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वर्ष 2020 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट जारी, भारत 94वें स्थान पर

वर्ष 2020 का ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index) रिपोर्ट हाल ही में जारी किया गया था. यह इंडेक्स वेलहंगर लाइफ और कंसर्न वर्ल्डवाइड द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है.

इस वर्ष के ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) रिपोर्ट के लिए 132 देशों का आकलन किया गया था. इनमें से 107 देशों के लिए GHI स्कोर और रैंक करने के लिए पर्याप्त डेटा थे.

रिपोर्ट में भारत

इस रिपोर्ट में भारत 107 देशों में 94वें स्थान पर है. इस रिपोर्ट ने 27.2 के स्कोर के साथ भारत को गंभीर श्रेणी में डाला है. 2018 में भारत 103वें और 2019 में 102वें स्थान पर रहा था.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

रिपोर्ट के अनुसार भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्टंटिंग दर 37.4 प्रतिशत है. भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण का शिकार है. वहीँ पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत है.

भारत के पड़ोसी देशों में नेपाल 73वें स्थान पर बांग्लादेश और पाकिस्तान क्रमशः 75वें और 88वें स्थान पर हैं.

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया 2030 तक शून्य भूखमरी को प्राप्त करने में सक्षम नहीं होगी. शून्य भूखमरी संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों में से एक है.

ग्लोबल हंगर इंडेक्स क्या है?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में चार संकेतक जैसे कि अल्पपोषण, चाइल्ड वेस्टिंग, चाइल्ड स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर के आधार पर देशों की रैंकिंग की जाती है. चाइल्ड वेस्टिंग से तात्पर्य उन बच्चों से है जिनका वजन कम होता है. चाइल्ड स्टंटिंग में वे बच्चे शामिल होते हैं, जिनकी ऊंचाई उनके वजन के अनुसार नहीं होता है.

वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ सूचकांक 2020 जारी, सिंगापुर पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का स्मार्ट सिटी सूचकांक (SCI) 18 सितम्बर को जारी किया गया. यह सूचकांक इंस्टिट्यूट फॉर मैनेजमेंट डिवेलपमेंट (IMD) ने सिंगापुर यूनिवर्सिटी फॉर टेक्नालॉजी एंड डिजाइन (SUTD) के साथ मिलकर जारी किया है. इसमें कुल 109 शहरों का सर्वेक्षण किया गया है.

इस सूचकांक में सिंगापुर पहले स्थान पर है, उसके बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर क्रमशः हेलसिंकी और ज्यूरिख रहे हैं. वैश्विक ‘स्मार्ट सिटी’ की लिस्ट में चार भारतीय शहरों – नई दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु के स्थान में गिरावट आई है. इस सूचकांक में हैदराबाद 85वें, नई दिल्ली 86वें, मुंबई 93वें और बेंगलुरु को 95वें स्थान पर है.

ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स: भारत पहली बार शीर्ष 50 में शामिल हुआ

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO), कॉर्नेल विश्वविद्यालय और इनसीड बिजनेस स्कूल ने संयुक्त रूप से हल ही में वैश्विक नवाचार सूचकांक (Global Innovation Index- GII) 2020 की सूची जारी की थी. इस सूचकांक के मुताबिक शीर्ष स्तर पर स्थिरता बनी हुई है, लेकिन नवाचार का केंद्र पूरब के देशों की तरफ बढ़ता नजर आ रहा है. भारत, चीन, फिलीपींस और वियतनाम जैसे देश नवाचार के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़े हैं.

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में स्विटजरलैंड, स्वीडन, अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं.

GII सूचकांक में भारत

2020 के ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स (GII) सूचकांक में भारत पहली बार शीर्ष 50 देशों में शामिल हुआ है. भारत ने चार पायदान की छलांग लगाई और 48वें स्थान पर पहुंच गया है. मध्य और दक्षिण एशियाई देशों में वह इस सूचकांक में शीर्ष पर बना हुआ है.

भारत नवाचार के क्षेत्र में दुनिया की तीसरी सबसे निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. WIPO के मुताबिक सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT), सेवाओं के निर्यात, सरकारी ऑनलाइन सेवाओं और विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातकों जैसे नवाचार के सूचकांक में भारत शीर्ष 15 देशों में शामिल है.

WIPO का अनुसार मुंबई और दिल्ली स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT), बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान (IIS) और इसके शीर्ष वैज्ञानिक प्रकाशनों की बदौलत ही भारत उच्चतम नवाचार गुणवत्ता के साथ निम्न मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बना है.

वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020: भारत 34वें और ब्रिटेन पहले स्थान पर

वर्ष 2020 का वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक (Global Real Estate Transparency Index 2020) हाल ही में जारी किया गया है. इसमें दुनिया भर में रियल्टी (अचल संपत्ति) बाजार में पारदर्शिता के के अनुसार रैंकिंग की गयी है.

भारत 34वें स्थान पर

इस सूचकांक में भारत ने अपनी रैंकिंग में एक अंक का सुधार करते हुए 34वें स्थान पर रहा है. रियल एस्टेट बाजार से जुड़े नियामकीय सुधार, बाजार से जुड़े बेहतर आंकड़े और हरित पहलों के चलते देश की रैंकिंग में सुधार हुआ है.

वैश्विक संपत्ति सलाहकार कंपनी JLL इस द्वि-वार्षिक सर्वेक्षण को करती है. भारत की रैंकिंग वर्ष 2018 में 35, 2016 में 36 और 2014 में 39 थी.

ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया शीर्ष तीन देशों में शामिल

वैश्विक रियल्टी पारदर्शिता सूचकांक 2020 में ब्रिटेन पहले पायदान पर रहा है. इसके बाद क्रमश: अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा देश शीर्ष पांच देशों में शामिल हैं. भारत के पड़ोसी देश चीन की इस सूचकांक में 32वें, श्रीलंका की 65वें और पाकिस्तान की 73वें स्थान पर है.

भारत का बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में

इस सूचकांक में कुल 99 देशों की रैंकिंग की गयी है. इनमें से शीर्ष 10 पायदान पर रहे देशों को उच्च पारदर्शी, 11वें से 33वें पायदान पर रहे देशों को पारदर्शी श्रेणी में रखा गया है. इसके बाद के देशों को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है. इस प्रकार भारत का रियल एस्टेट बाजार को ‘आंशिक-पारदर्शी’ श्रेणी में रखा गया है.

रियल्टी पारदर्शिता के लिए भारत द्वारा किये गये उपाय

केंद्र सरकार ने 2022 तक ‘सभी के लिए आवास’ प्रदान करने का लक्ष्य रखा है. इस उद्देश्य से किफायती आवास में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. सरकार ने रियलटी क्षेत्र में ‘रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट-2016’ के तहत Real Estate Regulatory Authority (RERA) का गठन किया गया है.

भारत में जीएसटी, बेनामी लेनदेन निषेध (संशोधन) अधिनियम, 2016, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों ने अधिक पारदर्शिता लाई है.

QS वर्ल्ड रैंकिंग 2021: शीर्ष 500 में भारत से 8 संस्थान, अमेरिका का MIT शीर्ष पर

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Quacquarelli Symonds World University Rankings) 2021 हाल ही में जारी की गई है. QS हर साल वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग जारी करता है. इस साल कुल 1029 यूनिवर्सिटीज की लिस्ट तैयार हुई थी.

अमेरिका का MIT लगातार 9वें साल पहले स्थान पर

इस क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2021 में अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) ने लगातार 9वें साल पहला स्थान हासिल किया है. जबकि स्टैनफर्ड, हावर्ड और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी को क्रमशः दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान मिला है. ये सभी अमेरिकी यूनिवर्सिटीज हैं. पांचवां स्थान यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी को मिला है.

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021: भारत के सन्दर्भ में

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग-2021 में दुनिया के शीर्ष 500 संस्थानों में भारत से 8 संस्थानों को जगह मिली है. भारतीय संस्थानों में IIT बॉम्बे शीर्ष पर है. इस वर्ष की रैंकिंग में यह 172वें स्थान पर है, जबकि पिछले वर्ष की रैंकिंग में यह 152वें स्थान पर था.

इस वर्ष इंडियन इंस्टीट्यूट ऑप साइंस (IISc), बंगलुरू को 185वें और IIT दिल्ली 193वें पायदान पर है. IIT मद्रास 275वें, IIT खड़गपुर 314वें, IIT कानपुर 350वें, IIT रूड़की 383वें, IIT गुवाहाटी 470वें स्थान पर है.

दिल्ली यूनिवर्सिटी को वैश्विक स्तर पर 501 से 510 रैंक के बीच में जगह मिली है. जबकि IIT हैदराबाद दुनिया के टॉप 650 संस्थानों में जगह बना पाया है. जादवपुर यूनिवर्सिटी, सावित्रिबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी और हैदराबाद यूनिवर्सिटी शीर्ष 1000 संस्थानों में जगह बना पाए हैं.

QS रैंकिंग: एक दृष्टि

QS World University Rankings को ब्रिटिश कंपनी Quacquarelli Symonds द्वारा प्रत्येक वर्ष प्रकाशित किया जाता है. QS द्वारा संस्थानों की रैंकिंग जिन मानकों पर की गई, वे हैं- एकेडेमिक, रेपुटेशन, फैकल्टी-स्टूडेंट्स रेशियो, एंप्लॉयर रेपुटेशन, इंटरनेशनल फैकल्टी रेशियो, इंटरनेशनल स्टूडेंट्स रेशियो और साइटेशन/फैकल्टी.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2020 जारी, भारत 168वें और डेनमार्क पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने हाल ही में ‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ (Environment Performance Index- EPI) 2020 जारी किया है.

भारत 168वें स्थान पर

EPI-2020 में भारत में 168वें स्थान पर है. भारत 2018 में 177वें जबकि 2016 में 141वें स्थान पर था. EPI-2020 में भारत का प्रदर्शन वायु गुणवत्ता, स्वच्छता एवं पेयजल, भारी धातु, अपशिष्ट प्रबंधन आदि में अन्य देशों की तुलना में खराब रहा है.

डेनमार्क पहले स्थान पर

180 देशों के जारी इस सूचकांक में डेनमार्क पहले और लक्ज़मबर्ग दूसरे स्थान पर है. सूचकांक में अमेरिका 42वें और चीन 120वें स्थान पर रहा है. लाइबेरिया सबसे अंतिम 180वें स्थान पर है.

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (EPI): एक दृष्टि

पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा प्रत्येक दो वर्ष में जारी किया जाता है. यह सूचकांक येल विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल लॉ एंड पॉलिसी’ तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर इंटरनेशनल अर्थ साइंस इंफॉर्मेशन नेटवर्क’ द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है.

‘पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक’ 11 विभिन्न श्रेणियों तथा 32 प्रदर्शन संकेतकों के आधार पर तैयार किया जाता है. इनमें वायु की गुणवत्ता, जल एवं स्वच्छता, कार्बनडाई ऑक्साइड उत्सर्जन तीव्रता, जंगलों (वनों की कटाई) और अपशिष्ट जल उपचार शामिल हैं.

WEF ने वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक जारी किया, भारत 74वें और स्वीडन पहले स्थान पर

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum- WEF) ने हाल ही में वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (Energy Transition Index- ETI) 2020 जारी किया है. इस सूचकांक में दुनिया के 115 देशों को शामिल किया गया है. यह सूचकांक इन देशों में उपयोग हो रहे ऊर्जा प्रणाली पर सर्वेक्षण किया गया है.

सूचकांक में स्वीडन अपनी पिछले साल की रैंकिंग को बरकरार रखते हुए प्रथम स्थान पर है, जबकि स्विट्जरलैंड और फिनलैंड क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा है. हैती को सबसे आख़िरी स्थान प्राप्त हुआ है. इस सूचकांक में संयुक्त राज्य अमेरिका 32वें, कनाडा 28वें, ब्राजील 47वें और ऑस्ट्रेलिया 36वें स्थान पर है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) 2020 में भारत का प्रदर्शन

इस सूचकांक में भारत 74वें स्थान पर है. भारत ने पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 2 स्थान का सुधार किया है और यह दुनिया के उन चुनिन्दा देशों में से एक है जिसने साल 2015 से लगातार प्रगति की है.
भारत ने अपने ऊर्जा कार्यक्रम में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं. ये सुधार LED बल्ब और स्मार्ट मीटर के उपयोग और उपकरणों की ऊर्जा लेबलिंग करके प्राप्त किया है.

वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI): एक दृष्टि

  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) को प्रत्येक वर्ष विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी किया जाता है. इसके अंतर्गत दुनिया के देशों द्वारा ऊर्जा सुरक्षा, प्रदूषण स्तर और सतत पर्यावरण को बनाए रखने का आकलन किया जाता है.
  • वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) में आर्थिक विकास, पर्यावरण स्थिरता, ऊर्जा सुरक्षा, सुरक्षित, टिकाऊ, सस्ती और समावेशी ऊर्जा प्रणालियों के मानकों पर सर्वेक्षण किया जाता है.

विश्व आर्थिक मंच (WEF)

  • विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका उद्देश्य विश्व के प्रमुख व्यावसायिक, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों तथा अन्य प्रमुख क्षेत्रों के अग्रणी लोगों के लिये एक मंच प्रदान करना है.
  • WEF की स्थापना 1971 में यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर क्लॉस एम श्वाब ने की थी. इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में है.
  • WEF की बैठक प्रत्येक वर्ष दावोस में आयोजित की जाती है. इस बैठक में परस्पर बातचीत में अनेक समस्याओं का समाधान निकला जाता है.

IDMC रिपोर्ट: 2019 में आपदाओं के कारण सबसे अधिक भारत में विस्थापित हुए

आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) ने प्राकृतिक आपदाओं के कारण विस्थापित हुए लोगों पर एक वैश्विक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में 50 लाख लोग चक्रवात और बाढ़ सहित विभिन्न आपदाओं के कारण विस्थापित हुए थे. यह संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है.

IDMC रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • जिनेवा स्थित IDMC की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में आपदाओं के कारण दक्षिण एशिया में 95 लाख विस्थापित हुए. यह संख्या 2012 के बाद सबसे ज्यादा है.
  • इतनी बड़ी संख्या में विस्थापन के कारणों में भारत और बांग्लादेश में मानसून के कारण आई बाढ़ तथा फोनी और बुलबुल जैसे चक्रवात भी थे जिनकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अपने घरों से भागने पर मजबूर होना पड़ा.
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में 50,37,000 लोग विस्थापित हुए जबकि बांग्लादेश में ऐसे लोगों की संख्या 40,86,520 रही. अफगानिस्तान में 5,78,000 लोग विस्थापित हुए जबकि नेपाल में 1,21,000 और पाकिस्तान में 1,16,000 लोग विस्थापित हुए.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि संघर्ष और हिंसा के कारण 2019 में भारत में लगभग 19,000 लोग विस्थापित हुए. इसमें मुख्य रूप से त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पहली छमाही में राजनीतिक और चुनावी हिंसा के कारण 7,600 से अधिक लोग विस्थापित हुए.

सैन्य खर्च के मामले में SIPRI रिपोर्ट जारी, भारत पहली शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ

ग्लोबल थिंक-टैंक ‘SIPRI’ (Stockholm International Peace Research Institute) ने वर्ष 2019 में किये गये सैन्य खर्च पर हाल ही में एक वैश्विक अध्‍ययन रिपोर्ट जारी की है. इस अध्‍ययन के अनुसार साल 2019 में वैश्विक सैन्य खर्च 1,917 बिलियन डॉलर रहा जो साल 2018 के वैश्विक सैन्य खर्च की तुलना में 3.6 प्रतिशत अधिक है. यह मौजूदा दशक की सबसे ऊंची वार्षिक बढ़ोत्तरी है.
इस अध्‍ययन रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में विश्व में अमेरिका पहले, चीन दूसरे और भारत तीसरे स्थान पर है. यह पहली बार है जब भारत अधिक सैन्य खर्च करने वाले दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल हुआ है. 2018 में भारत चौथे स्थान पर था. रिपोर्ट के अनुसार सैन्य खर्च के मामले में रूस चौथे और सऊदी अरब पांचवे स्थान पर है.

SIPRI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष इस प्रकार हैं:

  1. 2019 के वैश्विक सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी दर (3.6 प्रतिशत) साल 2010 के बाद सबसे अधिक है. सैन्‍य खर्च के क्षेत्र में साल 1989 से ही हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है.
  2. अमेरिका ने साल 2019 में 732 बिलियन डॉलर सैन्य खर्च किए जो 2018 की तुलना में 5.3 प्रतिशत ज्‍यादा है. यह रकम दुनियाभर में होने वाले सैन्‍य खर्च की 38 प्रतिशत है.
  3. सैन्‍य खर्चों के मामले में एशिया का दबदबा धीरे-धीरे बढ़ रहा है. चीन का सैन्य खर्च 2018 के मुकाबले 2019 में 5.1 प्रतिशत बढ़कर 261 बिलियन डॉलर है.
  4. भारत ने भी अपने सैन्य खर्च में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की है. साल 2019 में भारत का सैन्य खर्च 71.1 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.4% हिस्सा है. भारत के पड़ोसी देश पाकिस्‍तान और चीन के साथ तनाव के कारण सैन्य खर्च में बढ़ोत्तरी स्‍वाभाविक है.
  5. सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वाले यदि दुनिया के पांच शीर्ष देशों में अमेरिका, चीन और भारत के बाद रूस (65.1 बिलियन डॉलर) चौथे और सऊदी अरब (बिलियन डॉलर) पांचवें स्थान पर हैं. विश्व में कुल सैन्य खर्च में इन पांच देशों का हिस्सा 62 प्रतिशत है.
  6. एशियाई देशों में चीन और भारत के अलावा सबसे अधिक सैन्य खर्च करने वालों में जापान और दक्षिण कोरिया भी शामिल हैं. साल 2019 में जापान और दक्षिण कोरिया का सैन्य खर्च क्रमश: 47.6 बिलियन डॉलर और 43.9 बिलियन डॉलर रहा है.

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2020: भारत 142वें और नॉर्वे पहले स्थान पर

प्रेस की दशा-दिशा पर नज़र रखने वाली वैश्विक संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) ने 21 अप्रैल को ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक’ (World Press Freedom Index) 2020 जारी किया. 180 देशों के इस सूचकांक में भारत 142वें पायदान पर है. पिछले वर्ष यानी 2019 के विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 140वें स्थान पर था.

नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क पहले तीन स्थान पर

इस सूचकांक में नॉर्वे शीर्ष पर है. नॉर्वे लगातार चौथे वर्ष पहले पायदान पर है. सूचकांक में फिनलैंड दूसरे और डेनमार्क तीसरे पायदान पर है. सबसे निचली रैंकिंग उत्तर कोरिया की है जो 180वें स्थान पर है वहीं तुर्कमेनिस्तान 179वें स्थान पर है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RWB) क्या है?

‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ (Reporters Without Borders- RWB) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण और सामना करने के लिए कार्य करता है. RWB का मुख्यालय फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित है.

‘फोर्ब्स’ पत्रिका ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की ताजा सूची जारी की, जेफ बेजोस शीर्ष पर

प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की वार्षिक सूची 9 अप्रैल को जारी की. यह सूची ऐसे वक्त में जारी की गई है, जब कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है.

विश्व में सबसे अमीर

इस सूची में अमेजन के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) जेफ बेजोस पहले स्थान पर हैं. उनकी मौजूदा संपति 113 बिलियन डॉलर आंकी गयी है. जेफ बेजोस के बाद माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट्स कुल संपत्ति 98 बिलियन डॉलर के साथ दूसरे स्थान पर और LVVH (LVMHF) के अध्यक्ष और CEO बर्नार्ड अर्नाल्ट 76 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं.

विश्व में सबसे अमीर भारतीय

‘फोर्ब्स’ की इस सूची के अनुसार HCL के शिव नाडर, कोटक महिंद्रा बैंक के उदय कोटक तथा अडाणी समूह के गौतम अडाणी अब फोर्ब्स की 100 अरबपतियों की सूची से बाहर हो गए हैं.

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) के चेयरमैन मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में 17वें स्थान पर हैं. अंबानी की इस समय कुल संपत्ति 44.3 बिलियन डॉलर है. इसके साथ ही वह सबसे अमीर भारतीय बने हुए हैं. मुकेश अंबानी रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक हैं.

इस सूची में दूसरे अमीर भारतीय मुंबई के बड़े निवेशक राधाकृष्ण दमानी हैं, जो विश्व रैंकिंग में 34वें पायदान पर हैं. ‘इंडिया के रिटेल किंग’ नाम से मशहूर दमानी की कुल संपत्ति 16.6 बिलियन डॉलर है. दमानी सुपर मार्केट चेन डी-मार्ट के मालिक हैं.

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2020 जारी: फिनलैंड पहले और भारत 144वें स्थान पर

संयुक्त राष्ट्र ने 20 मार्च को वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) 2020 जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के सबसे खुशहाल देशों की सूची में फिनलैंड ने तीसरी बार पहला स्थान हासिल किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार विश्व के शीर्ष 10 खुशहाल देशों में से 9 यूरोप के हैं. जबकि विश्व के शीर्ष 20 खुशहाल देशों में एशिया का एक भी देश नहीं है.

2020 के इस रिपोर्ट में 156 देशों को शामिल कर सूची जारी की गयी है. की इस सूची में शीर्ष में फिनलैंड के बाद डेनमार्क, स्वीट्जरलैंड, आइसलैंड और नॉर्वे शामिल हैं. इस रिपोर्ट में अमेरिका को 18वां और यूनाइटेड किंगडम को 13वें स्थान पर है. इस सूची में सबसे निचले पायदान पर अफगानिस्तान, दक्षिणी सूडान, जिम्बाब्वे और रवांडा हैं.

भारत 144वें स्थान पर

भारत इस रिपोर्ट में 144वें स्थान पर है. वर्ष 2019 के रिपोर्ट में भारत को 140वां स्थान प्राप्त हुआ था. वहीं पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 66वें, चीन 94वें, बांग्लादेश 107वें, नेपाल 92वें, मालदीव 87वें स्थान पर है. पाकिस्तान पिछली बार 67वें और चीन 93वें स्थान पर था.

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट: एक दृष्टि

किसी देश की खुशहाली मापने के लिए 6 मानकों पर सवाल तैयार किए जाते हैं. इनमें संबंधित देश के प्रति व्यक्ति की GDP, सामाजिक सहयोग, उदारता और भ्रष्टाचार, सामाजिक स्वतंत्रता, स्वस्थ जीवन के जवाब के आधार पर रैंकिंग की जाती है.

विश्व में सबसे खुशहाल देशों को सूचीबद्ध करने के लिए भूटान ने 2011 में संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव रखा था. इसे मंजूरी मिलने के बाद से हर साल 20 मार्च को ‘वर्ल्ड हैप्पीनेस डे’ मनाया जाता है.