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ISRO ने उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV-C52 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 फरवरी को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C52) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था. यह परीक्षण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया था. यह 2022 का पहला प्रक्षेपण अभियान था.

इस परीक्षण में PSLV-C52 के माध्यम से पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘EOS-04’ और दो छोटे उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया. EOS-04 एक ‘रडार इमेजिंग सैटेलाइट’ है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान व बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों एवं सभी मौसम स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है.

इस अभियान में भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST) का उपग्रह इन्सपायरसैट-1 (INSPIREsat-1) और इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह (INS-2TD) को भी प्रक्षेपित किया गया था.

स्पेसएक्स द्वारा प्रक्षेपित 40 स्टारलिंक सैटेलाइट, सौर तूफान के कारण नष्ट

स्पेसएक्स द्वारा प्रक्षेपित 40 स्टारलिंक सैटेलाइट, सौर तूफान (जियोमैग्नेटिक) के कारण नष्ट हो गए हैं. स्पेसएक्स ने 4 फरवरी को 49 स्टारलिंक सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया था जिनमें 40 उपग्रह वातावरण में पुन: प्रवेश करके जल गए हैं. स्पेसएक्स, अमेरिकी उद्योगपति एलोन मस्क (Elon Musk) की कंपनी है.

मुख्य बिंदु

ये 40 स्टारलिंक सैटेलाइट सौर तूफान (जियोमैग्नेटिक) के कारण वातावरण में (निचली कक्षा में धरती से 210 किलोमीटर दूर) पुन: प्रवेश करके नष्ट हुए हैं. यह भू-चुंबकीय तूफान 10 फरवरी को आया था.

सौर तूफान के चलते स्टारलिंक उपग्रहों पर खिंचाव बढ़ गया और वे प्रभावी रूप से नष्ट हो गए. इस खिंचाव को कम करने के लिए तकनीकी रूप से कई कोशिशें की गईं लेकिन यह इतना तेज था कि उपग्रह एक उच्च और अधिक स्थिर कक्षा में जाने में नाकाम रहे.

स्पेसएक्स के पास अब भी करीब 2,000 स्टारलिंक उपग्रह हैं, जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं और दुनिया के दूरदराज के हिस्सों में इंटरनेट सेवा प्रदान कर रहे हैं. वे 550 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं.

धरती को खतरा नहीं

प्रक्षेपण के करने वाली कंपनी स्पेसएक्स के अनुसार नष्ट हुए उपग्रहों से धरती को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. इन उपग्रहों को इस तरह तैयार किया गया था कि किसी खतरे में ये धरती के वातावरण में दोबारा आकर राख बन जाएं.

क्या है सौर तूफान?

भू-चुंबकीय (जियोमैग्नेटिक) तूफान सूर्य में होने वाले विस्फोटों के चलते उससे निकलने वाली ऊर्जा होते हैं, जिसका असर जीपीएस, सैटेलाइट कम्युनिकेशंस और रेडियो पर पड़ता है. ऐसे तूफान जीपीएस नेविगेशन प्रणाली और हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशंस को भी प्रभावित करते हैं. इनसे हवाई सेवा, पावर ग्रिड्स व स्पेस एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम्स को भी खतरा होता है.

नासा ने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के संचालन को 2030 तक बंद करने की घोषणा की

अमेरिकी स्पेस एजेंसी (नासा) ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) के संचालन को वर्ष 2030 के अंत तक बंद करने की घोषणा की है. वर्ष 2031 में इसे कक्षा (ऑर्बिट) से बाहर निकाल दिया जाएगा. नासा ने ISS को धरती पर गिराने के लिए दक्षिण प्रशांत महासागरीय निर्जन क्षेत्र क्षेको चुना है, जिसे प्वाइंट निमो (Point Nemo) नाम से जाना जाता है.

नासा का कहना है कि ISS की सेवानिवृत्ति के बाद व्यावसायिक रूप से संचालित स्पेस प्लेटफॉर्म ISS की जगह लेंगे. नासा ने इसे विकसित करने के लिए तीन कंपनियों के साथ करार की घोषणा की है. इन तीन कंपनियों में जेफ बेज़ोस (Jeff Bezos) की ब्लू ओरिजिन (Blue Origin), नैनोरैक्स और नादर्न ग्रूममैन शामिल है.

ISS के संचालन को क्यों बंद किया जा रहा है?

रूस के अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS के एक सेगमेंट में नए दरारों की खोज की थी. अंतरिक्ष अधिकारीयों ने आने वाले समय में इन दरारों के और अधिक चौड़ी होने की चेतावनी दी थी. उन्होंने ने कहा था कि ISS के ज्यादातर उपकरण अब पुराने हो चुके हैं और 2025 के बाद ये उपकरण टूट सकते हैं.

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन क्या है?

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में मानव निर्मित उपग्रह है. इसे अनुसंधान और शोध के लिए बनाया गया है. इसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया गया है.

ISS विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है. इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) काम कर रही हैं.

ISS का इतिहास

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) को 1998 में लॉन्च किया गया था. फुटबॉल के आकार की यह स्पेस लैब धरती से करीब 420 किमी की दूरी पर स्थित है और पृथ्वी की परिक्रमा कर रही है. यह लगभग आठ किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है इसमें 19 अलग-अलग देशों के 200 से अधिक अंतरिक्ष यात्री रिसर्च और मिशन के उद्देश्य से सवार हो चुके हैं.

सिरीशा बंदला अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बनीं

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सिरीशा बंदला ने हाल ही में अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा की थी. वह कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अंतरिक्ष में उड़ान भरने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला हैं. एस्‍कवड्रन लीडर राकेश शर्मा अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं.

सिरीशा बंदला 11 जुलाई को ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रैनसन और चार अन्य लोगों के साथ वर्जिन गैलेक्टिक  (Virgin Galactic) के स्पेस शिप यूनिटी-22 में शामिल होकर अमरिकी राज्य न्यू मैक्सिको से अंतरिक्ष की यात्रा पूरी की थी. इस यात्रा पर जाने वाले छह लोगों में दो महिलाएं थीं. सिरीशा के अलावा एक अन्य महिला बेश मोसिस थीं.

आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में पैदा हुई और अमरीका के ह्यूस्‍टन में पली-बढी सुश्री सिरिशा एयरोनॉटिकल इंजीनियर हैं.

नासा ने मंगल ग्रह के लिए अभी तक का सबसे बड़ा रोवर ‘Perseverance’ रवाना किया

अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 30 जुलाई को मंगल ग्रह के लिए रोवर ‘Perseverance’ रवाना किया. यह रोवर 48 करोड़ किलोमीटर की यात्रा कर फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर पहुंचेगा और बहुत सारे नमूने लेकर 2031 में धरती पर लौटेगा.

मार्स रोवर Perseverance: मुख्य बिंदु

  • अमेरिका द्वारा भेजा गया यह रोवर अभी तक का सबसे बड़ा और वजनी रोवर है. कार के आकार का वाहन 25 कैमरों, दो माइक्रोफोन, ड्रिल मशीन और लेजर उपकरण के साथ मंगल ग्रह के लिए भेजा गया है. अमेरिका अपने इस अभियान पर आठ अरब डॉलर (60 हजार करोड़ रुपये) खर्च कर रहा है.
  • प्लूटोनियम चालित छह पहियों का यह रोवर मंगल ग्रह की जमीन (मार्टियन चट्टान) ड्रिलिंग का काम करेगा और वह टुकड़े एकत्रित करेगा, जिनके अध्ययन से पता चल सकेगा कि वहां पर कभी जीवधारी रहते थे और मानव जीवन क्या वहां पर संभव है.
  • अमेरिका अकेला देश है जिसने मंगल के लिए नौवीं बार अभियान शुरू किया है. इससे पहले के उसके सभी आठ अभियान सफल और सुरक्षित रहे हैं. इस बार के अभियान में चीन ने भी रोवर और ऑर्बिटर मंगल के लिए रवाना किया है, जो वहां से कई तरह की जानकारियां एकत्रित करेंगे.

चीन ने मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए अपना पहला यान ‘तिआनवेन-1’ को प्रक्षेपित किया

चीन ने मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए अपना पहला यान ‘तिआनवेन-1’ (Tianwen-1) को प्रक्षेपित किया है. यह प्रक्षेपण दक्षिण चीन के हेनान प्रांत के वेनचांग स्‍पेस लॉन्‍च सेंटर से किया गया. इस प्रक्षेपण में चीनी रॉकेट ‘लॉन्‍ग मार्च-5-Y4’ के माध्यम से ‘तिआनवेन-1’ को मंगल के लिए भेजा गया था. ‘तिआनवेन-1’ अपने साथ एक रोवर ले गया है जो मंगल की सतह पर लैंड करेगा.

चीन के नैशनल स्‍पेस एडमिनिस्‍ट्रेशन ने अनुसार 2000 सेकंड की उड़ान के बाद यह रॉकेट पृथ्‍वी-मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर गया. इसके बाद अब यह मंगल ग्रह की ओर रवाना हो गया है. चीन का अंतरिक्ष यान करीब 7 महीने की यात्रा के बाद फरवरी 2021 में मंगल ग्रह के गुरुवत्‍वाकर्षण वाले इलाके में प्रवेश कर जाएगा.

चीन का यह मिशन अगर सफल रहता है तो यह मानव के इतिहास में पहली बार में मंगल की कक्षा में चक्‍कर लगाने, लैंडिंग करने का एक ही मिशन में पहला अभियान होगा. इस मिशन का लक्ष्‍य मंगल की सतह पर बर्फ का पता लगाना है. इसके अलावा सतह की संरचना, जलवायु और पर्यावरण के बारे में पता लगाना है.

मंगल के लिए अन्य देशों के प्रयास

मंगल मिशन पर अब तक अमेरिका, रूस, भारत और यूरोपीय संघ ने अपने यान को सफलतापूर्वक भेजा है. भारत मंगल की परिक्रमा पर यान भेजने वाला पहला एशियाई देश है. भारत के इस मंगल मिशन का नाम ‘मंगलयान’ है. चीन ने रूस के सहयोग से मंगल ग्रह को लेकर 2011 में अपना यान ‘यिंगहुओ -1’ को लॉन्च किया था. यह मिशन असफल रहा था.

UAE ने मंगल ग्रह के लिए अपना पहला उपग्रह ‘HOPE’ को प्रक्षेपित किया

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने 20 जुलाई को मंगल ग्रह के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन में शामिल उपग्रह ‘HOPE’ को प्रक्षेपित किया. यह प्रक्षेपण जापान के तानेगाशिमा स्पेस सेंटर से किया गया. ‘HOPE’ नामक इस उपग्रह को तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से H2-A नामक रॉकेट के ज़रिए भेजा गया.

इस प्रक्षेपण के साथ है UAE पहला अरब देश होगा, जिसने मंगल ग्रह के लिए अपना उपग्रह भेजा हो. इस अंतरिक्ष यान पर अरबी में ‘अल-अमल’ लिखा हुआ था.

UAE का प्रोजेक्ट मंगल पर जाने वाले तीन प्रोजेक्ट में से एक है. इसमें चीन के ताइनवेन-1 और अमेरिका के मार्स 2020 भी शामिल हैं.

उपग्रह ‘HOPE’ के मंगल की कक्षा में फरवरी, 2021 में पहुंचने की उम्मीद है. इसके बाद यह एक मंगल वर्ष यानी 687 दिनों तक उसकी कक्षा में चक्कर लगाएगा. UAE में इस प्रोजेक्ट को अरब के युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत के रूप में देखा जा रहा है.

अंतरिक्ष, बैंकिंग और पशुपालन क्षेत्रों में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गये

सरकार ने अंतरिक्ष, बैंकिंग और पशुपालन क्षेत्रों में सुधार के लिए हाल ही में कई निर्णय लिए हैं. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 24 जून को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गये. इसकी जानकारी परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह ने दी.

अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी

सरकार ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एतिहासिक सुधारों को लागू करते हुए अंतरिक्ष से जुड़ी गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मंजूरी दी है. यह फैसला देश को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने के लिए किया गया है.

सरकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के प्रभावी सामाजिक-आर्थिक उपयोग के लिए ‘भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकार केंद्र’ (IN-SPACe) का गठन करेगी. IN-SPACe, Indian National Space Promotion and Authorization Centre का संक्षिप्त रूप है.

सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों को नया रूप देकर इसे आपूर्ति आधारित मॉडल से मांग आधारित मॉडल में बदलेगा.

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष की शुरुआत

एक और महत्त्वपूर्ण निर्णय में सरकार ने 15 हजार करोड़ रुपये के ‘पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष’ (Animal Husbandry Infrastructure Development Fund) की शुरुआत की. इस कोष के तहत देश में पशुपालन, डेयरी और पशुधन संबंधी उद्यमों का विकास किया जायेगा. इसका उद्देश्य देश में करीब 35 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है.

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास कोष के तहत बैंक संबंधित क्षेत्रों में उद्यम शुरू करने के लिए 90 प्रतिशत तक ऋण देंगे. सरकार ने इस योजना के तहत सभी ऋण के लिए ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट देने की घोषणा की है.

सहकारी बैंकों को RBI की निगरानी में लाने के लिए अध्यादेश

सरकार ने सभी सहकारी बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की निगरानी में लाने के लिए एक अध्यादेश लाने का निर्णय किया. अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद देश के 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्य सहकारी बैंक RBI की निगरानी (सुपरवाइजरी पॉवर्स) के अंतर्गत आ जाएंगे.

यह अध्यादेश इन बैंकों में जमाकर्ताओं की राशि को सुरक्षित रखने का आश्वासन देने के लिए किया गया है. अब RBI की शक्तियां जैसे कि अनुसूचित बैंकों पर लागू होती हैं, वैसे ही अब सहकारी बैंकों के लिए भी लागू होंगी.

SpaceX का ड्रैगन अंतरिक्ष यान दो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पहुँचाया

अमेरिका के निजी अंतरिक्ष कंपनी स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) का अंतरिक्ष यान ‘क्रू-ड्रैगन’ 31 मई को दो अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर सफलतापूर्वक अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) पहुँचा. इस प्रकार SpaceX अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने वाली पहली निजी कंपनी बन गई है.

वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा में एक नये युग की शुरूआत

SpaceX के अंतरिक्ष यान क्रू-ड्रैगन का ऐतिहासिक प्रक्षेपण फ्लोरिडा में केनेडी अंतरिक्ष केन्‍द्र से 30 मई को किया गया था. यह अंतरिक्ष यान नासा के अंतरिक्ष यात्री- बॉब बेंकन और डग हर्ले को लेकर गया है. इस अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण से वाणिज्यिक अंतरिक्ष यात्रा में एक नये युग की शुरूआत हुई है.

प्रक्षेपण के 19 घंटे की यात्रा के बाद नासा के अंतरिक्ष यात्री बॉब बेंकन और डग हर्ले अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS) पर सफलतापूर्वक उतर गये हैं. ISS में पहले से उपस्थित नासा के अंतरिक्ष यात्री क्रिस्‍टोफर कैसिडी और रूस के अंतरिक्ष यात्री अनातोली इवानीशिन और इवान वैगनर ने उनका स्‍वागत किया. क्रू-ड्रैगन ISS से जुड़े अपने कार्यों के पूरा होने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को वापस कर लाएगा.

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन क्या है?

अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) बाहरी अन्तरिक्ष में मानव निर्मित उपग्रह है. इसे अनुसंधान और शोध के लिए बनाया गया है. इसे पृथ्वी की निकटवर्ती कक्षा में स्थापित किया गया है.

ISS विश्व की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है. इसे बनाने में संयुक्त राज्य की नासा के साथ रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) काम कर रही हैं.

स्‍पेसएक्‍स (SpaceX): एक दृष्टि

  • SpaceX का पूरा नाम ‘स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीज कार्पोरेशन’ है. यह अन्तरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करने वाली एक निजी कंपनी है. इसका मुख्यालय हैथॉर्न, कैलिफ़ोर्निया में है.
  • 2002 में अंतरिक्ष परिवहन लागत को कम करने और मंगल ग्रह के उपनिवेशीकरण को सक्षम करने के लक्ष्य के साथ उद्यमी एलन मस्क ने इसकी स्थापना की थी.
  • SpaceX ने फाल्कन और ड्रैगन अंतरिक्ष यान विकसित किया है, जो वर्तमान में पृथ्वी कक्षा में पेलोड वितरित करता है.

ISRO ने GSLV-F 10 जियो इमेजिंग सैटेलाइट, GISAT-1 के प्रक्षेपण की घोषणा की

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 5 मार्च को जियो इमेजिंग सैटेलाइट- GISAT-1 का प्रक्षेपण करेगा. यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से किया जायेगा.

इस प्रक्षेपण में GSLV-F 10 राकेट के माध्यम से GISAT-1 सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (भू-समकालीन स्थानांतरण कक्षा- GTO) में स्थापित किया जाएगा. इसके बाद, उपग्रह प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतिम भूस्थिर कक्षा में पहुंच जाएगा. यह GSLV का 14वां उड़ान होगा.

GISAT-1: एक दृष्टि

  • GISAT-1 एक अत्याधुनिक तेजी से धरती का अवलोकन करने वाला उपग्रह है. इसका वजन 2,275 किलोग्राम है.
  • इस GSLV उड़ान में पहली बार चार मीटर व्यास का ओगिव आकार का पेलोड फेयरिंग (हीट शील्ड) प्रवाहित किया जा रहा है.
  • GISAT-1 में इमेजिंग कैमरों की एक विस्तृत श्रंखला है. ये निकट इंफ्रारेड और थर्मल इमेजिंग करने में सक्षम हैं. इन कैमरों में हब्बल दूरदर्शी जैसा 700 एमएम का एक रिची च्रीटियन प्रणाली का टेलीस्कोप का इस्तेमाल किया गया है.
  • इसमें कई हाइ-रिजोल्यूशन कैमरे हैं जो उपग्रह की ऑन-बोर्ड प्रणाली द्वारा ही संचालित होंगे. इसकी एक और खासियत ये है कि ये 50 मीटर से 1.5 किलोमीटर की रिजोल्यूशन में फोटो ले सकता है.

NASA ने सूर्य के ध्रुवों की तस्वीर लेने के लिए सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट प्रक्षेपित किया

यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी (NASA) ने 9 फरवरी को संयुक्त रूप से ‘सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट’ प्रक्षेपित किया है. इस महत्वाकांक्षी मिशन का उद्देश्य पहली बार सूर्य के ध्रुवों की तस्वरी लेना है. 1.5 अरब डॉलर की लागत वाले इस स्पेसक्राफ्ट को फ्लॉरिडा के केप कैनावरल एयर फोर्स स्टेशन से ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस 5’ रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया गया.

सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट 7 साल में कुल 4 करोड़ 18 लाख किलोमीटर दूरी तय करेगा. प्रक्षेपण के बाद पहले दो दिनों में इसके सोलर ऑर्बिटर अपने तमाम उपकरणों और ऐंटिना को तैनात करेगा जो धरती तक संदेश भेजेंगे और वैज्ञानिक आंकड़ों को जुटाएंगे. वैज्ञानिक सोलर ऑर्बिटर से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में और ज्यादा जानकारी हासिल कर सकेंगे.

सोलर ऑर्बिटर से पहले यूलिसेस मिशन प्रक्षेपित किया था

ESA और NASA ने इससे पहले 1990 में ‘यूलिसेस मिशन’ प्रक्षेपित किया था, जिससे वैज्ञानिकों को सूर्य के चारों तरफ के अहम क्षेत्र को पहली बार मापने में मदद की थी. यूलिसेस में कैमरा नहीं लगा था लेकिन सोलर ऑर्बिटर पर कैमरे लगे हैं जो सूर्य के ध्रुवों की पहली बार तस्वीर मुहैया कराएंगे.

क्रिस्टीना कोच ने किसी माहिला द्वारा सबसे लंबे समय तक अन्तरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड बनाया

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर लगभग 11 महीने बिताने के बाद 6 फरवरी को सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आईं. अंतरिक्ष में उनका यह मिशन किसी महिला का अब तक का सबसे लंबा मिशन था. कोच ने अंतरिक्ष में 328 दिन व्यतीत किये. इससे पहले नासा की पेगी व्हिटसन के पास था सबसे अधिक 289 दिन रहने का रिकॉड था.

क्रिस्टीना कोच के साथ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के लुका परमितानो और रूसी अंतरिक्षक एजेंसी के अलेक्जेंडर स्कोवोर्तसोव भी थे. कोच 14 मार्च 2019 को पृथ्वी से रवाना हुई थीं. अपने मिशन के दौरान कोच ने 210 अनुसंधानों में हिस्सा लिया जो नासा के आगामी चंद्र मिशन और मंगल पर मानव को भेजने की तैयारियों में मददगार होंगे.

पेगी व्हिटसन का रिकॉर्ड तोडा, स्कॉट केली पहले स्थान पर

अमेरिकी की अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच ने पिछले वर्ष 28 दिसम्बर को किसी महिला द्वारा एक ही अंतरिक्ष उड़ान में 289 दिन रहने के पूर्ववर्ती रिकार्ड को तोड़ दिया था. उक्त रिकार्ड नासा की पेगी व्हिटसन ने 2016-2017 में बनाया था. अपने पहले ही मिशन में कोच लगातार सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्रियों की सूची में स्कॉट केली के बाद दूसरे स्थान पर पहुँच गयी हैं जो 340 दिन तक लगातार अंतरिक्ष में रहे थे.

328 दिन में की 13.9 करोड़ किलोमीटर की यात्रा

अंतरिक्ष में 328 दिन के अपने प्रवास के दौरान कोच ने धरती के 5,248 चक्कर लगाते हुये 13.9 करोड़ किलोमीटर की यात्रा की है. उन्होंने अपने अंतिम स्पेसवॉक में जेसिका मीर के साथ बाहर निकली थीं. इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी स्पेसवॉक में पूरी तरह महिलाओं का दल अंतरिक्ष स्टेशन के बाहर गया हो.

अन्तर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) क्या है?

  • अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (International Space Station) मानव निर्मित एक उपग्रह है. यह बाहरी अन्तरिक्ष (पृथ्वी से करीब 350 किलोमीटर ऊपर) में औसतन 27724 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से परिक्रमा कर रहा है. ISS एक अन्तरिक्ष शोध स्थल जिसे बनाने की शुरुआत 1998 में हुआ था और यह 2011 तक बन कर तैयार हो गया था.
  • ISS कार्यक्रम, संयुक्त राज्य की नासा, रूस की रशियन फेडरल स्पेस एजेंसी (RKA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), कनाडा की कनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) और यूरोपीय देशों की संयुक्त यूरोपीयन स्पेस एजेंसी (ESA) की कई स्पेस एजेंसियों का संयुक्त उपक्रम है.