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चिली में नए संविधान को अस्वीकार किए जाने के बाद प्रदर्शन

चिली में जनमत संग्रह में नए संविधान को अस्वीकार कर दिया गया है. नए संविधान के अस्वीकार कर दिए जाने के बाद छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया है.

मुख्य बिन्दु

  • 4 सितंबर को नए संविधान को स्वीकारने या खारिज करने के लिए जनमत संग्रह किया गया था. इस जनमत संग्रह में, नए संविधान के खिलाफ 61.9 प्रतिशत और इसके पक्ष में 38.1 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिला.
  • नए संविधान को खारिज किए जाने के बाद छात्रों का प्रदर्शन शुरू हो गया. छात्रों द्वारा पहले भी देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की मांग की गई थी.
  • इसके परिणाम में प्रगतिशील राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक को सरकार के गठबंधन को व्यापक बनाने के लिए अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल करना पड़ा.
  • नए संविधान में राष्ट्रपति को विधायकों के साथ सार्वजनिक खर्च से जुड़े कानूनों को प्रस्तुत करने की शक्ति दी गई है. वर्तमान में, यह शक्ति विशेष रूप से राष्ट्रपति के पास है.

मोहम्मद इरफान अली गुयाना के नये राष्ट्रपति और मार्क फिलिप्स प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये

मोहम्मद इरफान अली गुयाना के नये राष्ट्रपति और मार्क फिलिप्स यहाँ के नए प्रधानमंत्री नियुक्त किये गये हैं. मोहम्मद इरफान अली गुयाना के पूर्व आवास मंत्री और विपक्षी राजनीतिक दल पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी (PPP) के नेता हैं. वह डेविड आर्थर ग्रेंजर की जगह लेंगे.

गुयाना के नवनियुक्त प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स रक्षा बल के पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ और सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर रह चुके हैं.

गुयाना: एक दृष्टि

  • गुयाना, दक्षिणी अमेरिका महाद्वीप के उत्तर-मध्य भाग में स्थित एक देश है. यह हॉलैन्ड, पुर्तगालियों और अंग्रेजों का उपनिवेश था. गयाना को ब्रिटेन के 200 वर्षों के शाशन से 26 मई 1966 को आजादी मिली थी.
  • गुयाना में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है. यहाँ भारतीय अंग्रेजों के शासन काल में आये थे. यहाँ काम करने के लिये ब्रिटेन ने अपने अन्य उपनिवेशो से मज़दूर गयाना मे लाए थे.
  • गुयाना की राजधानी जॉर्जटाउन है. यहाँ की जनसंख्या लगभग 7.5 लाख है. गुयाना की मुद्रा गयानी डॉलर (GYD) हैं.

भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद को सूरीनाम का राष्ट्रपति चुना गया

भारतीय मूल के चंद्रिका प्रसाद संतोखी को सूरीनाम का राष्ट्रपति चुना गया है. सूरीनाम की संसद ‘नेशनल एसेंबली’ ने संतोखी को राष्ट्रपति के रूप में सर्वसम्मति से चुना है.

चुनाव में डेसी बॉउटर्स को हराया

चंद्रिका प्रसाद ने पूर्व सैन्य तानाशाह डेसी बॉउटर्स की जगह ली है. उनकी प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी (PRC) ने बॉउटर्स की नेशनल पार्टी ऑफ सूरीनाम (NPS) को मई में संपन्न हुए चुनाव में हराया था.
बॉउटर्स ने वर्ष 1980 में निर्वाचित सरकार का तख्तापलट दिया था. उन्हें 15 विरोधियों की हत्या के मामले में 20 साल कैद की सजा हुई थी, जिसके खिलाफ उन्होंने अपील की है.

सूरीनाम आर्थिक संकट के दौर में

संतोखी ने ऐसे समय में सूरीनाम के नेतृत्व की बागडोर संभाली है जब उसके रिश्ते नीदरलैंड समेत दूसरे पश्चिमी देशों से खराब हो चुके हैं. देश इस समय आर्थिक संकट के दौर से भी गुजर रहा है.

डेसी बॉउटर्स के शासनकाल में तख्तापलट समेत अन्य कारणों से सूरीनाम के संबंध नीदरलैंड और अन्य पश्चिमी देशों के साथ अच्छे नहीं रहे हैं.

चंद्रिका प्रसाद संतोखी: एक दृष्टि

61 वर्षीय चंद्रिका प्रसाद संतोखी सूरीनाम के पूर्व-न्यायमंत्री व प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी (PRC) के नेता हैं. वे नीदरलैंड के पुलिस अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं और सूरीनाम के मुख्य पुलिस आयुक्त रह चुके हैं. वर्ष 2005 के दौरान वह देश के न्याय मंत्री भी रह चुके हैं.

सूरीनाम: एक दृष्टि

सूरीनाम पहले नीदरलैंड (पूर्व डच) का ही उपनिवेश रहा है. इसकी कुल आबादी 5,87,000 है, जिसमें 27.4 फीसद लोग भारतवंशी हैं. प्रोग्रेसिव रिफॉर्म पार्टी (PRC) मूल रूप से भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है. PRC को सूरीनाम में यूनाइटेड हिंदुस्तानी पार्टी कहा जाता था.

सूरीनाम मूल रूप से बॉक्साइट के निर्यात पर निर्भर रहा है, लेकिन हाल ही में उसके जलीय क्षेत्रीय में विशाल तेल भंडार पाए गए हैं. ये तेल भंडार देश को आर्थिक मुश्किलों से निकालने में मददगार साबित हो सकते हैं.

बोलीविया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इवो मोरालेस ने इस्तीफा दे दिया

दक्षिण अमेरिकी देश बोलीविया के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इवो मोरालेस ने 10 नवम्बर को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने धोखाधड़ी के आरोपों और विरोध प्रदर्शनों के बाद बढ़ते दबाव के कारण इस्तीफा दिया. मोरालेस द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में नया कार्यकाल हासिल करने के बाद 20 अक्टूबर से देश में विरोध प्रदर्शन जारी था.

बोलीविया में पिछले महीने चुनाव हुए थे. जिसमें राष्ट्रपति इवा मोरालेस ने अपने प्रतिद्वंदी के खिलाफ चुनाव में जीत हासिल की थी. लेकिन चुनाव में कथित तौर पर धांधली का आरोप लगते हुए विपक्ष ने भी चुनाव परिणामों को मान्यता देने से इनकार कर दिया था.