य से वंचित आबादी, स्कूल नहीं जाने, रसोई ईधन और बिजली से वंचित लोगों के मामले में भी बिहार की स्थिति सबसे खराब है. स्वच्छता से वंचित आबादी के मामले में झारखंड की रैंकिंग सबसे खराब है.
  • बाल और किशोर मृत्यु दर श्रेणी में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन सबसे खराब है. इस मामले में इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है.

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) क्या है?

  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (National Multidimensional Poverty Index) को ‘ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव’ (OPHI) और ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम’ (UNDP) द्वारा 2010 में विकसित किया गया था.
  • MPI इस विचार पर आधारित है कि गरीबी बहुआयामी है. यानी यह केवल आय पर निर्भर नहीं करती बल्कि व्यक्ति में शिक्षा, स्वास्थ्य आदि जैसी कई बुनियादी ज़रूरतों की कमी से भी हो सकती है.
  • यह सूचकांक वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक पर आधारित है, जो प्रत्येक वर्ष व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से गरीब लोगों के जीवन की जटिलताओं की माप करता है.
  • MPI शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर जैसे तीन आयामों पर आधारित है. इन आयामों के 12 खंडों में शामिल हैं- पोषण, प्रसवपूर्व देखभाल, बाल और किशोर मृत्यु दर, स्कूल में उपस्थिति, स्कूली शिक्षा के वर्ष, खाना पकाने का ईंधन, पेयजल, स्वच्छता, आवास, बिजली, बैंक खाते और संपत्ति.

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश के अवसरों पर नीति आयोग ने एक रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने देश में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के विभिन्न संवर्गों में निवेश के व्यापक अवसरों पर 30 मार्च को एक रिपोर्ट जारी की थी.

रिपोर्ट के अनुसार देश के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पिछले पांच वर्षों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है. इसमें अस्पतालों, चिकित्सा उपकरणों और सामग्री, स्वास्थ्य बीमा, टेली मेडिसिन, गृह स्वास्थ्य देखभाल और चिकित्सा यात्रा शामिल हैं. वर्ष 2022 तक भारत का स्वास्थ्य सेवा उद्योग 372 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है.

नीति आयोग ने भारत में जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी के बारे में श्‍वेत पत्र ‘विजन 2035’ जारी किया

नीति आयोग ने भारत में जन स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी के बारे में 14 दिसम्बर को एक श्‍वेत पत्र ‘विजन 2035’ जारी किया. नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉक्‍टर राजीव कुमार, सदस्‍य (स्‍वास्‍थ्‍य) डॉक्‍टर वीके पॉल और मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने संयुक्‍त रूप से यह श्‍वेत पत्र जारी किया.

श्‍वेत पत्र के मुख्य बिंदु

  • इस श्‍वेत पत्र में भारत की सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी प्रणाली को और अधिक जवाबदेह बनाने की बात कही गई है ताकि बीमारियों से निपटने के लिए सभी स्‍तर पर पहले से तैयारियां की जा सकें.
  • इसमें तीन स्‍तरीय सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली को आयुष्‍मान भारत के साथ समन्वित करने की परिकल्‍पना प्रस्‍तुत किया गया है. इसमें देशभर में विशेषज्ञ सेवाओं और प्रयोगशालाओं की क्षमता बढ़ाने की बात भी कही गई है.
  • नागरिकों के प्रति संवेदनशील इस सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य निगरानी प्रणाली में लोगों की निजता और गोपनीयता के संरक्षण का ध्‍यान रखा जायेगा और यह भी व्‍यवस्‍था की जायेगी कि लोगों को फीड बैक प्राप्‍त हो सके.
  • भारत ने स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी अन्तर्राष्ट्रीय स्‍तर की आपात स्थिति से निपटने में क्षेत्रीय और वैश्विक नेतृत्‍व प्रदान करने का भी लक्ष्‍य रखा है.

नीति आयोग ने गुवाहाटी में SDG पर सम्‍मेलन 2020 का आयोजन किया, जानिए क्या SDG

नीति आयोग 24 से 26 फरवरी तक गुवाहाटी में सतत विकास लक्ष्‍य (Sustainable Development goals- SDG): पूर्वोत्‍तर राज्यों की भागीदारी, सहयोग और विकास सम्‍मेलन 2020 का आयोजन किया. सम्‍मेलन का उद्घाटन पूर्वोत्‍त्‍र राज्‍यों के सभी मुख्‍यमंत्रियों और अन्य प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया था.

SDG कार्यक्रम में उत्‍तर-पूर्व राज्‍यों, केन्‍द्रीय मंत्रालयों,‍ शिक्षाविदों नागरिक समाज और अन्तर्राष्ट्रीय विकास संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्‍सा लिया. इस कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों में उत्‍तर-पूर्व में एसडीजी स्‍थानीयकरण, आर्थिक समृद्धि और स्‍थायी आजीविका, जलवायु अनुकूल कृषि, स्‍वास्‍थ्‍य और पोषण जैसे मुद्दे शामिल थे.

सतत विकास लक्ष्‍य (SDG): एक दृष्टि

  • सतत विकास लक्ष्‍य (Sustainable Development Goals) वैश्विक विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किये गये लक्ष्य हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की समय-सीमा 2030 तय की है.
  • 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की 70वीं बैठक में ‘2030 सतत् विकास हेतु एजेंडा’ के तहत सदस्य देशों द्वारा 17 विकास लक्ष्य अर्थात् SDG (Sustainable Development goals) तय किये गए थे.
  • SDG का मुख्य उद्देश्य विश्व से गरीबी को पूर्णतः खत्म करना तथा सामाजिक न्याय और पूर्ण समानता स्थापित करना है.
  • भारत में 2030 तक SDG को प्राप्त करने की जिम्मेदारी नीति आयोग को दी गयी है.

संयुक्त राष्ट्र का 17 विकास लक्ष्य (SDG)

  1. गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति.
  2. भूख की समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा.
  3. सभी आयु के लोगों में स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा.
  4. समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तायुक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना.
  5. लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना.
  6. सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत् प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
  7. सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना.
  8. सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत् आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार तथा बेहतर कार्य को बढ़ावा देना.
  9. लचीले बुनियादी ढाँचे, समावेशी और सतत् औद्योगीकरण को बढ़ावा.
  10. देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना.
  11. सुरक्षित, लचीले और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण.
  12. स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना.
  13. जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना.
  14. स्थायी सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग.
  15. सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकीय प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों, भूमि क्षरण और जैव-विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना.
  16. सतत् विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही साथ सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेहपूर्ण बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके.
  17. सतत् विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्त कार्यान्वयन के साधनों को मजबूत बनाना.

प्रधानमंत्री ने नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बैठक की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी को नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ बैठक की. यह बैठक आर्थिक वृद्धि को गति देने के उपायों पर विचार करने के लिए आयोजित की गयी थी. इस उच्चस्तरीय बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

इस बैठक में विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के 38 विशेषज्ञों के साथ बात-चीत में प्रधानमंत्री ने आह्वान किया की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लिए सभी हितधारकों द्वारा केंद्रित प्रयास किया जाना ज़रूरी है. प्रधानमंत्री ने कहा की पर्यटन, शहरी विकास, ढाँचागत निर्माण और कृषि आधारित उद्योगों जैसे क्षेत्रों में रोज़गार सृजन की अपार क्षमता है. यात्रा एवं पर्यटन और कृषि क्षेत्रों पर प्रधानमंत्री ने ख़ास गौर किया. प्रधानमंत्री का कहना था की गंतव्य विकास के ज़रिए भारत का एक ब्रांड के तौर पर विकास करना संभव है.

नीति आयोग ने भारत के सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक 2019-20 जारी किया

नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने 30 दिसम्बर को भारत के सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक (Sustainable Development Goals Index- SDG) का दूसरा संस्‍करण (2019-20) जारी किया. इस सूचकांक में देश के समग्र रैंक में सुधार हुआ है और यह 57 से 60 हो गया है. यह उपलब्धि जल, स्‍वच्‍छता, ऊर्जा और उद्योग क्षेत्रों में बेहतर काम के कारण हासिल की है.

सूचकांक की राज्‍यों की सूची में केरल, हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना सबसे ऊपर हैं. इस वर्ष किसी भी राज्‍य को 100 अंकों में से 50 से कम नहीं मिले हैं. कुपोषण और स्‍त्री-पुरूष असमानता देश के लिए समस्‍या बनी हुई है जिस पर अधिक ध्‍यान देने की जरूरत है. स्वच्छ भारत अभियान, उज्जवला योजना सहित तमाम जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के चलते भी भारत का प्रदर्शन बेहतर हुआ है.

इस बार के सूचकांक के मुताबिक लैंगिक समानता और पोषण जैसे विषयों पर अभी राज्यों को और ज्यादा मेहनत की जरुरत है तो बिहार और झारखंड जैसे राज्यों को अन्य राज्यों की तरह तमाम पैमानों पर और काम करना होगा. उत्तर प्रदेश और असम जैसे राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, गरीबी, भूख जैसे तमाम मानकों पर पिछले साल अच्छा काम हुआ है, जिससे इन राज्यों की रैंकिंग और ज्यादा सुधरी है.

सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक: एक दृष्टि

  • सतत विकास लक्ष्‍य सूचकांक में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वर्ष 2030 के सतत विकास के लक्ष्‍य प्राप्‍त करने की दिशा में देश के राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों में हुई प्रगति का लेखा जोखा होता है.
  • इस सूचकांक में 100 मानकों के आधार पर राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों की प्रगति का आंकलन किया गया है.
  • ये सूचकांक बताते हैं कि देश और राज्‍य तथा केन्‍द्र शासित प्रदेश सतत विकास के लक्ष्‍यों को पाने के दिशा में क्‍या कर रहे हैं और इसे पाने के लिए कितना और समय लगेगा.

नीति आयोग ने ‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’ जारी किया: कर्नाटक शीर्ष पर

नी‍ति आयोग ने 17 अक्टूबर को ‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’ जारी किया. यह सूचकांक ‘इंस्‍टीट्यूट फॉर कम्पीटिटिवनेस’ के साथ मिलकर तैयार किया गया है.

इस सूचकांक के अनुसार नवाचार के मामले में कर्नाटक पहले स्थान पर जबकि तमिलनाडु व महाराष्ट्र क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. केंद्र शासित प्रदेश एवं छोटे राज्यों की श्रेणी में दिल्ली पहले पायदान पर है.

यह सूचकांक राज्यों की नवाचार की क्षमता और प्रदर्शन के सतत आकलन के लिए बनाया गया है. इस सूचकांक के निर्माण के लिए पांच सक्षम बनाने वाले पैमानों और दो प्रदर्शन के पैमानों पर राज्यों को परखा गया. सक्षम बनाने वाले पैमानों में मानव संसाधन, निवेश, कारोबार का माहौल, सुरक्षा और कानूनी वातावरण को रखा गया था. वहीं, ज्ञान के उत्पादन और ज्ञान के प्रसार को प्रदर्शन के पैमानों में रखा गया था.

क्या है नवाचार?
नवाचार के तहत यह देखा जाता है कि कौन राज्य किस क्षेत्र में और क्यों बेहतर कर रहा है. वहां राज्य के संसाधन, तकनीक और मानव संसाधन के बीच कैसा ताममेल है. इसके लिए उसने किस तरह की मदद ली और उनमें किस तरह की चुनौतियां सामने आईं और उसे कहां तक हल करने में सफल रहा. साथ ही इसका वहां के लोगों पर क्या असर पड़ा. नवाचार में निवेशक, शोधकर्ता और आविष्कारक सभी को एक मंच मिलता है.