तुर्किये की संसद ने स्वीडन के नाटो की सदस्यता से संबंधित प्रस्ताव की पुष्टि 23 जनवरी को कर दी. तुर्किये के राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन के सत्तारूढ गठबंधन के बहुमत वाली आम सभा ने 55 के मुकाबले 287 मतों से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. स्वीडन ने नाटो में शामिल होने के लिए 2022 में प्रस्ताव रखा था.
मुख्य बिन्दु
नाटो के महासचिव जेन्स स्टॉलटेनबर्ग ने भी तुर्किये के इस कदम का स्वागत करते हुए हंगरी से भी स्वीडन के प्रस्ताव को मंजूरी देने का अनुरोध किया है.
अमेरिका ने स्वीडन और फिनलैंड को उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (NATO) मे शामिल करने के लिए 9 अगस्त 2022 को अनुमोदन किया था.
यूक्रेन में रूस की सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में स्वीडन और फिनलैंड ने नैटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया था. जबकि, रूस इसके खिलाफ दोनों देशों को लगातार चेतावनी देता आ रहा है.
तुर्की ने शुरू में नैटो संगठन में इन नॉर्डिक देशों के प्रवेश का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि दोनों देश कुर्द अलगाववादियों को आश्रय दे रहे हैं.
उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?
नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.
नाटो के सदस्य देश
मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं.
नाटो के अन्य सदस्य देश: ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया, स्लोवेनिया, अल्बानिया, क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो, उत्तर मैसेडोनिया (2020 मे शामिल), स्वीडन (2022 प्रस्तावित) और फिनलैंड (2022 प्रस्तावित).
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2024-01-24 23:54:252024-02-09 07:39:30तुर्किये ने स्वीडन के नाटो की सदस्यता से संबंधित प्रस्ताव की पुष्टि की
तुर्किए में, रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत लिया है. दो दशक से सत्ता पर काबिज़ राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू को हराया.
मुख्य बिन्दु
तुर्किए की शीर्ष चुनाव परिषद द्वारा घोषित आधिकारिक परिणामों के अनुसार जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी के एर्दोगन ने कुल 97 प्रतिशत वोट में से 52.14 प्रतिशत और विपक्षी नेता कमाल कलचदारलू ने 47.86 प्रतिशत मत हासिल किए.
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 14 मई को हुआ था. इस राउंड में एर्दोगन को 49.4 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी कलचदारलू को 45 प्रतिशत वोट मिले थे. दोनों ही नेताओं को बहुमत नहीं मिल सका था, जिसके चलते रविवार को दूसरे राउंड का चुनाव कराया गया.
एर्दोगन साल 2003 से ही देश का नेतृत्व कर रहे हैं और अपने नेतृत्व में उन्होंने तुर्की को एक रुढ़िवादी देश बनाने की कोशिश की है जो इस्लाम की नीतियों पर चलता है.
कलचदारलू तुर्की के छह विपक्षी पार्टियों से मिलकर बने रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी नेशन अलायंस के उम्मीदवार हैं. गांधीवादी कलचदारलू जिन्हें तुर्की में ‘कमाल गांधी’ भी कहा जाता है, ने लोगों से वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आते तो तुर्की एर्दोगन की तरह रुढ़िवादी नहीं बल्कि उदारवादी नीति अपनाएगा.
एर्दोगन के पिछले राष्ट्रपति चुनाव जीतने के एक महीने बाद जुलाई 2018 में तुर्की में संसदीय व्यवस्था के बजाय राष्ट्रपति शासन प्रणाली लागू कर दी गई. 2017 में जनमत संग्रह के जरिए राष्ट्रपति की शक्तियों में भारी इजाफा कर दिया गया था. इसके जरिए एर्दोगन ने प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया और प्रधानमंत्री की कार्यकारी शक्तियां अपने हाथ में ले ली थी. तुर्की में राष्ट्रपति ही सरकार का मुखिया बन गया.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2023-05-31 10:10:252023-05-31 10:10:25रेचेप तैय्यप एर्दोगन लगातार 11वीं बार तुर्किए के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए
तुर्की ने अपना आधिकारिक नाम बदलने का निर्णय लिया है. इस देश का नया परिवर्तित नाम ‘तुर्किये’ (Turkiye) होगा. संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की के नाम को तुर्किये में बदलने के अनुरोध को 3 जून को मंजूरी दे दी.
मुख्य बिंदु
तुर्की का कहना है कि टर्की (इंग्लिश में) का मतलब पक्षी या मूर्ख व्यक्ति से होता है, जिस कारण नाम में परिवर्तन किया गया है.
राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन (Recep Tayyip Erdogan) ने तुर्किये शब्द तुर्की लोगों की संस्कृति, सभ्यता और मूल्यों का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व और अभिव्यक्ति वाला कहा था.
अधिकांश तुर्की लोग पहले से ही अपने देश को तुर्किये के नाम से जानते हैं, लेकिन अंग्रेजी तुर्की का व्यापक रूप से देश के भीतर भी उपयोग किया जाता है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2022-06-05 19:43:192022-06-05 19:43:19तुर्की ने अपना आधिकारिक नाम परिवर्तित कर ‘तुर्किये’ किया
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तय्यप अर्दोआन ने सामाजिक कार्यकर्ता उस्मान कवला की रिहाई की अपील करने वाले अमेरिका समेत 10 देशों के राजदूतों को अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया है. किसी भी व्यक्ति को अवांछित घोषित करने से राजदूत के तौर पर उसकी मान्यता समाप्त हो जाती है.
मुख्य बिंदु
तुर्की ने कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और अमेरिका के राजदूतों को देश से निष्कासित करने के लिए कहा है. तुर्की की तरफ से कहा गया है कि, इन सभी देशों के दूतावासों की तरफ से मानवाधिकार कार्यक्रता उस्मान कवाला की रिहाई की संयुक्त अपील की गई थी.
तुर्की के विदेश मंत्रालय ने सभी 10 देशों के राजदूतों को समन किया और विदेश मंत्रालय में बुलाया था और फिर उनके उपर विएना कन्वेंशन के उल्लंघन का आरोप लगाकर देश से निष्कासित करने की धमकी दी.
विएन कन्वेंशन के तहत देश के आंतरिक मामलों में विदेशी राजदूत हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं और तुर्की का कहना है कि, इन राजदूतों ने तुर्की के आंतरिक मामलों में दखल दिया है.
कौन है उस्मान कवला और क्या है मामला?
उस्मान कवला तुर्की के एक प्रसिद्ध कारोबारी और मानवाधिकार कार्यक्रता हैं. उन्होंने अनादोलु कल्टूर फाउंडेशन की स्थापना की थी और ये संगठन जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए काम करता है. ये संगठन खास तौर पर तुर्की और अर्मेनियाई आबाजी के बीच सुलह और कुर्द मुद्दे पर शांतिपूर्वक समाधान चाहता है.
फरवरी 2020 में तुर्की की एक अदालत ने उस्मान कवला को 2013 में सरकार विरोधी गीजी पार्क विरोध प्रदर्शनों के आरोपों से बरी कर जेल से बाहर करने का आदेश दिया था. लेकिन, तुर्की की सरकार ने एक नया वारंट जारी करते हुए कवला को 2016 में सरकार का तख्तापलट करने के आरोप में फिर गिरफ्तार कर लिया और तब से वो तुर्की की जेल में ही बंद हैं. जिनकी रिहाई की अपील इन 10 देशों के राजदूतों की तरफ से की गई थी.
माना जा रहा है कि, तुर्की कई मुद्दों को लेकर पश्चिमी देशों से भड़का हुआ है. हाल ही में FATF ने तुर्की को ग्रे लिस्ट में डाल दिया है, जो तुर्की के लिए बहुत बड़ा झटका है. इसके पीछे तुर्की का कहना है कि, चुंकी वो रूस से एस-400 मिसाइस डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है, इसीलिए अमेरिका उससे बदला ले रहा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-10-24 18:52:262021-10-24 18:52:26तुर्की ने अमेरिका सहित दस पश्चिमी देशों के राजदूतों को निष्कासित किया
अमेरिका ने तुर्की पर हाल ही में कई तरह के प्रतिबंध लगाये जाने की घोषणा की है. तुर्की द्वारा रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह ये प्रतिबन्ध लगाये गये हैं. S-400 सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम (एयर डिफेंस सिस्टम) है.
ये प्रतिबन्ध CAATSA की धारा 231 के तहत लगाये गये हैं. इन प्रतिबंधों में मुख्य रूप से तुर्की की रक्षा खरीद एजेंसी ‘प्रेजिडेंसी ऑफ डिफेंस’ को निशाना बनाया है. इस संस्था के कई अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं.
अमेरिका का कहना है कि तुर्की ने एस-400 खरीदकर नियम तोड़े हैं. गौरतलब है कि तुर्की ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद 2019 में की थी. इससे पहले अमेरिका ने अपने F-35 एयरक्राफ्ट कार्यक्रम से तुर्की को बाहर कर दिया था और इस विमान को खरीदने से रोक दिया था.
CAATSA क्या है?
CAATSA, अमेरिकी सरकार का एक क़ानून हैं जिसका पूरा नाम Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act है. CAATSA के तहत ईरान, सीरिया, उत्तर कोरिया को सहयोग करने वाले देशों पर व्यापार प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
इस क़ानून की धारा 231 के अनुसार, रूसी सरकार के खुफिया या रक्षा क्षेत्रों के साथ लेनदेन करने वाले देशों पर प्रतिवंध लगाये जाने का प्रावधान है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2020-12-19 23:28:222020-12-22 16:29:05अमेरिका ने CAATSA के तहत तुर्की पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये
सीरिया और तुर्की की सीमा को कुर्द लड़ाकों से खाली कराने के लिए रूस और तुर्की ने 22 अक्टूबर को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये. इसका उद्देश्य सीरिया के उत्तर-पूर्वी इलाके पर साझा नियंत्रण स्थापित करना है.
समझौते के तहत तुर्की को उन इलाकों का नियंत्रण मिलेगा, जिनमें उसने इस महीने के शुरू में कार्रवाई की थी. सीमा के बाकी हिस्सों पर रूस और सीरिया- दोनों की सेनाएं तैनात रहेगी. दोनों देशों के बीच हुए समझौते के अंतर्गत कुर्दिश लड़ाकों को तुर्की और सीरिया की (440 किलोमीटर लंबी) सीमा से 30 किलोमीटर दूर हटने के लिए और 150 घंटों का समय दिया गया है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और तुर्की के राष्ट्रपति रज़प तैय्यप एर्दोआन ने सीमावर्ती इलाकों की साझा गश्ती पर भी सहमति व्यक्त की.
उल्लेखनीय है कि तुर्की, कुर्द बलों को आतंकी मानता है और सीरिया की सीमा के अंदर तक वह एक ‘सेफ़ ज़ोन’ बनाना चाहता है. यह समझौता अमरीका समर्थित सीरियाई कुर्द लड़ाकों के नेतृत्व वाली सेना के उत्तरी सीरिया से हटने के बाद हुआ है, जिसकी मांग तुर्की करता रहा है.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-10-23 23:02:472019-10-26 17:41:28तुर्की की सीमा को कुर्द लड़ाकों से खाली कराने के लिए रूस और तुर्की ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये
तुर्की ने उत्तरी सीरिया में ‘पीस स्प्रिंग’ नाम से अपना सैन्य अभियान शुरू किया है. इसकी वजह से अमरीका समर्थित कुर्द विद्रोहियों से उसके सीधे मुकाबले की आशंका बढ़ गई है. तुर्की का दावा है कि वह कुर्द बलों और इस्लामिक स्टेट के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है.
क्या है मामला? तुर्की सीरिया के कुर्द लड़ाकों को आतंकी मानता है. उसने अपनी सीमा से लगी उत्तरी सीरिया में यह सैन्य अभियान अमेरिका द्वारा उत्तरी सीरिया से अपनी सेना हटा लेने के बाद की है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा है कि सीरिया के कुर्दों ने ISIS के खिलाफ जंग में अमेरिका की कोई मदद नहीं की. इस बयान के जरिए उन्होंने अमेरिकी बलों को वापस बुलाने के अपने फैसले का बचाव किया है जिससे तुर्की को पूर्वोत्तर सीरिया पर हमला करने के लिए सैन्य अभियान शुरू करने का रास्ता मिल गया.
जब तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने सीरिया पर हवाई हमले की घोषणा की तो अमेरिका ने इस कदम पर चेताते हुए कहा था कि अगर वह अपनी हद पार करेगा तो वह उसकी अर्थव्यवस्था को तबाह कर देगा.
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का आपातकालीन बैठक उत्तरी सीरिया में कुर्द सेनाओं के खिलाफ तुर्की के सैन्य आक्रमण पर विचार-विमर्श करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आज आपातकालीन बैठक करेगा. बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और पोलैंड के अनुरोध के पर परिषद की यह बैठक होनी है.
तुर्की सेना के हमले की कड़ी निंदा भारत सहित कई देशों ने तुर्की के सीरिया में सैन्य अभियान की निंदा की है. भारत ने तुर्की से अपील की कि वह सीरिया की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करे.
अरब लीग ने तुर्की आक्रमण को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया है.बैठक में भाग लेने वालें विदेश मंत्रियो ने चेतावनी दी कि इस हमले ने क्षेत्रिय सुरक्षा और शांति के लिए सीधा खतरा पैदा कर दिया है. सऊदी अरब और यूएई ने इस समस्या के राजनैतिक समाधान खोजने पर बल दिया.
फ्रांस और जर्मनी ने सीरिया में कुर्दों के खिलाफ तुर्की की सैन्य कार्रवाई के लिए उसे हथियारों का निर्यात रोक दिया है क्योंकि इसका इस्तेमाल सीरिया में हमले के लिए किया जा सकता है. कई यूरोपीय शहरों में तुर्की के खिलाफ रैलियां निकाली गई हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2019-10-10 23:05:032019-10-14 13:41:59तुर्की ने उत्तरी सीरिया में ‘पीस स्प्रिंग’ नाम से अपना सैन्य अभियान शुरू किया