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भारत में सड़क दुर्घटनाओं पर सड़़क परिहवन मंत्रालय की रिपोर्ट

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 1 नवंबर को ‘भारत में सड़क दुर्घटनाएँ- 2022’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट में भारत में सड़क दुर्घटनाओं और इससे होने वाली मृत्यु से संबंधित मामलों पर प्रकाश डालती है.

भारत में सड़क दुर्घटनाएँ- 2022: मुख्य बिन्दु

  • साल 2022 में 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में दिल्ली में सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं. इसके बाद इंदौर और जबलपुर का स्थान है.
  • 2022 में 10 लाख की आबादी वाले 50 शहरों में कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 46.37 प्रतिशत दुर्घटनाएं इन 10 शहरों में हुई. दिल्ली में 5,652 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद इंदौर (4,680), जबलपुर (4,046), बंगलूरू (3,822), चेन्नई (3,452), भोपाल (3,313), मल्लापुरम (2,991), जयपुर (2,687), हैदराबाद (2,516) और कोच्चि (2,432) दर्ज किए गए.
  • 2021 की तुलना में 2022 में चेन्नई, धनबाद, लुधियाना, मुंबई, पटना और विजाग को छोड़कर सभी 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में सड़क दुर्घटनाओं और मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
  • 2022 में, सड़क दुर्घटना में लगभग 68 प्रतिशत मौतें ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं, जबकि शहरी क्षेत्रों में ऐसी 32 प्रतिशत मौतें हुईं.
  • प्रति लाख जनसंख्या पर दुर्घटनाओं की संख्या 2021 में 30.3 से बढ़कर 2022 में 33.5 हो गई. जिसमें कहा गया है कि 2022 में 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई.
  • सड़क दुर्घटनाओं के कारण सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश (13.4%) में हुईं, उसके बाद तमिलनाडु (10.6%) का स्थान रहा. लक्षित हस्तक्षेपों के लिये राज्य-विशिष्ट रुझानों को समझना आवश्यक है.

शहरों में ई-बसों की सेवा बढाने के लिए पीएम ई-बस सेवा को स्‍वीकृति

सरकार ने शहरों में ई-बसों की सेवा बढाने के लिए ‘पीएम ई-बस सेवा’ को स्‍वीकृति दी है. इस योजना के तहत शुरूआत में दस हजार ई-बसें चलाई जाएगी.

मुख्य बिन्दु

  • पीएम-ई-बस सेवा पर 57.61 हजार करोड रुपये खर्च किए जाएंगे. 169 शहरों में दस हजार नई इलेक्ट्रिक बसें लाई जाएंगी.
  • देश के सौ शहरों को वृहत पैमाने पर इलेक्‍ट्रीक बस चलाने के लिए यह योजना तैयार की गई है जो ग्रीन मोबिलिटी को बढ़ावा देगी.
  • पीएम-ई-बस सेवा योजना के क्रियान्‍वयन से देश के शहरों में सार्वजनिक परिवहन सेवा का विस्तार होगा, पर्यावरण अनुकूल यातायात व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

दुनिया के सबसे लंबे रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ को वाराणसी से शुरू किया गया

भारत में रिवर क्रूज ‘एमवी गंगा विलास’ (River Cruise MV Ganga Vilas) से पर्यटन यात्रा शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत वाराणसी से हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जनवरी को वीडियो कॉन्फ्रेंस माध्यम से इसकी शुरुआत की थी. इस पहली यात्रा में स्विट्जरलैड के 32 यात्री हैं जो वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक की यात्रा कर रहे हैं.

गंगा विलास: मुख्य बिन्दु

  • गंगा विलास दुनिया का सबसे लंबा रिवर क्रूज है. इसमें सभी लग्जरी सुविधाओं के साथ तीन डेक और 36 पर्यटकों की क्षमता वाले 18 सुइट हैं.
  • वाराणसी से डिब्रूगढ़ (असम) तक की इस यात्रा के दौरान यह क्रूज 51 दिनों में लगभग 3200 किलोमीटर का सफर तय करेगा. यह रिवर क्रूज बांग्लादेश के रास्ते असम में डिब्रूगढ़ पहुंचेगा.
  • विश्व धरोहर स्थलों, राष्ट्रीय उद्यानों, नदी घाटों और बिहार में पटना और झारखंड में साहिबगंज, पश्चिम बंगाल में कोलकाता, बांग्लादेश में ढाका और असम में गुवाहाटी जैसे प्रमुख शहरों सहित 50 पर्यटन स्थलों की क्रूज की 51 दिनों की योजना बनाई गई है.

भारत में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण

भारत में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर वाहन चलाने योग्य सड़क का निर्माण किया गया है. इसका निर्माण सीमा सड़क संगठन (BRO) ने पूर्वी लद्दाख में उमलिंग-ला दर्रे पर किया है. यह 19,300 फीट (5798.251 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है. BRO, भारतीय सशस्त्र बल की सड़क बनाने वाली एजेंसी है. BRO ने इस सड़क के निर्माण और ब्लैकटॉपिंग के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड प्राप्त किया है.

मुख्य बिंदु

  • इस ऊंचे पहाड़ी दर्रे से होते हुए BRO ने 52 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क बनाई है. उमलिंग ला दर्रे की सड़क अब पूर्वी लद्दाख के चुमार सेक्टर के महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती है.
  • उमलिंग ला दर्रा ने अब बोलीविया में स्थित 18,953 फीट के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. बोलीविया में पिछली सबसे ऊंची सड़क उटुरुंकु नामक ज्वालामुखी से जुड़ती है.
  • उमलिंग ला दर्रे पर स्थित यह सड़क माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप (आधार शिविरों) से भी ऊंचा है. तिब्बत में उत्तरी बेस 16,900 फीट की ऊंचाई पर है, जबकि नेपाल में दक्षिण बेस कैंप 17,598 फीट पर स्थित है. माउंट एवरेस्ट का शिखर 29,000 फीट से थोड़ा ज्यादा ऊंचा है.
  • उमलिंग ला दर्रा मशहूर खारदुंग ला दर्रे की तुलना में ड्राइवरों के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.
  • रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस दर्रे का तापमान भीषण सर्दियों के मौसम में माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. साथ ही, इस ऊंचाई पर ऑक्सीजन का स्तर सामान्य स्थानों की तुलना में लगभग 50 फीसदी कम है. जिससे किसी के लिए भी यहां ज्यादा समय तक रहना बहुत मुश्किल हो जाता है.

केंद्र सरकार ने ‘BH’ नामक एक नया वाहन पंजीकरण चिह्न जारी किया

केंद्र सरकार ने वाहनों के पंजीकरण के लिए ‘BH’ नामक एक नया वाहन पंजीकरण चिह्न (व्हीकल रजिस्ट्रेशन मार्क) जारी किया है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने 27 अगस्त को भारत सीरीज के वाहनों की अधिसूचना जारी की थी.

BH वाहन सीरीज: मुख्य बिंदु

  • नई BH सीरीज (BH-series) पूरे देश में मान्य होगा. इस सीरीज के वाहनों को पंजीकरण को ट्रांसफर करने की भी जरूरत नहीं होगी. यह सुविधा रक्षा कर्मियों के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक आधार पर उपलब्ध होगी. चार या अधिक राज्यों में कार्यालय रखने वाली निजी कंपनियों के कर्मचारी भी इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
  • इसका सबसे बड़ा फायदा ट्रांसफरेबल जॉब वाले लोगों को होगा, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते रहते हैं. यह लोगों को हर बार नए राज्य में जाने पर अपने वाहनों के पंजीकरण प्रमाण-पत्र को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया से बचाएगा और अपने स्थान को बदलने में काफी मददगार साबित होगा.
  • BH रजिस्ट्रेशन का फॉर्मेट ‘YY BH 4144 XX YY’ रखा गया है. जिसमें BH से पहले पंजीकरण के वर्ष को दर्शाता है, फिर भारत सीरीज कोड है.
  • BH सीरीज के तहत दो साल या 4, 6, 8 साल के लिए मोटर व्हीकल टैक्स लगेगा. यह योजना निजी वाहनों की मुफ्त आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी जब उन्हें नए राज्य में स्थानांतरित किया जाएगा.

वर्तमान नियम

मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 47 के तहत, एक वाहन मालिक को अपने वाहन को उस राज्य के अलावा जहां वाहन पंजीकृत है, किसी अन्य राज्य में एक वर्ष से ज्यादा रखने की अनुमति नहीं है. मालिक को निर्धारित समय सीमा के भीतर नए राज्य प्राधिकरण के साथ एक नया पंजीकरण लेने की आवश्यकता होती है.

कारों में चालक के साथ वाली सीट के लिए एयरबैग को अनिवार्य किया गया, एयरबैग क्या होता है?

सरकार ने अब कारों में चालक के साथ वाली सीट के लिए एयरबैग की व्‍यवस्‍था करना अनिवार्य कर दिया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 5 मार्च को इस संबंध में अधिसूचना जारी की.

जारी अधिसूचना के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से तैयार किए जाने वाले नये मॉडलों में चालक के बगल वाली सीट पर बैठे व्यक्ति के लिये भी एयर बैग की व्‍यवस्‍था करनी होगी. 31 अगस्‍त से मौजूदा मॉडलों में भी एयरबैग फिट करना अनिवार्य होगा.

चालक के साथ वाली यात्री सीट पर एयरबैग न होने से दुर्घटना की स्थिति में जोखिम बढ़ जाता है. मंत्रालय की अधिसूचना सड़क सुरक्षा पर उच्‍चतम न्‍यायालय की समिति के सुझावों पर आधारित है.

कार में एयरबैग क्या होता है?

  1. एयरबैग कार में लगा एक सुरक्षा कवच है. दुर्घटना के दौरान ये एक सुरक्षा कवर की तरह काम करते हैं. ये एयरबैग कार के स्टियरिंग व्हील, दरवाजे, डैशबोर्ड, छत ईत्यादि में लगा हो सकता है.
  2. एयरबैग कॉटन का बना होता है और इस पर सिलिकॉन की कोटिंग की जाती है. दुर्घटना के समय जब यह फूलता है तो उस वक़्त इसमें नाइट्रोजन गैस भर जाती है.
  3. किसी कार के दुर्घटना होते वक्त एयरबैग खुल जाता है. जब कोई कार किसी चीज से टकराता है तब उस कार का एक्सिलेरोमीटर सर्किट सक्रीय हो जाता है. यह सर्किट एयरबैग से लगे सेंसर को सिगनल देता है. सिगनल मिलते ही (लगभग 1/20 सेकंड) बंद एयरबैग फूल जाता है.

राष्‍ट्रीय राजमार्गों के सभी टोल प्‍लाजा पर फास्‍टैग अनिवार्य

सरकार ने 16 फरवरी से राष्‍ट्रीय राजमार्गों के सभी टोल प्‍लाजा पर फास्‍टैग (FASTag) अनिवार्य कर दिया गया है. राष्‍ट्रीय राजमार्ग शुल्‍क अधिनियम-2008 के अनुसार बिना समुचित फास्टैग के किसी टोल प्‍लाजा के फास्‍टैग लेन में प्रवेश करने पर वाहन को निर्धारित शुल्‍क की दोगुना राशि का भुगतान करना होगा.

फास्‍टैग क्या है?

फास्‍टैग एक RFID टैग है जिसे डिजि‍टल माध्‍यम से भुगतान के लिए जोड़ा गया है. इस टैग को किसी वाहन के विंडस्‍क्रीन पर आसानी से चिपकाया जा सकता है. जब कोई वाहन टोल प्‍लाजा से गुजरता है तो RFID रीडर वाहन के फास्‍टैग को पढ़ लेता है और टोल शुल्‍क फास्‍टैग से जुड़े खाते अथवा प्रीपेड वॉलेट से अपने आप ही कट जाता है.

पुराने वाहनों पर ‘ग्रीन टैक्स’ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पुराने वाहनों पर ‘ग्रीन टैक्स’ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव के औपचारिक रूप से लागू होने से पहले यह परामर्श के लिए राज्यों को भेजा जायेगा. ग्रीन टैक्स का उद्देश्य लोगों को वाहनों का उपयोग करने से रोकना है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं और लोगों को नये, कम प्रदूषण वाले वाहनों के लिए प्रेरित करते हैं.

प्रस्ताव के प्रावधानों के अनुसार आठ साल से अधिक पुराने परिवहन वाहनों पर रोड टैक्स के 10 से 25 प्रतिशत की दर से फिटनेस प्रमाण-पत्र के नवीनीकरण के समय ‘ग्रीन टैक्स’ लगाया जा सकता है. ग्रीन टैक्स से प्राप्त राजस्व को एक अलग खाते में रखा जाएगा और प्रदूषण से निपटने के लिए और राज्यों को उत्सर्जन निगरानी के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाएगा.

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु

  • निजी वाहनों के लिए, पंजीकरण प्रमाण-पत्र के अनिवार्य नवीकरण के समय 15 साल के बाद कर का भुगतान करना होगा. वर्तमान में, सभी वाणिज्यिक वाहनों को पहले दो वर्षों के बाद हर साल फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.
  • जिन शहरों में प्रदूषण काफी ज्यादा है वहां पर पंजीकृत वाहनों के लिए अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा. आपको बता दें कि ये रोड टैक्स का 50 प्रतिशत तक हो सकता है. पुराने वाहनों से नये वाहनों की तुलना में 10-25 फीसद ज्यादा प्रदूषण फैलता हैं.
  • मजबूत हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक वाहन, और वैकल्पिक ईंधन जैसे सीएनजी, इथेनॉल, एलपीजी और खेती में इस्तेमाल होने वाले वाहनों को छूट दी जाएगी.
  • सिटी बसों जैसे सार्वजनिक परिवहन वाहनों से कम शुल्क लिया जाएगा. कर राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि वाहन कौन से ईंधन से चलता है, मसलन पेट्रोल वाहनों के लिए अलग और डीजल वाहनों के लिए अलग टैक्स चुकाना पड़ेगा.
  • यह अनुमान लगाया गया है कि वाणिज्यिक वाहन, जो कुल वाहन बेड़े का लगभग 5 प्रतिशत हैं, कुल वाहन प्रदूषण में लगभग 65-70 योगदान करते हैं.

सरकार ने मोटर वाहन एग्रीगेटर के लिए दिशानिर्देश जारी किये

सरकार ने मोटर वाहन एग्रीगेटर के लिए हाल ही में दिशानिर्देश ‘मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020’ जारी किये हैं. ये इन दिशानिर्देश को सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है. ओला और उबर भारत के मुख्य वाहन एग्रीगेटर कंपनियां हैं.

इन दिशानिर्देशों के माध्यम से एग्रीगेटर के अर्थ को परिभाषित किया है. इसके मुताबिक एग्रीगेटर का अर्थ है – यात्रियों को परिवहन की मंशा के लिए ड्राइवर के साथ जुड़ने के लिए डिजिटल मध्यस्थ या मार्केटप्लेस. एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल करने के लिए ‘मोटर व्हीकल 1988’ को ‘मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है.

इनका लक्ष्य शेयर्ड मोबिलिटी को रेगुलेट करने के साथ ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करना है. एक्ट के तहत एग्रीगेटर द्वारा एकीकृत किए जाने वाले वाहनों में सभी मोटर व्हीकल्स और ई-रिक्शा शामिल होंगे.

सरकार के इन दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि एग्रीगेटर द्वारा कारोबारी संचालन की मंजूरी के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया लाइसेंस अनिवार्य है. एग्रीगेटर को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश का राज्य सरकारों को पालन करना होगा.

लंबी दूरी के लिए देश की पहली CNG बस सेवा की शुरुआत, दिल्ली और देहरादून के बीच चलेगी

केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय देश में पहली लंबी दूरी की CNG बस सेवा की शुरुआत की है. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 24 दिसम्बर को इस बस सर्विस की शुरुआत की. यह CNG बस दिल्ली और देहरादून के बीच चलेगी. उत्तराखंड ने इस बस सर्विस के लिए IGL के साथ करार किया है.

आईजीएल ने अभी देहरादून के लिये 5 बसों की सेवा शुरू की है, जो आने वाले दिनों में अन्य शहरों तक भी अपनी पहुंच बनायेगा. लंबी दूरी की बस सेवा में CNG गैस की प्रचुरता होगी, जो एक बार में 800 से 1000 किलोमीटर की यात्रा कर सकेंगे.

दिल्‍ली सरकार ने ‘इलेक्ट्रिक व्‍हीकल पॉलिसी 2019’ को मंजूरी दी

दिल्‍ली सरकार ने 23 दिसम्बर को ‘इलेक्ट्रिक व्‍हीकल नीति’ (Delhi Electric Vehicle Policy) 2019 को मंजूरी दी. राज्य में वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से इस नीति को मंजूरी दी गयी है. इस नीति को लागू करने के लिए एक इलेक्टिक वाहन बोर्ड का गठन किया जाएगा.

इस नीति के तहत सरकार ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी देगी. इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि 2024 तक पंजीकृत होने वाले 25% नए वाहन इलेक्ट्रिक वाहन हों.

ई-वाहन नीति का पहला मसौदा नवंबर 2018 में सार्वजनिक किया गया था. यह नीति संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, अंतर्राष्ट्रीय परिवहन परिषद, स्वच्छ परिवहन, निकाय जैसे कई विशेषज्ञ निकायों से प्रतिक्रिया प्राप्त करने के बाद बनाई गई है.

मुंबई सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन देश का पहला ‘ईट राइट स्‍टेशन’ बना, FSSAI ने 4 स्टार्स रेटिंग दी

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्‍टेशन को ‘ईट राइट स्‍टेशन’ प्रमाणित किया है. ‘ईट राइट स्‍टेशन’ प्रमाणित यह देश का पहला रेलवे स्‍टेशन बन गया है. इस स्टेशन को FSSAI ने 4 स्टार्स रेटिंग दी है.

यह उपलब्धि खाद्य सुरक्षा और खाने-पीने के सामान में स्वच्छता के पालन, हेल्दी फूड की उपलब्धता, रिटेल/सर्विंग प्‍वाइंट और खाद्य सुरक्षा पर जागरूकता फैलाने के लिए हासिल हुई है.

ईट राइट स्‍टेशन क्या है?
भारतीय रेलवे ने यात्रियों को स्‍वस्‍थ एवं सही आहार उपलब्ध कराने के लिए ‘ईट राइट स्‍टेशन’ अभियान शुरू किया है. यह अभियान FSSAI द्वारा वर्ष 2018 में शुरू किए गए ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान का एक हिस्‍सा है. इस अभियान का उद्देश्‍य लोगों को स्‍वस्‍थ आहार मुहैया कराना है.

ईट राइट इंडिया अभियान क्या है?

  • ‘ईट राइट इंडिया’ अभियान का खाका FSSAI ने तैयार किया है. इसके तहत स्वस्थ रहने के लिए किसको क्या खाना चाहिए, इस बारे में जानकारी दी जाती है.
  • ईट राइट अभियान के तहत अब रेस्तरां और होटल्स को मिली हाइजीन रेटिंग्स को अपने रेस्तरां के दरवाजे पर डिस्प्ले करना होगा.
  • रेस्तरां में जो खाना लोगों को सर्व किया जा रहा है उसकी सेफ्टी की जांच करने के लिए एक फूड सुपरवाइजर की भी नियुक्ति करनी होगी.