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पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में कृषि उत्‍पादों के निर्यात में उल्‍लेखनीय वृद्धि

पूर्वोत्‍तर राज्‍यों ने पिछले छह वर्ष के दौरान कृषि उत्‍पादों के निर्यात में उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज हुई है. वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आँकड़े के अनुसार असम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम और मेघालय जैसे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र ने पिछले छह वर्ष के दौरान कृषि उत्‍पादों के निर्यात में 85 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है.

2016-17 में यह निर्यात वर्ष 25.20 लाख डॉलर था जो कि 2021-22 में बढ़कर 1.70 करोड़ डॉलर पहुंच गया.

इस दौरान कृषि उत्‍पादों का सर्वाधिक निर्यात बांग्लादेश, भूटान, मध्‍य-पूर्व देशों, ब्रिटेन और यूरोप में किया गया.

जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के चार राज्यों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन किया गया

सरकार ने देश के पांच राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन के लिए हाल ही में एक आयोग का गठन किया है. यह आयोग जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के चार राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड का परिसीमन करेगा.

पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई अध्यक्ष नियुक्त

कानून मंत्रालय की जारी अधिसूचना के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को इस परिसीमन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. सेवानिवृत्त जस्टिस देसाई को एक साल के लिए या अगले आदेश तक इस आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर तथा चार राज्यों के राज्य निर्वाचन आयुक्तों को इस आयोग का पदेन सदस्य बनाया गया है.

जम्मू-कश्मीर, असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में परिसीमन

परिसीमन आयोग ‘जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून’ के प्रावधानों के तहत जम्मू-कश्मीर में लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन करेगा जबकि ‘परिसीमन कानून 2002’ के प्रावधानों के मुताबिक असम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड में परिसीमन होगा.

जम्मू-कश्मीर में वर्तमान स्थिति

जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन से पहले यहाँ के विधानसभा में 111 सीटें थीं. इनमें लद्दाख की 4 सीटें और गुलाम कश्मीर (पाकिस्तान के कब्जे में) की 24 सीटें शामिल हैं. अब लद्दाख अलग केंद्र शासित प्रदेश बन चुका है. लद्दाख के 4 सीटें अलग हो जाने के बाद तरह जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुल 107 सीटें रह गईं.

यह परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर होगा. परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 7 सीटें बढ़ेंगी और इनकी संख्या बढ़कर 114 हो जाएंगी.

राज्य के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की सीटों में कोई बदलाव नहीं होगा. वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 सीटें और लद्दाख में एक सीट हैं. इस तरह लोकसभा सीटों में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा.

जम्मू और कश्मीर में अंतिम परिसीमन 1995 में हुआ था. तब राज्य में सीटों की संख्या बढ़ाकर 75 से 87 की गई थी. उसके बाद फारूक अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू कश्मीर विधानसभा ने प्रस्ताव पास कर परिसीमन पर रोक लगा दी थी.

2002 के चुनावों में कश्मीर और लद्दाख के मुकाबले जम्मू में मतदाताओं की संख्या अधिक थी. इसके बावजूद कश्मीर में सीटों की संख्या अधिक रही और लगातार कश्मीर केंद्रित दल ही राज्य की सत्ता पर काबिज रहे. यही वजह है कि कश्मीरी दल परिसीमन नहीं होने देना चाहते थे.

क्या है परिसीमन और परिसीमन आयोग?

परिसीमन का तात्पर्य किसी देश या प्रांत में निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण से है. निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण परिसीमन आयोग द्वारा किया जाता है. संविधान के अनुच्छेद 82 के मुताबिक, सरकार हर 10 साल बाद परिसीमन आयोग का गठन कर सकती है. इसके तहत जनसंख्या के आधार पर विभिन्न विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का निर्धारण होता है.

परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन

परिसीमन आयोग का गठन भारत सरकार की ओर से ‘परिसीमन अधिनियम, 2002’ की धारा 3 के अन्तर्गत किया जाता है. इस सम्बन्ध में अधिसूचना भारत के राष्ट्रपति के ओर से जारी की जाती है. अब तक चार बार परिसीमन आयोग का गठन हो चुका है. पहली बार 1952 में इस आयोग का गठन किया गया था. इसके बाद 1962, 1972 और 2002 में इस आयोग का गठन किया गया था.

ब्रू शरणार्थियों की समस्या के समाधान के लिए समझौते, जानिए कौन है ब्रू शरणार्थी

केंद्र सरकार ने ब्रू-शरणार्थी संकट को समाप्त करने के लिए त्रिपुरा, मिजोरम और ब्रू समुदाय के सदस्यों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता 16 जनवरी को नई दिल्‍ली में हुआ. गृहमंत्री अमित शाह, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव, मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांग की उपस्तिथि में यह समझौता किया गया. इस समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जायेगा.

समझौते के अनुसार 30 हजार से अधिक ब्रू-शरणार्थियों को त्रिपुरा में बसाया जाएगा. केंद्र सरकार ने इस समुदाय के लोगों के पुनर्वास के लिए छह सौ करोड़ रुपए का पैकेज मंजूर किया है. सरकार उनको आवासीय प्‍लॉट, चार लाख रुपये की फिक्‍स डिपॉजि़ट और पांच हजार रुपया प्रतिमाह नकद सहायता देगी.

कौन है ब्रू शरणार्थी और क्या है मामला?

  1. ब्रू शरणार्थी मिजोरम की ब्रू (रियांग) जनजाति है. मिजोरम में मिजो जनजातियों का कब्जा बनाए रखने के लिए मिजो उग्रवाद ने ब्रू जनजातियों को निशाना बनाया. 1995 में यंग मिजो एसोसिएशन और मिजो स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने ब्रू जनजाति को बाहरी घोषित कर दिया.
  2. अक्टूबर, 1997 में मिजोरम में ब्रू लोगों के खिलाफ जमकर हिंसा हुई. जिसके बाद काफी संख्या में ब्रू शरणार्थि अपना राज्य मिज़ोरम छोड़कर त्रिपुरा आ गए थे, जहां वो कई कैंप में रह रहे थे. इस प्रकार यह समस्या 22 वर्षों से जारी थी.
  3. साल 2018 में केंद्र की पहल पर हुए समझौते के तहत उनके लिए मिज़ोरम में वापसी की व्यवस्था हुई थी, लेकिन काफी कम लोगों ने उस अवसर का इस्तेमाल किया. अब ब्रू शरणार्थियों की मांग पर त्रिपुरा में ही उनके रहने की व्यवस्था हुई है.

सरकार ने पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए गैस ग्रिड की स्‍थापना को मंजूरी दी

सरकार ने पूर्वोत्‍तर राज्‍यों को प्राकृतिक गैस पाइपलाइन ग्रिड बनाने के लिए इन्‍द्रधनुष गैस ग्रिड लिमिटेड की परियोजना को 8 जनवरी को मंजूरी दी. इस परियोजना की कुल लागत नौ हजार दो सौ छप्‍पन करोड़ रुपये है और केन्‍द्र सरकार की ओर से वायबिलिटी गैप फंडिंग के रूप में इसका साठ प्रतिशत हिस्‍सा दिया जाएगा.

इस परियोजना के तहत आठ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के 1656 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन से असम में गुवाहाटी से इटानगर, दीमापुर, कोहिमा, इम्‍फाल, आइजॉल और अगरतला जैसे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के प्रमुख नगरों को जोड़ा जाएगा.