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कोलम्‍बो सुरक्षा सम्मेलन की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की छठी बैठक

कोलम्‍बो सुरक्षा सम्मेलन की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (Colombo Security Conclave) स्तर की छठी बैठक पोर्ट लुईस में 7 दिसम्बर को आयोजित की गई थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इस बैठक में हिस्सा लिया था.

  • बैठक में बांग्लादेश और सेशल्‍स के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के अलावा सदस्यों देशों के वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकारों ने हिस्सा लिया.
  • सदस्य देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की पांचवीं बैठक में लिये गए निर्णयों की प्रगति की समीक्षा की और 2024 की गतिविधियों की रूपरेखा पर सहमति व्यक्त की.

कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (CSC): एक दृष्टि

  • कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव (Colombo Security Conclave) का गठन वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में किया गया था.
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पाँचवीं बैठक में मॉरीशस को चौथे सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
  • बांग्लादेश और सेशेल्स को पर्यवेक्षकों के रूप में समूह में शामिल किया गया है.
  • CSC को क्षेत्रीय सहयोग और साझा सुरक्षा उद्देश्यों को रेखांकित करने के लिये हिंद महासागर में भारत की पहुँच के रूप में देखा जाता है.

IMF ने श्रीलंका को तीन अरब डॉलर की वित्तीय सहायता की स्वीकृति दी

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कर्ज में डूबे श्रीलंका को आर्थिक संकट से तत्काल उबारने में मदद के लिए लगभग तीन अरब डॉलर की वित्तीय सहायता को स्वीकृति दी है. IMF के कार्यकारी बोर्ड ने यह यह स्वीकृति विस्तारित निधि सुविधा के अंतर्गत दी है.

मुख्य बिन्दु

  • IMF मंजूरी के साथ विदेशी मुद्रा की कमी से प्रभावित श्रीलंका अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की उम्मीद में लगा है. श्रीलंका के इतिहास में आईएमएफ की ओर से 17वां राहत पैकेज है.
  • बहुप्रतीक्षित आर्थिक राहत पैकेज की स्‍वीकृति के साथ, श्रीलंका वित्तीय स्थिरता की रक्षा करते हुए और अपनी विकास क्षमता और संरचनात्मक सुधारों को आगे बढ़ाते हुए व्यापक आर्थिक और ऋण स्थिरता को बहाल करेगा.
  • आर्थिक संकट के दौरान भारत की उदार सहायता और वित्तीय आश्वासनों के रूप में सक्रिय प्रयास श्रीलंका की आर्थिक सुधार की राह में उल्‍लेखनीय रहे हैं.
  • श्रीलंका ने सितंबर 2022 में आईएमएफ के साथ एक स्‍टाफ स्तर का समझौता किया था. जिसमें कुछ शर्तें जरूरी थी. इसके लिए श्रीलंका ने सब्सिडी में कटौती और करों को बढ़ाने सहित कई कड़े कदम उठाए हैं.

रानिल विक्रमसिंघ श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित

रानिल विक्रमसिंघ श्रीलंका के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने 21 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ ली. उन्होंने न्यायमूर्ति जयंत जयसूर्या की उपस्थिति में राष्ट्रपति पद की शपथ ली.

  • श्रीलंका में गंभीर आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति पद से गोताबाया राजपक्ष के इस्‍तीफे के बाद 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति के लिए मतदान हुआ था.
  • 225 सांसदों में से रानिल विक्रमसिंघ को 134 सांसदों का समर्थन मिला. पोडुजन पेरामुना पार्टी के डलास अलपेरूमा को 82 सांसदों का और नेशनल पीपुल्‍स पावर के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को सिर्फ 3 सांसदों का समर्थन मिला.
  • 225 सदस्यों की संसद में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघ को शेष कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति चुना गया है. राष्ट्रपति का वर्तमान कार्यकाल नवंबर में 2024 में समाप्त होना है.

श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने नये प्रधानमंत्री का पदभार संभाला

श्रीलंका में यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने नये प्रधानमंत्री का पदभार संभाल लिया है. राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्ष ने 12 मई को कोलंबो में उन्हें पद की शपथ दिलाई.

  • इससे पहले महिन्दा राजपक्ष ने देश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों और हिंसक हमलों के बाद प्रधानमंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया था. उनके त्याग-पत्र से मंत्रिमंडल स्वतः भंग हो गया था. महिन्दा राजपक्ष राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्ष के भाई है. श्रीलंका में खराब आर्थिक नीतियों के कारण प्रदर्शनकारी राजपक्ष बंधुओं के त्याग-पत्र की मांग कर रहे हैं.
  • श्री विक्रमसिंघे को राजनीतिक और आर्थिक संकट से घिरे द्वीप देश श्रीलंका में स्थिरता लाने के प्रयास में फिर से प्रधानमंत्री बनाया गया है. राष्ट्रपति की ओर से 73 वर्षीय विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री नियुक्त करने को देश में हिंसा समाप्त करने और अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता बहाल करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
  • भारी ऋण के संकट से जूझ रहा श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है और देश में ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक सामग्रियों का भयंकर अभाव है. इस बीच, राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 17 मई को चर्चा होगी.

श्रीलंका में गंभीर खाद्य संकट, आर्थिक आपातकाल की घोषणा

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में आर्थिक आपातकाल (Economic Emergency in Sri Lanka) की घोषणा की है. देश की मुद्रा के मूल्य में भारी गिरावट के कारण खाद्य कीमतों में तेजी आने के बाद बढ़ती मुद्रास्फीति को रोकने के लिए श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने यह कदम उठाया है.

‘राष्ट्रपति राजपक्षे ने चावल और चीनी सहित आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी को रोकने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के तहत आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी. 2 सितम्बर से आपातकाल लागू हो गया है.

सरकार ने एक पूर्व सेना जनरल को आवश्यक सेवाओं के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया है. इस आयुक्त के पास व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं द्वारा जमा किए गए खाद्य स्टॉक को जब्त करने और उनकी कीमतों को रेगुलेट करने की शक्ति होगी.

श्रीलंका में हाल के दिनों में, गिरती स्थानीय मुद्रा और COVID-19 महामारी द्वारा संचालित उच्च वैश्विक बाजार कीमतों के कारण अधिकांश आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं. इस साल अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपया 7.5 फीसदी गिरा है. इसे देखते हुए सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका ने हाल ही में ब्याज दरों में वृद्धि की है.

विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट

बैंक के आंकड़ों के अनुसार, श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई के अंत में गिरकर 2.8 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया. नवंबर 2019 में जब सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब यह 7.5 अरब अमेरिकी डॉलर था.

महिंदा राजपक्षे ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली

श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने 9 अगस्त को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने दिलावाई.

हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व में श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (SLPP) पार्टी और सहयोगियों को दो तिहाई सीटें पाई थीं. SLPP ने 145 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत दर्ज करते हुए अपने सहयोगियों के साथ कुल 150 सीटें अपने नाम कीं जो 225 सदस्यीय सदन में दो तिहाई बहुमत के बराबर है.

महिंदा राजपक्षे इससे पहले 2005 से 2015 तक करीब एक दशक तक राष्ट्रपति रहे हैं. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने नवंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में SLPP की टिकट पर जीत दर्ज की थी. गोटबाया राजपक्षे महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई हैं.

महिंदा राजपक्षे ने इस साल जुलाई में संसद की राजनीति में 50 वर्ष पूरे किए हैं. वे 1970 में महज 24 साल की उम्र में सांसद निर्वाचित हुए थे. उसके बाद वे दो बार राष्ट्रपति चुने गए और तीन बार प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए.

श्रीलंका में दो विपक्षी पार्टियों समागी जना बालावेगया (SJB) और युनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) में UNP बुरी तरह पराजित हुई और उसके नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे भी चुनाव हार गये. पार्टी को मात्र एक सीट मिली. UNP से अलग होकर बनी SJB को चुनाव में 54 सीटें मिली हैं और वह मुख्‍य विपक्षी दल है.

मालदीव और श्रीलंका ने चेचक और खसरा के उन्‍मूलन का लक्ष्‍य हासिल किया

मालदीव और श्रीलंका ने चेचक और खसरा के उन्‍मूलन का हासिल कर लिया है. यह घोषणा विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) के दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉक्‍टर पूनम खेत्रपाल सिंह ने चेचक और खसरा के उन्‍मूलन के लिए क्षेत्रीय पुष्टिकरण आयोग की पांचवीं बैठक के बाद की.

2023 तक उन्‍मूलन का लक्ष्‍य

दोनों देशों ने चेचक और खसरा के उन्‍मूलन का लक्ष्‍य समय से पहले हासिल किया है. WHO ने चेचक और खसरा के उन्‍मूलन का लक्ष्‍य वर्ष 2023 तक रखा है.

दक्षिण-पूर्व एशिया में उपलब्धि हासिल करने वाले पहले दो देश

मालदीव और श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले दो देश बन गए हैं. मालदीव में चेचक का अंतिम मामला वर्ष 2009 में और खसरे का अक्‍टूबर 2015 में सामने आया था. श्रीलंका में चेचक का अंतिम मामला मई 2016 में और खसरे का मार्च 2017 में सामने आया था.

दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में- भारत, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश, थाईलैंड, मालदीव, म्यांमार, उत्तर कोरिया, तिमोर-लेस्ते, इंडोनेशिया और नेपाल शामिल हैं.

श्रीलंका, खसरा का उन्मूलन करने वाला दक्षिण-पूर्व एशिया का 5वा देश

श्रीलंका ‘खसरा’ (measles) का उन्मूलन करने वाला दक्षिण-पूर्व एशिया का पांचवा देश बना था. WHO ने इसकी घोषणा 10 जुलाई को की थी. दक्षिण-पूर्व एशिया में इससे पहले यह उपलब्धि भूटान, मालदीव, कोरिया और तिमोर ने हासिल की थी.

किसी बीमारी का उन्मूलन तब घोषित किया जाता है जब उस बामारी के एक भी मामले पिछले तीन वर्ष में नहीं आये हो.

श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दिया, महिन्दा राजपक्ष नये प्रधानमंत्री बने

श्रीलंका के राष्ट्रपति गोठाभय राजपक्ष ने 21 नवम्बर को महिन्दा राजपक्ष को प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई. नए प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह रानिल विक्रमसिंघे के औपचारिक इस्‍तीफे के बाद आयोजित किया गया था. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री राजपक्ष के 15 सदस्यों वाले मंत्रिमंडल को भी शपथ दिलाई गयी. श्रीलंका के निवर्तमान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने 20 नवम्बर को अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था.

महिन्‍दा राजपक्षे वर्तमान राष्‍ट्रपति गोटाबया के बड़े भाई हैं और 2005 से 2015 तक दो बार राष्‍ट्रपति का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. संविधान के अनुसार उनका राष्‍ट्रपति चुनाव लड़ना संभव नहीं था इसलिए बतौर प्रधानमंत्री उनकी राजनीतिक वापसी हुई है. इस सरकार को संसद में फिलहाल बहुमत नहीं है. यहाँ 2020 की शुरुआत में संसद चुनाव कराये जायेंगे.

श्रीलंका राष्‍ट्रपति चुनाव: श्री गोटबाया राजपक्षे ने 7वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली

श्रीलंका में गोतबाया राजपक्ष ने 18 नवम्बर को 7वें राष्‍ट्रपति के रूप में शपथ ली. यहाँ राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए 16 नवम्बर को मतदान हुए थे. इस चुनाव में गोटबाया राजपक्षे को जीत मिली थी. उन्‍होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सजित प्रेमदासा को हराया था.

इससे पहेल गोटबाया के मुख्‍य प्रतिद्वंदी सजित प्रेमदास ने हार स्‍वीकार करते हुए राजपक्ष को जीत की बधाई दी थी. श्री प्रेमदास ने प्रधानमंत्री रनिल विक्रम सिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के उपनेता के पद से इस्‍तीफा दे दिया था.

गोटबाया ने सत्तारूढ़ पार्टी के उम्मीदवार सजीत प्रेमदास को 13 लाख से अधिक मतों से पराजित किया था. राजपक्षे को 52% (6,924,255) मत मिले जबकि प्रेमदास को 42% (5,564,239) वोट प्राप्त हुए. गोटबाया की जीत 5 साल पहले सत्ता से बाहर हुए राजपक्षे परिवार को फिर से देश की सत्ता में ले आई है.

गोटबाया राजपक्षे: एक परिचय

70 वर्षीय गोटबाया राजपक्षे पूर्व राष्‍ट्रपति महिंदा राजपक्षे के भाई हैं. गोटबाया ने 1980 के दशक में भारत के पूर्वोत्तर स्थित ‘काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वारफेयर स्कूल’ में प्रशिक्षण लिया था. वर्ष 1983 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल की.

बतौर राष्‍ट्रपति राजनीति में प्रवेश

गोतबाया किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े हैं और बतौर राष्‍ट्रपति उनका राजनीति में भी प्रवेश होगा. महिंदा राजपक्ष को उनका दल पहले ही प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर चुका है और आने वाले दिनों में उनका शपथग्रहण भी संभावित है.

चीन के करीबी

गोटबाया राजपक्षे चीन के करीबी माने जाते हैं. गोटबाया के भाई के शासन में चीन ने बड़े पैमाने पर श्रीलंका की आधारभूत परियोजनाओं में निवेश किया था.

श्रीलंका ने हंबनटोटा बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन से भारी कर्ज लिया था. इस कर्ज चुका न पाने पर उसने यह अहम पोर्ट चीन को 99 साल की लीज पर दे दिया. फिलहाल इस पर चीन का ही अधिकार है.

चीन ने श्रीलंका को एक युद्धपोत भी उपहार दिया है. ऐसा दिखाया गया कि यह आपसी संबंध मजबूत करने के लिए हुआ है. दरअसल, ऐसा करके चीन हिंद महासागर में अपनी सैन्य पहुंच बना रहा है.

अल्पसंख्यक तमिल और मुस्लिम आशंकित

गोटबाया राजपक्षे ने तमिल हथियारंबद संगठन लिट्टे के खिलाफ उन्होंने बेहद निर्दयता के साथ अभियान चलाया था. इस कारण अधिकतर तमिल अल्पसंख्यक उन्हें अविश्वास की नजर से देखते हैं जबकि श्रीलंका के बहुसंख्यक सिंहली बौद्ध उन्हें ‘युद्ध नायक’ मानते हैं.

गोटबाया की लोकप्रियता से मुस्लिम समुदाय भी आशंकित रहता है. उन्हें आशंका है कि ईस्टर के मौके पर इस्लामी आतंकवादियों के गिरजाघरों पर किए गए हमले के बाद दोनों समुदायों में पैदा हुई खाई और चौड़ी होगी. हिंदू और मुस्लिम की संयुक्त रूप से श्रीलंका की कुल आबादी में 20 फीसदी हिस्सेदारी है.

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में सबसे ऊंचे ‘लोटस टावर’ का उद्घाटन हुआ

श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में 17 सितम्बर को सबसे ऊंचे टावर का उद्घाटन हुआ. 350 मीटर ऊंचे इस टावर का नाम ‘लोटस टावर’ है.

श्रीलंका के ‘लोटस टावर’ का निर्माण चीन के बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) के तहत किया गया है. भारत शुरुआत से चीन के इस प्रोजेक्‍ट का विरोध करता रहा है. करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए इस लोटस टावर के निर्माण में 80 फीसदी धनराशि चीन ने प्रदान की है.

इस इमारत के उद्घाटन के मौके पर श्रीलंका के राष्‍ट्रपति सिरीसेना ने इस टावर के निर्माण से जुड़ी चीनी कंपनी पर 11 मिलियन डॉलर के घपले का आरोप लगाया है.

‘लोटस टावर’: एक दृष्टि
350 मीटर ऊंचा और 17 मंजिला यह एक टेलिविजन टावर है. 30,600 वर्ग मीटर में बने इस टावर में एक होटल, टेलिकम्‍युनिकेशन म्‍यूजियम, ऑडिटोरियम, ऑब्‍जर्वेशन टावर, मॉल शामिल हैं.