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संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट: आबादी में भारत पूरी दुनिया में सबसे आगे

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने 16 अप्रैल 2024 को विश्व जनसंख्या स्थिति रिपोर्ट (State of the World’s Population report) 2024 जारी की थी.

यूएनएफपीए विश्व जनसंख्या स्थिति-2024 रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • यूएनएफपीए रिपोर्ट में भारत की आबादी के 144 करोड़ पहुंच जाने का अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट से पता चला कि भारत की जनसंख्या 77 वर्षों में दोगुनी होने का अनुमान है.
  • आबादी के मामले में भारत पूरी दुनिया में सबसे आगे है. इसके बाद चीन 142.5 करोड़ के साथ दूसरे स्थान पर है.
  • 2011 में हुई पिछली जनगणना के दौरान भारत की जनसंख्या 121 करोड़ दर्ज की गई थी.
  • भारत की अनुमानित 24 प्रतिशत आबादी 0-14 वर्ष की है, जबकि 17 प्रतिशत आबादी 10-19 आयु सीमा के भीतर है. 10-24 आयु वर्ग 26 प्रतिशत है, जबकि 15-64 आयु वर्ग 68 प्रतिशत है.
  • भारत की 7 प्रतिशत आबादी 65 वर्ष और उससे अधिक आयु की है, जिसमें पुरुषों की जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) 71 वर्ष और महिलाओं की 74 वर्ष है.

डिजिटल सर्विस सेक्टर में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश बना

विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने 10 अप्रैल को नवीनतम वैश्विक व्यापार आउटलुक और सांख्यिकी (Global Trade Outlook and Statistics) रिपोर्ट पेश की थी.

WTO रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • इस रिपोर्ट के अनुसार भारत के डिजिटल सेवाओं (डिजिटल सर्विस) के निर्यात में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह अब 257 बिलियन डॉलर हो गया है. भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया है.
  • इस वृद्धि ने भारत को रैंकिंग में जर्मनी से आगे निकलने में मदद की है, लेकिन यह अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और आयरलैंड से पीछे है.
  • डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं, जिसमें शिक्षा, गेमिंग और स्ट्रीमिंग संगीत और वीडियो में पेशेवर सेवाएँ शामिल हैं, में पिछले दो दशकों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.
  • 2023 में डिजिटल सेवाओं का वैश्विक निर्यात बढ़कर 4.25 ट्रिलियन डॉलर हो गया. यह साल-दर-साल 9 फीसदी अधिक है.
  • 2023 में वैश्विक स्तर पर वस्तुओं के व्यापार के सभी सेक्टर में गिरावट आई, वहीं, डिजिटल सर्विस का निर्यात बढ़ता रहा.
  • रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और एशिया में (जो क्रमशः 52.4 प्रतिशत और 23.8 प्रतिशत की वैश्विक हिस्सेदारी रखते हैं) निर्यात में क्रमशः 11 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

विश्व व्यापार संगठन (WTO)

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है. यह राष्ट्रों के बीच वैश्विक व्यापार को नियंत्रित और सुगम बनाता है. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है.
  • इसकी स्थापना 1995 में हुई थी. यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित टैरिफ़ और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) का स्थान लिया था.
  • WTO में यूरोपीय संघ सहित 164 सदस्य देश शामिल हैं. ईरान, इराक, भूटान, लीबिया जैसे 23 देशों को पर्यवेक्षक का दर्जा मिला हुआ है. भारत इसका संस्थापक सदस्य है.
  • WTO का उद्देश्य मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना, बाधाओं को कम करना और आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना है.

खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट: 1 बिलियन टन भोजन हर दिन नष्ट

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट (Food Waste Index Report) 2024, 27 मार्च को जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में लगभग 1 अरब (1 बिलियन) टन भोजन हर दिन नष्ट हो जाता है. भारत में हर वर्ष 8 करोड टन भोजन बर्बाद हो रहा है.

खाद्य अपशिष्ट सूचकांक रिपोर्ट 2024: मुख्य बिन्दु

  • रिपोर्ट के अनुसार 2022 में दुनियाभर के सभी परिवारों ने प्रतिदिन 1.05 अरब टन भोजन की बर्बादी की, जो प्रति व्यक्ति 132 किलोग्राम और उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध कुल भोजन का लगभग पांचवां हिस्सा था.
  • भोजन की यह बर्बादी तब हुई जबकि 78.3 करोड़ लोग दुनियाभर में भूख से जूझ रहे थे और एक तिहाई मनुष्य खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे.
  • वर्ष 2022 में खाने की हुई कुल बर्बादी में से 60 प्रतिशत घरेलू स्तर पर हुआ, जबकि 28 प्रतिशत के लिए फूड सर्विसेज और 12 प्रतिशत के लिए रिटेल जिम्मेदार था.
  • खाने की बर्बादी केवल धनी देशों की समस्या नहीं है. उच्च, उच्च मध्यम और निम्न मध्यम आय वाले देशों के बीच घरेलू स्तर पर खाने की बर्बादी के औसत स्तर में प्रति व्यक्ति केवल सात किलोग्राम का अंतर है.
  • शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में भोजन की बर्बादी कम होती है. इसका कारण यह हो सकता है कि गांवों में बचा हुआ भोजन मवेशियों को खिला दिया जाता है और उर्वरक के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है.
  • हालिया आंकड़ों के अनुसार, भोजन का कचरा वार्षिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में आठ से दस प्रतिशत का योगदान देता है- जो विमानन क्षेत्र का लगभग पांच गुना है.
  • इतना ही नहीं, दुनिया की लगभग एक तिहाई कृषि भूमि के बराबर की भूमि खाद्य अपशिष्ट से पट गयी है, जिस कारण महत्वपूर्ण जैव विविधता का नुकसान हुआ है.
  • 2022 में भोजन की बर्बादी और उसके अपशिष्ट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगभग एक ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है.

बच्चों और सशस्त्र संघर्ष मामले में संयुक्‍त राष्‍ट्र की सूची से भारत का नाम हटा

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने इसकी घोषणा की. इस रिपोर्ट में विभिन्न देशों में सशस्त्र संघर्षों के बच्चों पर असर और उनके अधिकारों के उल्लंघन की तस्वीर पेश की जाती है.

मुख्य बिन्दु

  • UN ने माना कि सरकार ने ‘बच्‍चों की बेहतर सुरक्षा’ के लिए प्रभावकारी कदम उठाए हैं, खासतौर से जम्‍मू और कश्‍मीर में.
  • साल 2010 के बाद से पहली बार संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत का नाम शामिल नहीं किया गया है. इस रिपोर्ट में पहले जम्‍मू और कश्‍मीर को ‘संघर्ष क्षेत्र’ के रूप में बताया जाता था.
  • इस रिपोर्ट में 2010 से लगातार भारत की गिनती बुर्किना फासो, कैमरून, चाड , नाइजीरिया, पाकिस्‍तान और फिलीपींस जैसे देशों के साथ होती थी.

वैश्विक गरीबी सूचकांक: भारत में लगभग 415 मिलियन लोग गरीबी रेखा के बाहर

संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index – MPI) 2022 के अनुसार भारत में 15 वर्षों के दौरान लगभग 415 मिलियन लोग गरीबी रेखा के बाहर निकल गए हैं. ये आंकड़ा साल 2005-2006 और साल 2019-2020 के बीच का है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक ऐतिहासिक परिवर्तन करार दिया है.

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (OPHI) की तरफ से 17 अक्तूबर को यह बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) जारी किया था.

MPI 2022 रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु

  • 111 देशों में 1.2 अरब लोग (19.1%) तीव्र बहुआयामी गरीबी में रहते हैं. बहुआयामी गरीबी के उच्चतम प्रसार वाला विकासशील क्षेत्र उप-सहारा अफ्रीका (लगभग 579 मिलियन) है, इसके बाद दक्षिण एशिया (385 मिलियन) है.
  • साल 2005-06 से लेकर 2019-21 के बीच भारत में करीब 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं जो एक “ऐतिहासिक परिवर्तन” है. इस कामयाबी को से साल 2030 तक गरीबों की संख्या को आधा करने के सतत विकास लक्ष्यों को बड़े पैमाने पर हासिल कर पाना संभव है.
  • रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में भारत की जनसंख्या के आंकड़ों के हिसाब से 22.89 करोड़ गरीबों की संख्या दुनिया भर में सर्वाधिक है.
  • MPI को स्वास्थ्य, जीवन स्तर, शिक्षा सहित 10 संकेतकों के आधार पर जारी किया जाता है.

UNCTAD वार्षिक व्यापार और विकास रिपोर्ट: 2022 में भारत की जीडीपी 5.7 रहने का अनुमान

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी UNCTAD ने हाल ही में अपनी वार्षिक व्यापार और विकास रिपोर्ट 2022 (Trade and Development Report 2022) जारी की थी.

UNCTAD रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • रिपोर्ट में 2021 में 8.2 प्रतिशत से इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि 5.7 प्रतिशत तक गिरने का अनुमान लगाया है.
  • भारत की जीडीपी वृद्धि 2023 में 4.7 प्रतिशत तक रहेगी. 2021 में भारत की जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत थी, जो जी20 देश में सबसे अधिक था.
  • 2022 में दक्षिण एशिया क्षेत्र में 4.9 प्रतिशत की गति से विस्तार होगा, क्योंकि उच्च ऊर्जा की कीमतों के कारण मुद्रास्फीति बढ़ी है, भुगतान की बाधाओं का संतुलन बढ़ा है और कई सरकारों (बांग्लादेश, श्रीलंका) को ऊर्जा उपभोग प्रतिबंधित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
  • इस बीच चीन की आर्थिक वृद्धि 2022 में 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो 2021 में 8.1 प्रतिशत थी और 2023 में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है.
  • 2022 में विश्व अर्थव्यवस्था के 2.6% बढ़ने की उम्मीद है. यह पिछले साल की अनुमानित दर से 0.9 प्रतिशत अंक कम है. 2023 में वैश्विक विकास दर 2.2% तक रहने की उम्मीद है.

2021 में वैश्विक सैन्य व्यय पर SIPRI की रिपोर्ट, भारत विश्व में तीसरे स्थान पर

स्वीडन स्थित रक्षा ‘थिंक-टैंक’ सिपरी (Stockholm International Peace Research Institute- SIPRI) ने 2021 में हुए वैश्विक सैन्य व्यय (Global Military Expenditure) पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार पहली बार वैश्विक सैन्य व्यय (Global Military Expenditure) 2000 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है.

मुख्य बिंदु

  • 2021 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च वास्तविक रूप से 0.7 फीसद बढ़कर 2,113 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया. सबसे ज्यादा रक्षा व्यय करने वाले शीर्ष पांच देशों में क्रमशः अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे, जिन्होंने कुल मिलाकर 62 फीसद खर्च किए.
  • यह लगातार सातवां साल था, जब रक्षा खर्च बढ़ा है. साल 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च 801 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 की तुलना में 1.4 फीसद कम है. अमेरिकी सैन्य खर्च साल 2020 में जीडीपी का 3.7 फीसद था, जो 2021 में थोड़ा कम होकर 3.5 फीसद हो गया.
  • चीन सैन्य खर्च के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है और उसने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब अमेरिकी डालर आवंटित किए, जो साल 2020 से 4.7 फीसद अधिक है. रूस का सैन्य खर्च 2021 में 2.9 फीसद बढ़कर 65.9 अरब डॉलर हो गया.

सैन्य खर्च के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर भारत

भारत का सैन्य व्यय दुनिया में तीसरे नंबर पर था. साल 2021 में भारत का सैन्य खर्च बढ़कर 76.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2020 के आंकड़ों से 0.9 फीसद अधिक है. भारत का सैन्य खर्च 2020 से 0.9 फीसद और 2012 से 33 फीसद अधिक रहा.

ग्लोबल विंड रिपोर्ट 2022: 2021 में लगभग 94 GW विंड एनर्जी क्षमता में वृद्धि

वैश्विक संस्था ग्लोबल विंड एनर्जी कौंसिल (GWEC) ने हाल ही में वर्ष 2022 का वैश्विक पवन रिपोर्ट (Global Wind Report 2022) जारी किया था. रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक पवन उद्योग के मामले में वर्ष 2021 दूसरा सबसे अच्छा वर्ष था. इस दौरान वैश्विक स्तर पर लगभग 94 GW (गीगावाट) विंड एनर्जी का उत्पादन हुआ, जो 2020 के कुल उत्पादन 93.6 GW से केवल 1.8% कम था.

मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नेट-जीरो लक्ष्यों (net-zero goals) को प्राप्त करने के लिए पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों को तेज़ी से बढ़ाने की आवश्यकता है.
  • मौजूदा पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता के आधार पर 2030 तक नेट-जीरो और ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो पाएगी. 2050 तक नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करने के लिए, वैश्विक पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों को चौगुना करना होगा.

संयुक्‍त राष्‍ट्र मौसम एजेंसी की ‘एशिया में जलवायु की स्थिति 2020’ रिपोर्ट जारी

संयुक्‍त राष्‍ट्र मौसम एजेंसी की विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने हाल ही में ‘एशिया में जलवायु की स्थिति ‘ रिपोर्ट (State of the Climate in Asia) 2020 जारी की थी. इस रिपोर्ट में वर्ष 2020 में हुए मौसमी घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण हुए नुकसान पर प्रकाश डाला गया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • 2020 में हुए मौसमी घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में प्रभाव डाला, जिससे हजारों लोगों की मौत हुई, लाखों अन्य विस्थापित हो गए और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ.
  • खाद्य एवं जल असुरक्षा, स्वास्थ्य को जोखिम और पर्यावरणीय क्षरण बढ़ने से सतत विकास को खतरा पैदा हुआ. इसने कहा है कि चक्रवाती तूफान, बाढ़ और सूखे से अरबों डॉलर का नुकसान होने का खतरा है.
  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से पूरे एशिया में हजारों लोगों की मौत हुई, लाखों विस्‍थापित हुए और अरबों डॉलर का नुकसान हुआ.
  • भारत को चक्रवाती तूफान, बाढ़ और सूखे जैसी मौसमी घटनाओं से औसतन करीब 87 अरब डॉलर का सालाना नुकसान होने का अनुमान है.
  • चीन, भारत और जापान ने इसमें से ज्यादातर नुकसान झेला है. इसके मुताबिक चीन में करीब 238 अरब डॉलर, भारत में 87 अरब डॉलर और जापान में 83 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.
  • 2020 में बाढ़ और तूफान ने करीब पांच करोड़ लोगों को प्रभावित किया, जिनमें 5000 से अधिक लोगों की जान भी गई. चक्रवात अम्फान से मई 2020 में बांग्लादेश और भारत में घनी आबादी वाले तटीय इलाके प्रभावित हुए. भारत में, चक्रवात से पश्चिम बंगाल में 1.36 करोड़ लोग प्रभावित हुए और करीब 14 अरब डॉलर का नुकसान हुआ.

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने भारत में चलाये जा रहे महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) पर हाल ही में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है. यह रिपोर्ट भारत में UNDP के स्‍थानीय प्रतिनिधि शोको नोडा ने 11 जून को नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत को सौंपी. रिपोर्ट के अनुसार महत्वाकांक्षी (ADP) जिलों में स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और कृषि और जल संसाधनों में बड़े पैमाने पर सुधार दर्ज किया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • इस रिपोर्ट में ADP को स्थानीय क्षेत्र के विकास का एक सफल मॉडल’ बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, ADP के ठोस प्रयास के कारण देश के उपेक्षित और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिले ने पिछले तीन वर्षों में अधिक वृद्धि के है और विकास के साथ विकास के सकारात्मक मार्ग पर अग्रसर हैं.
  • इसमें महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम की प्रगति दर्शाई गई है और अधिक सुधार के बारे में सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जिलों में विकास में तेजी लाने के लिए यह कार्यक्रम प्रेरक सिद्ध हुआ है.
  • महत्वाकांक्षी जिलों और सामान्य जिलों के बीच तुलना करते हुए रिपोर्ट में इन जिलों की प्रगति को बेहतर बताया गया है. रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता की सराहना की गई है.

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (ADP) क्या है?

महत्वाकांक्षी जिला कार्यक्रम (Aspirational Districts Programme) 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था. इसका लक्ष्य समावेशी विकास के लिए नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है.

विश्व बैंक माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ रिपोर्ट: भारत प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता

विश्व बैंक ने हाल ही में माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट ब्रीफ (Migration and Development Brief) रिपोर्ट का नवीनतम संस्करण जारी किया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा हैं. विदेशों में रहा रहे लोगों द्वारा अपने देश भेजे गये धन को प्रेषण (रेमिटेंस) कहते हैं. भारत 2008 के बाद से प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार 2020 में वैश्विक स्तर पर प्रेषण प्रवाह 540 बिलियन अमरीकी डालर (USD) था, जो 2019 की तुलना में 1.9% कम है.
  • 2020 में भारत द्वारा प्राप्त प्रेषण 83 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक था, जो 2019 (83.3 बिलियन अमरीकी डालर) से 0.2 प्रतिशत की तुलना में कम है.
  • 2020 के शीर्ष पाँच प्रेषण प्राप्तकर्ता देश, भारत, चीन, मैक्सिको, फिलीपींस और मिस्र थे.
  • 2020 में सबसे अधिक पैसे भेजने वाला देश संयुक्त राज्य अमेरिका (USD 68 बिलियन) था. इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात (USD 43 बिलियन), सऊदी अरब (USD 34.5 बिलियन), स्विट्जरलैंड (USD 27.9 बिलियन) और जर्मनी (USD 22 बिलियन) का स्थान है.
  • 2020 में भारत से USD 7 बिलियन धन विदेश भेजे गये थे, जो 2019 में USD 7.5 बिलियन था.

IEA ने ग्लोबल एनर्जी रिव्यू 2021 रिपोर्ट जारी की

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने हाल ही में ग्लोबल एनर्जी रिव्यू (Global Energy Review) 2021 रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में वैश्विक ऊर्जा मांग और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन (CO2) उत्सर्जन की समीक्षा की गयी है.

ग्लोबल एनर्जी रिव्यू 2021 रिपोर्ट के मुख्य विन्दु

भारत के सन्दर्भ में

  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पेरिस समझौते के तहत उत्सर्जन तीव्रता को 33% से 35% घटाने के लिए प्रतिबद्धता ज़ाहिर की है.
  • वर्ष 2020 में भारत में CO2 उत्सर्जन 2019 में दर्ज किए गए उत्सर्जन की तुलना में 1.4% अधिक है.
  • वर्तमान में, भारत का CO2 उत्सर्जन 35 गीगाटन है. यह वैश्विक औसत से 60% कम है और यूरोपीय संघ में उत्सर्जन के बराबर है.

विश्व के सन्दर्भ में

  • 2021 में विशे में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 5 बिलियन टन बढ़ेगा.
  • 2021 में 80% से अधिक कोयले की मांग चीन में होगी. चीन में नवीकरण से बिजली उत्पादन भी अधिक होगा.
  • अमेरिका और यूरोपीय देशों में कोयले की मांग भी बढ़ेगी. हालांकि, यह पूर्व-संकट के स्तर से नीचे रहेगा.
  • कोयला और गैस की मांग 2019 के स्तर से ऊपर जाने का अनुमान है. हालांकि, तेल की मांग अपने 2019 के उच्चतम स्तर से नीचे रहेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि COVID-19 संकट के कारण विमानन क्षेत्र काफी अधिक दबाव में है.
  • लगभग 30% बिजली नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त होगी. वायु से विद्युत उत्पादन में 17% की वृद्धि होगी और यह 275 टेट्रा वाट होगा. सौर उर्जा में 145 टेट्रा वाट की वृद्धि होगी जो कि 2020 की तुलना में 18% अधिक है.

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA): एक दृष्टि

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) एक स्वायत्त संगठन है. यह विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए काम करता है.

IEA की स्थापना 1974 में हुई थी. इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है. भारत सहित 30 देश इसके सदस्य हैं. भारत 2017 में IEA का एक सहयोगी सदस्य बना था. फरवरी 2018 में मेक्सिको IEA का 30वां सदस्य बना था.