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भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोट वापस लेने का निर्णय लिया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दो हजार रुपये के नोट वापस लेने का निर्णय लिया है. हालांकि दो हजार रुपये के नोट वैध मुद्रा के रूप में बने रहेंगे.

मुख्य बिन्दु

  • RBI ने कहा कि क्लीन नोट नीति के अनुसरण में उसने दो हजार रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने का निर्णय लिया है.
  • परिचालन सुविधा सुनिश्चित करने और बैंक शाखाओं को नियमित गतिविधियों में व्यवधान से बचने के लिए दो हजार रुपये के नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में बदला जा सकता है.
  • RBI ने कहा कि इस प्रक्रिया को नियत समय में समाप्त करने के लिए और लोगों को पर्याप्त समय देने के लिए सभी बैंकों में दो हजार रुपये के नोट जमा करने या बदलने की सुविधा 30 सितम्बर 2023 तक उपलब्ध रहेगी.

RBI की मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 5.9%, रिवर्स रेपो दर 3.35%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 28-30 सितम्बर को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी.

RBI ने इस समीक्षा में रेपो दर में 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है. RBI मई 2022 से अब तक रेपो रेट में 190 बेसिस प्‍वाइंट (1.90 फीसदी) की बढ़ोतरी कर चुका है.

शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत की GDP वृद्धि आज भी सबसे बेहतर है. वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर 6.3% रह सकती है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर5.90%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.15%
बैंक दर6.15%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.5%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये में व्यापारिक भुगतान की प्रणाली शुरू की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रुपये में व्यापारिक भुगतान की प्रणाली शुरू की है. RBI ने यह अतिरिक्त व्यवस्था भारतीय मुद्रा (INR) में निर्यात और आयात के चालान, भुगतान तथा अदायगी के लिए की है.

मुख्य बिन्दु

  • इस प्रणाली के तहत सभी प्रकार के निर्यात और आयात के भुगतान को रुपये में वर्गीकृत कर चालान तैयार किया जा सकता है.
  • इस पहल का उद्देश्य भारत से निर्यात पर जोर देने के साथ ही वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना और भारतीय मुद्रा में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि में सहयोग करना है.
  • हालांकि, रुपये में भुगतान करने के लिए अधिकृत डीलर बैंकों को RBI के विदेशी मुद्रा विभाग से पूर्वानुमति आवश्यक होगा.

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट बढ़ाकर 4.40% किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नीतिगत रेपो दर में 40 आधार अंक यानी 0.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति ने लिया. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो दर 4.4 प्रतिशत हो गई है. यह वृद्धि तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गयी है.

मुख्य बिंदु

  • RBI ने चार साल के बाद रेपो दर में बढ़ोतरी की है. इससे पहले पिछली बार रेपो रेट में मई 2020 में कटौती की गई थी और तब से लगातार इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया था.
  • RBI ने इसके अलावा कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी 50 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की गई है, जो कि ब्याज दरों पर और दबाव बनाएगा.
  • रेपो रेट वह रेट होता है जिसपर केन्द्रीय बैंक (RBI) अन्य वाणिज्यिक बैकों को कर्ज देता है. इसी आधार पर वाणिज्यिक बैंक अपने ग्राहकों को कर्ज देता है.
  • रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि ग्राहकों को कम दाम पर लोन मिलेगा और रेपो रेट बढ़ने का मतलब है कि अब लोन महंगा हो जाएगा.
  • यह फैसला देश में बढती मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए लिया गया है. बीते कुछ माह के आंकड़ों पर गौर करें तो यह एक बहुत बड़ी चुनौती है, जो 6% के ऊपरी स्तर पर बनी हुई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4.4%
रिवर्स रेपो दर3.75%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)4.65%
बैंक दर4.65%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए RBI  ने रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब की शुरुआत की

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (RBIH) की स्थापना की है. इसका उद्घाटन RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 25 मार्च को बंगलूरू में किया था.

मुख्य बिंदु

  • इसे कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत 100 करोड़ रुपए का प्रारंभिक पूंजी योगदान के साथ एक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया है. यह RBI की पूर्ण स्वामित्त्व वाली सहायक कंपनी है.
  • RBIH की स्थापना देश में नवाचारों को बढ़ावा देने और प्रोत्साहित करने के लिए की गई है. यह हब देश के वित्तीय नवाचार क्षेत्र में स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र, BFSI क्षेत्र, अकादमिक और नियामकों जैसे हितधारकों के बीच सामंजस्य लाने की भी तलाश करेगा.
  • इस हब के लिए एक स्वतंत्र बोर्ड का गठन किया गया है. एस गोपालकृष्णन को इस हब का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. बोर्ड में शिक्षाविदों के साथ-साथ उद्योग जगत को भी शामिल किया गया है.
  • यह हब विभिन्न स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करेगा. यह विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों की पहचान करने और उन्हें हल करने के लिए सरकारी विभागों, मंत्रालयों के साथ सहयोग करेगा.

रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना और रिजर्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना का शुभारंभ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 नवम्बर को ‘रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना’ (RBI Retail Direct Scheme) और ‘रिजर्व बैंक – एकीकृत लोकपाल योजना’ (Reserve Bank – Integrated Ombudsman Scheme) का शुभारंभ किया था. इस कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे.

क्या है खुदरा प्रत्यक्ष योजना

  • भारतीय रिजर्व बैंक की खुदरा प्रत्यक्ष योजना का उद्देश्य सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों की पहुंच बढ़ाना है. इसके तहत आम आदमी भी आसानी से सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) की खरीदारी कर सकेंगे.
  • इस योजना के तहत निवेशक भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से ऑनलाइन सरकारी प्रतिभूति खाते नि:शुल्क खोल सकते हैं. इस योजना की शुरुआत के साथ भारत कुछ चुनिंदा देशों में आ गया है, जहां इस तरह की सुविधा उपलब्ध है.

क्या है एकीकृत लोकपाल योजना

  • एकीकृत लोकपाल योजना का उद्देश्य शिकायतों को दूर करने वाली प्रणाली में और सुधार लाना है ताकि संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों को दूर करने के लिए रिजर्व बैंक नियम बना सके.
  • इस योजना की केंद्रीय विषयवस्तु ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा पर आधारित है. इसके तहत एक पोर्टल, एक ई-मेल और एक पता होगा, जहां ग्राहक अपनी शिकायतें दायर कर सकते हैं, दस्तावेज जमा कर सकते हैं, अपनी शिकायतों-दस्तावेजों की स्थिति जान सकते हैं.
  • ऐसी शिकायतें जो लोकपाल योजना के तहत नहीं आती हैं, उनकी सुनवाई उपभोक्ता शिक्षा एवं संरक्षण प्रकोष्ठ (CEPC) द्वारा की जाएगी. ये प्रकोष्ठ रिजर्व बैंक के 30 क्षेत्रीय कार्यालयों में स्थित हैं.

उपभोक्ता शिकायत निपटान के लिए RBI के कदम

RBI ने हाल के समय में उपभोक्ता शिकायत निपटान प्रणाली को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके तहत 2019 में केंद्रीय बैंक ने शिकायत प्रबंधन प्रणाली (CMS) की शुरुआत की थी. रिजर्व बैंक की वैकल्पिक शिकायत समाधान व्यवस्था में फिलहाल तीन लोकपाल योजनाएं – बैंकिंग लोकपाल योजना (1995 में शुरू), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए लोकपाल योजना (2018) और डिजिटल लेनदेन के लिए लोकपाल योजना (2019) शामिल हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में वित्‍तीय समावेश के आंकलन के लिए FI इंडैक्‍स की शुरूआत की

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने देश में वित्‍तीय समावेश के आंकलन के लिए एक सम्‍पूर्ण वित्‍तीय समावेश सूचकांक (Financial Inclusion Index – FI Index) की शुरूआत की है. RBI ने एक वक्‍तव्‍य में कहा कि FI इंडैक्‍स हर वर्ष जुलाई में प्रकाशित किया जाएगा.

मार्च 2021 को समाप्‍त अवधि के लिए वार्षिक FI इंडैक्‍स 53.9 दर्ज हुआ है. मार्च 2017 को समाप्‍त अवधि के लिए ये आंकड़ा 43.4 था.

FI-इंडैक्‍स: एक दृष्टि

  • FI-इंडैक्‍स की परिकल्‍पना एक बहुपक्षीय सूचकांक के रूप में की गई है जिसमें सरकार और विभिन्‍न क्षेत्रीय नियामकों के साथ मिलकर बैंकिंग, निवेश, बीमा, डाक तथा बीमा क्षेत्र से जुड़े ब्‍यौरे को शामिल किया जाएगा.
  • इस सूचकांक में वित्‍तीय समावेश के पहलुओं पर जानकारी को 0 से लेकर 100 तक एक एकाकी मापदण्‍ड के माध्‍यम से दर्शाया जाएगा, जहां 0 की रीडिंग सम्‍पूर्ण वित्‍तीय बहिष्‍करण के लिए होगी और 100 की रीडिंग सम्‍पूर्ण वित्‍तीय समावेश के लिए होगी.
  • FI-इंडैक्‍स के तीन प्रमुख पहलु हैं. 35 प्रतिशत महत्‍व वित्‍तीय सेवाओं तक पहुंच को दिया गया है. सेवाओं के उपयोग को 45 प्रतिशत महत्‍व दिया है और गुणवत्‍ता को 20 प्रतिशत. इन तीन प्रमुख पहलुओं को कुल 97 विभिन्‍न सूचकों के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा.
  • ये सूचकांक वित्‍तीय सेवाओं तक पहुंच की सरलता, सेवाओं की उपलब्‍धता और उपयोग तथा सेवाओं की गुणवत्‍ता पर भी आधारित होगा.
  • गुणवत्‍ता का पैमाना इस सूचकांक का एक विशिष्‍ट पहलु है जिसमें वित्‍तीय साक्षरता, उपभोक्‍ता सुरक्षा और सेवाओं में असमानताओं और कमियों के आधार पर वित्‍तीय समावेश की गुणवत्‍ता को दर्शाया जाएगा.
  • ये सूचकांक बिना किसी आधार वर्ष के गठित किया गया है और वित्‍तीय समावेश की ओर कई वर्षों से सभी पक्षधरों द्वारा किए गए संयुक्‍त प्रयासों को दर्शाता है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने करनाला नागरी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र के रायगढ़ में करनाला नागरी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है. RBI ने इस बैंक को सभी कामकाज बंद करने के निर्देश दिये हैं. सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार से भी बैंक बंद कराने और बैंक के लिए ऋणशोधक नियुक्त करने का आग्रह किया गया है. इस बैंक का लाइसेंस अपर्याप्त पूंजी और आय की संभावना न होने के कारण रद्द किया गया है.

बैंक के बंद होने पर हर जमाकर्ता को पांच लाख रुपए तक की सीमा के साथ जमा बीमा दावा हासिल करने का अधिकार होगा. 95 प्रतिशत जमाकर्ताओं को जमा बीमा और साख गारंटी निगम से अपनी पूरी जमा राशि मिल जाएगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपना वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 27 मई को अपना वार्षिक रिपोर्ट (RBI Annual Report) 2021 प्रस्तुत किया. रिपोर्ट में कोविड संक्रमण का अर्थव्यवस्था पर असर और बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता पर जोर दिया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • बीते वित्त वर्ष में बैंकों के साथ धोखाधड़ी में गिरावट आई और उनकी संपत्ति की गुणवत्ता में इजाफा हुआ है. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती बनी हुई है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए बैंकों में पर्याप्त पूंजी है.
  • बीते वित्त वर्ष के दौरान विकास दर में 8 फीसदी गिरावट का अनुमान है, लेकिन पूंजी प्रवाह और विदेशी निवेशकों के बूते शेयर बाजार रिकॉर्ड बनाता जा रहा है.
  • रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट 31 मार्च 2021 तक 7 फीसदी बढ़कर 57.08 लाख करोड़ रुपये हो गई है. एक साल पहले यह 53.55 लाख करोड़ थी. पिछले 9 महीनों यानी जून से मार्च तक में ही बैलेंस शीट 7 फीसदी बढ़ी है.वृद्धि का कारण विदेशी और घरेलू निवेश रहा है. विदेशी निवेश में 11.48 फीसदी और घरेलू निवेश में 13.75 फीसदी इजाफा हुआ है.
  • अन्य देनदारियों में भी 43.05 फीसदी की बढ़त देखी गई है. घरेलू संपत्तियों में 26.42 फीसदी बढ़त रही. सबसे ज्यादा उछाल विदेशी मुद्रा में आया, जो कुल संपत्ति का 73.58 फीसदी पहुंच गया.
  • कोरोना की दूसरी लहर के कारन 2021-22 के लिए पूर्व में लगाए 10.5 फीसदी के विकास दर अनुमान को प्राप्त करना अब मुश्किल हो सकता है.
  • आरबीआई ने कहा, महामारी के दौरान नोटों का चलन मूल्य के हिसाब से 16.8 फीसदी बढ़ा, जबकि नोटों की संख्या में 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई है. कुल चलन में 500 और 2000 के नोटों की हिस्सेदारी 85.7 फीसदी पहुंच गई, जो एक वित्त वर्ष पहले 83.4 फीसदी थी.

RBI ने आकस्मिक जोखिम कोष कुल पूंजी के 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आकस्मिक जोखिम कोष (Contingency Risk Buffer) कुल पूंजी के 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया है. इस फैसले के तहत RBI ने आरक्षित कोष से केन्द्र सरकार को 99.122 हजार करोड़ रुपये अधिशेष के रूप में अंतरित करने की मंजूरी दे दी. RBI ने 31 मार्च 2021 को समाप्त नौ महीने (जुलाई 2020-मार्च 2021) की लेखा अवधि के लिए यह रकम दी है.

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में 21 मई को हुई केन्द्रीय बोर्ड की 589वें बैठक में यह निर्णय लिया गया. इस बैठक में वर्तमान आर्थिक स्थिति, वैश्विक और घरेलू चुनौतियों तथा कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिये हाल के नीतिगत उपायों की समीक्षा की.

RBI का अधिशेष क्या होता है?

RBI को अपनी आय में किसी तरह का आय कर नहीं देना पड़ता. इसलिए अपनी जरूरतें पूरी करने, जरूरी प्रावधान और जरूरी निवेश के बाद जो राशि बचती है वह अधिशेष राशि (सरप्लस फंड) होती है. इसे लेकर सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच विवाद भी रहा है.

RBI के आय के मुख्य स्रोत

  • बैंकों व वित्तीय संस्थानों को दिए गए ऋण पर ब्याज
  • केंद्र व राज्य सरकारों को दिए गए पैसे पर ब्याज
  • विदेशी मुद्रा से होने वाली कमाई

RBI का मुख्य खर्च

  • नोटों की छपाई पर
  • एजेंसियों का शुल्क और कमीशन
  • कर्मचारियों की सैलरी व अन्य खर्च
  • आकस्मिक निधि (कंटिजेंसी फंड) के लिए तय प्रावधान

केंद्र सरकार और RBI के बीच मतभेद

पिछले वर्ष, RBI के रिजर्व के स्तर पर केंद्र सरकार और RBI के बीच मतभेद पैदा हुए थे. सरकार ने कहा था कि RBI के रिजर्व का स्तर एसेट्स के 26 फीसदी पर है, जबकि दुनिया भर में यह स्तर 16 फीसदी है. सरकार ने अतिरिक्त रिजर्व को अपने खाते में ट्रांसफर करने की मांग की थी.

RBI ने आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए RBI के पूर्व गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.

जालान समिति की सिफारिश

जालान समिति ने आकस्मिक जोखिम कोष रिजर्व बैंक की बैलेंस शीट का 6.5 से 5.5 प्रतिशत तक सीमित रखने और इससे अतिरिक्त रकम को सरकार को सौंपे जाने की सिफारिश की थी.

RBI ने निजी बैंकों में कार्यरत अधिकारियों के लिए कार्यकाल संबंधी दिशानिर्देश जारी किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने निजी क्षेत्र के बैंक में उच्च पदों पर कार्यरत अधिकारियों के लिए अधिकतम कार्यकाल और आयुसीमा पर हाल ही में एक दिशानिर्देश जारी किया है. इसके अनुसार प्रबंध निदेशक (MD), मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और पूर्णकालिक निदेशक (WTD) का कार्यकाल 15 वर्षों तक और अधिकतम आयु 70 वर्ष निर्धारित किया है.

15 वर्षीय कार्यकाल के बाद एक व्यक्ति बैंक में तीन वर्ष के अंतराल के बाद पुनः प्रबंध निदेशक (MD), मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और पूर्णकालिक निदेशक (WTD) के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होगा. हालाँकि इस तीन वर्षीय अवधि के दौरान उस व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी क्षमता में बैंक या उसके समूह संस्थाओं के साथ नियुक्त या संबद्ध नहीं किया जाएगा.

RBI ने आधार दर में 0.15 प्रतिशत की कमी की, नया आधार दर 7.81 प्रतिशत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए नया औसत आधार दर (एवरेज बेस रेट) की घोषणा की है. घोषणा के अनुसार आधार दर में 0.15 प्रतिशत की कमी की गयी है. इस कमी के बाद नया आधार दर 7.81 प्रतिशत हो गया है.

नया औसत आधार दर, देश के 5 बड़े कमर्शियल बैंकों का औसत आधार दर है. इन बैंकों का औसत आधार दर 31 मार्च 2021 को खत्म हुई तिमाही के दौरान 0.15 प्रतिशत गिरा है. पहले यह दर 7.96 प्रतिशत थी, जो अब कम होकर 7.81 प्रतिशत हो गई है.

आधार दर (Base rate): एक दृष्टि

  • आधार दर वह न्यूनतम दर है जिसके नीचे बैंक को (कुछ अपवादों को छोड़कर) उधार देने की अनुमति नहीं होती है.
  • RBI हर तिमाही के आखिर में औसत आधार दर के आंकड़े जारी करता है. यह आधार दर देश के 5 बड़े कमर्शियल बैंकों के औसत आधार दर पर आधारित होता है.
  • आधार दर गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (MFI) के लिए बेंचमार्क रेट का काम करती हैं. आमतौर पर NBFC और MFI की ब्याज दरें ज्‍यादा होती हैं, जिसके चलते रिजर्व बैंक ने ये विशेष व्यवस्था की है.
  • औसत आधार दर में बदलाव से होम लोन (Home Loan) या कंज्‍यूमर लोन (Consumer Loan) ग्राहकों की ईएमआई पर सीधा असर पड़ता है.