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भारत ने GCI सूचकांक में शीर्ष 10 देशों में जगह बनाई

अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने हाल ही में वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक (GCI) 2020 जारी किया था. इस सूचकांक में भारत ने 37 स्थानों की बढ़त के साथ शीर्ष 10 देशों में जगह बनाई है. प्रमुख साइबर सुरक्षा मानकों पर खड़ा उतरने के लिए भारत को यह उपलब्धि हासिल हुई है.

भारत ने GCI 2020 में दुनियाभर में दसवें स्थान पर पहुंचने के लिए संभावित अधिकतम 100 अंकों से कुल 97.5 अंक हासिल किए. भारत ने पिछले कुछ वर्षों में सभी पांच स्तंभों पर लगातार काम किया है, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक साइबर सुरक्षा सूचकांक में इसकी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है.

अमेरिका पहले स्थान पर

साइबर सुरक्षा के लिहाज से सूची में सबसे ऊपर अमेरिका है. उसके बाद ब्रिटेन व सऊदी अरब एक साथ दूसरे स्थान पर हैं, जबकि तीसरे स्थान पर एस्टोनिया है.

GCI का आकलन

GCI (Global Cybersecurity Index) का आकलन कानूनी उपायों, तकनीकी उपायों, संगठनात्मक उपायों, क्षमता विकास और सहयोग सहित साइबर सुरक्षा के पांच मानकों पर प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है.

IMD वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक 2021: स्विट्जरलैंड पहले और भारत 43वें स्थान पर

इंस्टीट्यूट फॉर मैनेजमेंट डेवलपमेंट (IMD) ने हाल ही में वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक (World Competitiveness Ranking) 2021 जारी किया था. इस बार के सूचकांक में कोविड-19 महामारी का दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़े प्रभाव का आकलन किया गया था.

मुख्य बिंदु

  • कुल 64 देशों की सूची में स्विट्जरलैंड पहले स्थान पर है. इस सूची स्वीडन दूसरे, डेनमार्क तीसरे जबकि नीदरलैंड चौथे और सिंगापुर पांचवें स्थान पर रहा.
  • भारत ने सूचकांक में 43वें स्थान को बरकरार रखा है. IMD ने कहा कि भारत पिछले तीन साल से अपनी वही स्थिति बनाये हुए है लेकिन इस साल उसने सरकारी दक्षता में उल्लेखनीय सुधार किया है.
  • शीर्ष प्रदर्शन करने वाली एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सिंगापुर (पाचवें), हांगकांग (सातवें), ताइवान (आठवें) और चीन (16वें) स्थान पर हैं.
  • ब्रिक्स देशों में भारत (43वें), चीन (16वें), रूस (45वें), ब्राजील (57वें) और दक्षिण अफ्रीका (62वें) स्थान पर है.

IMD विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता रैंकिंग

IMD विश्व प्रतिस्पर्धात्मकता रैंकिंग में 64 अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया जाता है. इसमें यह आकलन किया जाता है कि कोई देश अपने लोगों की सुख समृद्धि को बढ़ाने में कहां तक आगे बढ़ा है. इसे IMD World Competitiveness Center द्वारा जारी किया जाता है.

वैश्विक शांति सूचकांक 2021: आइसलैंड पहले और भारत 135वें स्थान पर

इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) ने 17 जून को 15वां वैश्विक शांति सूचकांक (15th Global Peace Index), 2021 जारी किया था. इस सूचकांक में विश्व के 163 स्वतंत्र देशों को उनको शांति के स्तर के अनुसार रैंकिंग प्रदान की गई है.

यह सूचकांक तीन मुख्य संकेतकों के आधार पर तैयार किया गया है. ये संकेतक हैं- समाज में बचाव एवं सुरक्षा का स्तर, घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय संघर्ष का विस्तार और सैन्यीकरण का स्तर.

वैश्विक शांति सूचकांक 2021: मुख्य बिंदु

  • विगत एक वर्ष के दौरान विश्व में शांति के स्तर में 0.07 प्रतिशत की दर से सुधार हुआ है. 87 देशों के शांति के स्तर में बढ़ोतरी जबकि 73 देशों के शांति के स्तर में गिरावट दर्ज की गई.
  • इस सूचकांक के अनुसार‚ यूरोप विश्व का सर्वाधिक शांतिपूर्ण क्षेत्र है. जबकि मध्य-पूर्व एवं उत्तरी अफ्रीका विश्व का सर्वाधिक अशांत क्षेत्र है.
  • वैश्विक शांति सूचकांक‚ 2021 के अनुसार‚ आइसलैंड (स्कोर-1.1) विश्व का सर्वाधिक शांतिमय देश है. इसके पश्चात न्यूजीलैंड दूसरे‚ डेनमार्क तीसरे‚ पुर्तगाल चौथे तथा स्लोवेनिया पांचवें स्थान पर रहे.
  • इस सूचकांक में अंतिम स्थान पर अफगानिस्तान (163वां) है. इसके पश्चात यमन को 162वां‚ सीरिया को 161वां‚ दक्षिण सूडान को 160वां तथा ईराक को 159वां स्थान प्राप्त हुआ.
  • इस सूचकांक में भारत को 135वें (स्कोर-2.553) स्थान पर है. भारत पिछले वर्ष के सूचकांक में 137वें स्थान पर था.
  • भारत के पड़ोसी देशों में भूटान को 22वां‚ नेपाल को 85वां‚ बांग्लादेश को 91वां‚ श्रीलंका 95वां तथा पाकिस्तान को 150वां स्थान प्राप्त हुआ है.

विश्व दाता सूचकांक 2021: भारत दुनिया का 14वां सर्वाधिक परोपकारी देश

चैरिटीज एड फाउंडेशन (CAF) ने हाल ही में विश्व दाता सूचकांक (World Giving Index) 2021 जारी किया है. इस वर्ष के सर्वेक्षण में दान और परोपकारी गतिविधियों पर लॉकडाउन के प्रभावों का उल्लेख किया गया है.

विश्व दाता सूचकांक 2021: मुख्य बिंदु

  • विश्व दाता सूचकांक 2021 की रिपोर्ट में भारत को दुनिया का 14वां सर्वाधिक परोपकारी देश बताया गया है. इसके अनुसार भारत अब विश्व के शीर्ष 20 उदार देशों में शामिल हैं, जबकि पिछले दस वर्षों तक भारत 82वें स्थान पर था.
  • आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड दुनिया के शीर्ष दस दान-दाता देशों में बने हुए हैं. इन दोनों देशों में कोविड महामारी की पहली लहर के दौरान सर्वेक्षण किया गया था.
  • CAF की रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया के लगभग तीन अरब व्यस्क लोगों ने 2020 में किसी न किसी ऐसे व्यक्ति की सहाय़ता की जिसे वह जानते भी नहीं थे.
  • भारत में 2017-2019 के बीच दान और परोपकारी गतिविधियों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और यह रूझान 2020 में भी जारी रहा.
  • भारत में 61 प्रतिशत भारतीयों ने अपरिचितों की सहायता की, 34 प्रतिशत लोग मदद के लिए आगे आए और 36 प्रतिशत लोगों ने धनराशि दान की.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2022: शीर्ष 200 में भारत से 3 संस्थान, अमेरिका का MIT शीर्ष पर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2022 हाल ही में जारी की गई है. यह QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग का 18वां संस्‍करण था. इस रैंकिंग में विश्व के शीर्ष 200 में 3 भारतीय संस्थान को शामिल किया गया है.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2022: मुख्य बिंदु

भारत

  • 18वीं QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के अनुसार, विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में तीन भारतीय संस्थान शामिल हैं. ये संसथान- IIT बेंगलुरु, IIT बॉम्बे और IIT दिल्ली भी शामिल हैं.
  • भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु को साइटेशन पर फैकल्टी (CPF) मीट्रिक यानी शोध पेपर प्रति संकाय सदस्य के लिए 100 में से 100 अंकों के स्कोर के साथ दुनिया के शीर्ष अनुसंधान विश्वविद्यालय अर्थात ‘टॉप रिसर्च यूनिवर्सिटी इन द वर्ल्ड’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. इसके साथ, IISc संपूर्ण 100 स्कोर करने वाला पहला भारतीय विश्वविद्यालय बन गया है.
  • IIT बॉम्बे को लगातार चौथे वर्ष भारत में शीर्ष क्रम के संस्थान के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. हालांकि, इस साल QS रैंकिंग में यह पांच पायदान नीचे गिरकर 172 से 177 पर आ गया है. IIT दिल्ली, 193वीं रैंक से 185 पर पहुंचने के बाद, भारत का दूसरा सबसे अच्छा विश्वविद्यालय बन गया है. जबकि, ओवरऑल यूनिवर्सिटी रैंकिंग में QS बेंगलुरु 185 से 186वीं रैंक पर पहुंच गया है.

विश्व

इस QS वर्ल्ड रैंकिंग में अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) को लगातार 10वें वर्ष को दुनिया के नंबर एक विश्वविद्यालय के रूप में चिह्नित किया. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने 2006 के बाद पहली बार दूसरा स्थान हासिल किया है, जबकि स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तीसरे स्थान पर हैं.

QS रैंकिंग का आधार

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग छह संकेतकों के आधार पर तैयार की जाती है. इनमें शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, प्रति संकाय उद्धरण, संकाय / छात्र अनुपात, अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात आदि शामिल हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

विश्व आर्थिक मंच ने ‘ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक-2021 जारी किया

विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने हाल ही में ‘ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक’ (Energy Transition Index- ETI)- 2021 जारी किया था. इस सूचकांक में दुनिया के 115 देशों की ऊर्जा प्रणाली के प्रदर्शन स्तर पर सर्वेक्षण किया गया है.

सर्वेक्षण में 115 देशों के ‘नेट-शून्य उत्सर्जन’ (Net-Zero Emissions) के मामले में अग्रणी देशों का विश्लेषण किया जाता है. मानव द्वारा उत्सर्जित ‘ग्रीनहाउस गैस’ (Greenhouse Gas- GHG) को वायुमंडल से पूरी तरह हटाने को ‘नेट-शून्य उत्सर्जन’ की स्थिति कहा जाता है.

ऊर्जा ट्रांजीशन सूचकांक (ETI)-2021: मुख्य बिंदु

  • स्वीडन लगातार चौथे वर्ष ETI रैंकिंग में शीर्ष स्थान पर रहा है, इसके बाद नॉर्वे और डेनमार्क का स्थान है. सूचकांक में स्विट्जरलैंड चौथे और ऑस्ट्रिया पांचवें स्थान पर है.
  • शीर्ष स्थान पर वे देश रहे हैं जिन्होंने अपने ऊर्जा आयात तथा ऊर्जा सब्सिडी में कमी की है तथा राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

भारत और चीन

भारत इस सूचकांक में 87वें और चीन 68वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत सब्सिडी सुधारों के माध्यम से ऊर्जा बदलाव ला रहा है. दूसरी ओर, चीन निवेश और बुनियादी ढांचे के माध्यम से नवीकरण का विस्तार कर रहा है. वैश्विक ऊर्जा मांग का एक-तिहाई हिस्सा भारत और चीन में हैं.

विश्व आर्थिक मंच (WEF): एक दृष्टि

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) एक गैर-लाभकारी संस्था है. वर्ष 1971 में स्थापित विश्व आर्थिक मंच का मुख्यालय स्विट्जरलैंड में है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2021: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दिशा-दशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2021 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2020 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भी भारत 142वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष स्थान पर है. नॉर्वे लगातार पांचवें वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग इरीट्रिया की है जो 180वें स्थान पर है. उत्तर कोरिया 179वें और तुर्कमेनिस्तान 178वें स्थान पर था.

भारत के पडोसी देशों में चीन 177वें, श्रीलंका 127वें, नेपाल 106वें, म्यांमार 140वें, बांग्लादेश 152वें और पाकिस्तान 145वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.

ARWU रैंकिंग: IISC देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर

शिक्षण संस्थानों की ARWU (Academic Ranking of World Universities) 2020 रैंकिंग हाल ही में जारी की गयी है. इस रैंकिंग में लगभग 15 भारतीय विश्वविद्यालयों को स्थान मिला है.

भारत में शीर्ष संस्थानों की ARWU रैंकिंग 2020 के अनुसार, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) देश के सभी प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में पहले स्थान पर रहा है. इस रैंकिंग में IIT मद्रास दुसरे स्थान पर है. कलकत्ता विश्वविद्यालय ने भारतीय विश्वविद्यालयों के बीच पहला स्थान और देश के शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में तीसरा स्थान हासिल किया.

ARWU रैंकिंग में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को पहला स्थान दिया गया है. दूसरे स्थान पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी है जबकि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी नेतीसरा स्थान प्राप्त किया है.

ARWU रैंकिंग को शंघाई रैंकिंग के रूप में भी जाना जाता है. इसे शंघाई रैंकिंग कंसल्टेंसी द्वारा तैयार किया जाता है. यह 2009 से विश्व विश्वविद्यालयों की अकादमिक रैंकिंग जारी कर रहा है.

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग जारी, IIT मद्रास भारतीय संस्थानों में शीर्ष पर

क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ने 4 मार्च को लंदन में 2021 की सब्जेक्ट रैंकिंग (QS World University Rankings by Subject) जारी की. इस रैंकिंग में भारत के 14 शिक्षण संस्थान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों की सूची में शामिल हो गए हैं.

भारतीय संस्थानों में IIT मद्रास पहले, IIT बॉम्बे दूसरे, IIT खड़गपुर तीसरे और दिल्ली विश्वविद्यालय को चौथा स्थान मिला है. IIT दिल्ली 10वें स्थान पर है.

क्यूएस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट बेन स्वॉटेर के मुताबिक, भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू किया है. इसका असर कुछ महीनों में ही दिखने लगा है. अब भारतीय शिक्षण संस्थान शिक्षा और पाठ्यक्रम की गुणवत्ता में समझौता नहीं कर रहे हैं, यही वजह है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल की रैंकिंग में विषयों की संख्या कम रही है.

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 100 संस्थानों में भारतीय संस्थानों की रैंकिंग

संस्थानरैंकिंगविषय
आईआईटी मद्रास30पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे41इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
आईआईटी खड़गपुर44इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग
दिल्ली विश्वविद्यालय50डेवलपमेंट स्ट्डीज
आईआईटी बॉम्बे50आर्ट एंड डिजाइन
आईआईटी गुवाहाटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी बॉम्बे51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
आईआईटी दिल्ली51इंजी. सिविल एंड स्ट्रक्चरल
जेएनयू51एंथ्रोपोलॉजी
अन्ना यूनिवर्सिटी51पेट्रोलियम इंजीनियरिंग
आईआईटी दिल्ली51इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक
ओपी जिंदल76लॉ
आईआईएम अहमदाबाद79बिजनेस एंड मैनेजमेंट स्टडीज
आईआईएससी बंगलूरू93केमिस्ट्री

लोकतंत्र सूचकांक 2020 में भारत 53वें स्थान पर

भारत 2020 के लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) की वैश्विक रैंकिंग में 53वें स्थान पर है. यह सूचकांक रिपोर्ट यूनाइटेड किंगडम की कंपनी द इकोनॉमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (EIU) द्वारा 4 फरवरी को जारी की गयी है. रिपोर्ट का शीर्षक ‘Democracy in sickness and in health?’ है.

भारत पिछले वर्ष इस सूचकांक में 51वें स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार, लोकतांत्रिक मूल्यों से पीछे हटने और नागरिकों की स्वतंत्रता पर कार्रवाई को लेकर भारत पिछले साल की तुलना में दो पायदान फिसला है. हालांकि भारत पड़ोसी देशों से ऊपर है. भारत को पिछले साल 6.9 अंक मिले थे, जो अब घटकर 6.61 अंक रह गए हैं.

नॉर्वे शीर्ष स्थान पर

EIU के इस सूचकांक में नॉर्वे को शीर्ष स्थान मिला है. इसके बाद आइसलैंड, स्वीडन, न्यूजीलैंड और कनाडा का स्थान है. 167 देशों के इस सूचकांक में 23 को पूर्ण लोकतंत्र, 52 को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र, 35 को मिश्रित शासन और 57 को सत्तावादी शासन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

भारत को अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम और ब्राजील के साथ त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. भारत के पड़ोसी देशों में श्रीलंका 68वें, बांग्लादेश 76वें, भूटान 84वें और पाकिस्तान 105वें स्थान पर रहा. श्रीलंका को त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में रखा गया है, जबकि बांग्लादेश, भूटान और पाकिस्तान ‘मिश्रित शासन’ के वर्ग में है.

इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान 139वें स्थान पर है और उसे ‘सत्तावादी शासन’ के तौर पर वर्गीकृत किया गया है. उत्तर कोरिया अंतिम 167वें स्थान पर बरकरार है.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021: भारत 85वें स्थान पर, जापान शीर्ष स्थान पर

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स (Henley Passport Index) 2021 रिपोर्ट 12 जनवरी को जारी की गयी थी. 199 देशों की इस पासपोर्ट रैंकिंग रिपोर्ट में भारत 85वें स्थान पर है. भारत की रैंकिंग में जनवरी 2020 में जारी पिछले रैंकिंग रिपोर्ट से एक स्थान की गिरावट आई है. इस सूचकांक में शीर्ष तीन स्थानों पर एशियाई देश हैं. ये तीन देश जापान, सिंगापुर, जर्मनी व कोरिया हैं.

हेनले पासपोर्ट रैंकिंग क्या है?

  • हेनले पासपोर्ट रैंकिंग को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के आंकड़ों के आधार पर प्रतिवर्ष हेनले एंड पार्टनर्स द्वारा जारी किया जाता है.
  • यह रैंकिंग देशों के पासपोर्ट की ताकत पर निर्भर करती है. इस रैंकिंग में स्कोर का मतलब है कि कितने देशों में उस पासपोर्ट के जरिए वीजा मुक्त या वीजा आन-अराइवल प्रवेश मिल सकता है.
  • जिस देश के पासपोर्ट के जरिए बगैर वीजा या वीजा ऑन अराइवल सबसे अधिक देशों में आने-जाने की छूट होती है, उसकी रैंकिंग सबसे अच्छी होती है.

भारत के पासपोर्ट पर 58 देशों में बिना वीजा यात्रा

रैंकिंग में भारत 85 वें स्थान पर है. भारतीय पासपोर्ट धारक भूटान, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मकाऊ, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, केन्या, मॉरिशस, सेशेल्स, जिम्बॉब्वे, यूगांडा, ईरान और कतर सहित 58 देशों में बिना वीजा के यात्रा कर सकते हैं.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021: एक दृष्टि

  • हेनले पासपोर्ट इंडेक्‍स-2021 में जापान पहले स्थान पर है. जापान के पासपोर्टधारक 191 देशों की यात्रा बिना वीजा के यात्रा कर सकते है.
  • रिपोर्ट में सिंगापुर ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है. सिंगापुर क़े पासपोर्टधारक 190 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते हैं.
  • शक्तिशाली पासपोर्ट की इस रैंकिंग में तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया और जर्मनी हैं. इन दोनों देशों के पासपोर्टधारक 189 देशों में वीजा के बिना यात्रा कर सकते हैं.
  • अमेरिका इस रैंकिंग में 7वें स्थान पर है. अमेरिका के पासपोर्टधारक को 185 देशों की यात्रा बिना वीजा के कर सकते है.
  • पड़ोसी देश चीन के पासपोर्ट का रैंकिंग में 70वां स्थान है. चीन के पासपोर्ट का 75 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है और पाकिस्तान का पासपोर्ट जो 107वें स्थान पर है, उसका 32 देशों में वीजा फ्री एक्सेस है.
  • इस रैंकिंग में सीरिया, इराक और अफगानिस्तान सबसे खराब पासपोर्ट वाले देश बने हुए. अफगानिस्तान अंतिम 110वें स्थान पर है.

रिश्वत जोखिमों की वैश्विक सूची में भारत दुनिया में 77वें स्थान पर

ट्रेस (TRACE) इंटरनेशनल ने हाल ही में व्यापार में रिश्वत जोखिमों की वैश्विक सूची (Bribery Risk Matrix) 2020 जारी की है. इस सूची के अनुसार दुनिया के 194 देशों में भारत 45 अंकों के साथ 77वें स्थान पर है. 2019 की अपेक्षा भारत ने एक स्थान का सुधार किया है. 2019 में भारत की रैंकिंग 78वीं थी. भारत के अलावा पेरू, जॉर्डन, कोलंबिया और मॉन्टेग्रो ने भी 45 अंक हासिल किए हैं.

‘ट्रेस’ के इस सर्वे के मुताबिक न्यूजीलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड और स्वीडन जैसे देशों में बिजनेस करने में रिश्वतखोरी का रिस्क सबसे कम है. वहीं नॉर्थ कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, दक्षिणी सूडान जैसे देशों का स्थान सबसे नीचे है.

यह सर्वे चार चीजों के आधार पर किया जाता है. पहला है बिजनेस का सरकार से संवाद कैसा है, दूसरा रिश्वतखोरी रोकने के लिए कानून, पारदर्शिता, अनुपालन कितना होता है.

ट्रेस ने सबसे पहले 2014 में यह सर्वे जारी किया था. इसमें संयुक्त राष्ट्र, वर्लड बैंक, वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम जैसे संस्थानों का डाटा निकालकर अध्ययन किया जाता है.