हाल के दिनों में अमेरिका और चीन के बीच संबंध निचले स्तर पर पहुंच गया है. दोनों देशों के बीच तनाव तब चरण पर पहुँच गया जब अमरीकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी (Nancy Pelosi) चीन की चेतावनी के बावजूद 2 अगस्त को ताइवान पहुंच गई.
मुख्य घटनाक्रम: एक दृष्टि
सुश्री पेलोसी पिछले 25 वर्ष में ताइवान जाने वाली चुनी हुई उच्चस्तरीय अमरीकी अधिकारी हैं. उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा से अमरीका की आधिकारिक नीति का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
उन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति साइ-इंग-वेन और सांसदों से मुलाकात की. हालांकि, चीन, ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है; सुश्री पेलोसी ने ताइवान के प्रति अमरीका की प्रतिबद्धता को दोहराया.
नैंसी पेलोसी के चीन की चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने घोषणा की है कि वह लक्षित सैन्य अभियान शुरू करेगा. अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी ने सुश्री पेलोसी की यात्रा का समर्थन किया है.
चीन-ताइवान विवाद क्या है?
चीन अपने ‘वन चाइना पॉलिसी’ के तहत ताइवान को अलग देश के बजाय अपना अभिन्न अंग मानता है. दूसरी तरफ ताइवान खुद को एक अलग और संप्रभु राष्ट्र मानता है. चीन नहीं चाहता है कि ताइवान के मुद्दे पर किसी भी तरह का विदेशी दखल हो.
ताइवान पहले चीन का हिस्सा था. 1644 के दौरान जब चीन में चिंग वंश का शासन तो ताइवान उसी के हिस्से में था. 1895 में चीन ने ताइवान को जापान को सौंप दिया.
1949 में चीन में गृहयुद्ध हुआ तो माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने चियांग काई शेक के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कॉमिंगतांग पार्टी को हरा दिया. इसके बाद कॉमिंगतांग पार्टी ताइवान पहुंच गई और वहां जाकर अपनी सरकार बना ली.
दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो उसने कॉमिंगतांग को ताइवान का नियंत्रण सौंप दिया. इसके बाद से ताइवान में चुनी हुई सरकार बन रही है. वहां का अपना संविधान भी है.
ताइवान का असली नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है. वहीं चीन का नाम पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-08-03 15:37:352022-08-03 15:41:21अमेरिका – चीन तनाव, अमरीकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा
अमेरिका ने ताइवान को 60 करोड़ डॉलर के सशस्त्र ड्रोन बेचने को मंजूरी दी है. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत ताइवान को रिमोट संचालित सशत्र ड्रोन व अन्य उपकरण देने की प्रक्रिया मंजूर की गई है.
इन ड्रोन के मिलने के बाद ताइवान को अपनी सुरक्षा, सैन्य संतुलन और राजनीतिक स्थिरता में मदद मिलेगी. इससे पहले अमेरिकी सरकार ने ताइवान को 237 करोड़ डालर की हार्पून मिसाइल बेचने पर सहमति दी थी. यह मिसाइल बेहद घातक मानी जाती है.
चीन-ताइवान संबंध
अमेरिका, चीन की चेतावनी के बावजूद ताइवान की सैन्य शक्ति को लगातार मजबूत कर रहा है. दरअसल चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत बताकर उस पर अधिकार जताता है, जबकि ताइवान का कहना है कि वह संप्रभु देश है. वर्ष 1949 में गृहयुद्ध के दौरान यह द्वीपीय क्षेत्र चीन से अलग हो गया था. संयुक्त राष्ट्र ने ताइवान को चीन के एक प्रांत के रूप में मान्यता दी है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-11-03 13:57:202020-11-10 14:09:38अमेरिका ने ताइवान को 60 करोड़ डॉलर के सशस्त्र ड्रोन बेचने को मंजूरी दी
ताइवान में 11 जनवरी को हुए चुनाव में राष्ट्रपति साई इंग वेन को विजयी घोषित किया गया है. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार के मुकाबले 58 फीसद से अधिक मतों से जीत दर्ज की.
ताईवान में पहली बार किसी महिला नेता को दूसरे कार्यकाल के लिए भारी बहुमत से चुना गया है. अपने प्रचार अभियान के दौरान साई ने खुद को लोकतंत्र के समर्थक के तौर पर पेश किया था. चुनाव में चीन के साथ ताइवान के रिश्ते मुख्य मुद्दा रहा था.
63 वर्षीय साई इंग वेन ने जीत के बाद अपने भाषण में आशा व्यक्त की कि लोकतांत्रिक ताईवान और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई ताईवान सरकार किसी प्रकार के डराने-धमकाने के आगे नहीं झुकेगी.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-01-12 23:56:282020-01-13 00:11:56ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन को राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज की