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भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विशेष मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम

भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दो विशेष मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम 14-15 दिसम्बर को न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया था. इन कार्यक्रमों की अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रह्मण्‍यम जयशंकर ने की थी.

दिसंबर 2022 के लिए भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता कर रहा है. नियमों के मुताबिक़, परिषद की अध्यक्षता इसके 15 सदस्यों के बीच उनके नाम के पहले अक्षर के हिसाब से हर महीने बदलती रहती है. अस्थाई सदस्य के रूप में भारत का 2 साल का कार्यकाल 31 दिसंबर 2022 को समाप्त हो रहा है.

मुख्य बिन्दु

  • विदेश मंत्री डॉक्टर जयशंकर ने दो खुली वार्ता की अध्यक्षता की. 14 दिसम्बर को होने वाली वार्ता का विषय ‘परिष्‍कृत बहुपक्षवाद के लिए नए दिशा-निर्देश’ था. 15 दिसम्बर की चर्चा का विषय था ‘आतंकवाद से निपटने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण-चुनौतियां और समाधान’. ये दोनों विषय सुरक्षा परिषद में भारत के लिए प्रमुख प्राथमिकताएं थीं.
  • डॉ. जयशंकर ने बहुपक्षवाद वार्ता में, आतंकवादियों के बचाव के लिए बहुपक्षीय मंचों के दुरुपयोग की बात कही. डॉक्‍टर जयशंकर का ईशारा चीन की ओर था, जिसने जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर जैसे पाकिस्तानी आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट करने के लिए कई अवसरों पर भारत और अमेरिका के आह्वान का विरोध किया.
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अंतरराष्‍ट्रीय शांति और सुरक्षा को आतंकवाद से खतरा विषय पर उन्होंने कहा कि विश्व को राजनीतिक मतभेदों से उबरकर आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की प्रतिबद्धता दर्शानी होगी. श्री जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद की रोकथाम के लिये जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना जरूरी है.
  • ब्रिटेन, फ्रांस और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन व्यक्त किया है.

अब्दुल मक्की को UNSC की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर वीटो

पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को सुरक्षा परिषद (UNSC) की वैश्विक आतंकवादी सूची में शामिल करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो किया है. यह प्रस्ताव भारत और अमेरिका द्वारा लाया गया था.

मुख्य बिंदु

  • भारत और अमेरिका ने जून में पाकिस्तान के आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को अल-कायदा और ISIL प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि भारत और अमेरिका पहले ही मक्की को आतंकवादी घोषित कर चुके हैं.
  • यह प्रस्ताव UN सुरक्षा परिषद की 1267 समिति के सभी सदस्यों को प्रक्रिया के तहत 16 जून को भेजा गया था.
  • मक्की भारत में आतंकी हमले, आतंकियों की भर्ती, फंड रेजिंग सहित विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर की आतंकी गतिविधियों से जुड़ा रहा है.
  • इसके पहले भी चीन ने पाकिस्तान और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधित आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अजहर को नामित करने के प्रस्तावों पर भी रोक लगा दी थी.

UNSC 1267 प्रतिबंध समिति क्या है?

संयुक्त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की 1267 प्रतिबंध समिति में किसी आतंकी संगठन या आतंकी के सूचीबद्ध किए जाने के लिए नियम तय किये गये हैं. इसी समिति द्वारा अल-कायदा और ISIS जैसे आतंकी संगठनों को भी प्रतिबंधित किया गया है.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोज़ाम्बिक और स्विटज़रलैंड को UNSC का अस्थायी सदस्य चुना गया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अस्थायी सदस्य के रूप में इक्वाडोर, जापान, माल्टा, मोजंबिक और स्विटजरलैंड चुने गए हैं. ये देश 2023-24 के कार्यकाल के लिए चुने गये हैं जो 1 जनवरी 2023 से भारत, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको और नार्वे की जगह लेंगे.

अस्थाई सदस्यों का चुनाव: मुख्य बिंदु

  • 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दो साल के कार्यकाल 2023-24 के लिए पांच अस्थायी सदस्यों का चुनाव करने के लिए 9 जून को चुनाव कराया था.
  • अस्थाई सदस्यों के चुनाव में भौगोलिक प्रतिनिधित्व को भी ध्यान में रखा जाता है. इस वर्ष, तीन क्षेत्रीय समूहों से पांच सीटों के लिए चुनाव हुआ. अफ़्रीकी और एशिया-प्रशांत देशों के लिए दो, लैटिन अमेरिका व कैरीबियाई के लिए एक और पश्चिमी यूरोप व अन्य देशों के लिए दो सीटें.
  • पश्चिमी यूरोप और अन्य देशों की श्रेणी में दो सीटों के लिए स्विट्जरलैंड (187 वोट) और माल्टा (185 वोट) चुने गए.
  • अफ्रीकी और एशिया-प्रशांत के देशों में दो सीटों के लिए मोजाम्बिक (192 वोट) और जापान (184 वोट) चुने गए. मोजाम्बीक पहली बार सुरक्षा परिषद का सदस्य बनेगा.
  • लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों की श्रेणी में एक सीट के लिए इक्वाडोर (190 वोट) निर्वाचित हुआ.

मतदान प्रक्रिया

संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्य देश हैं, जो कि हर साल, दो वर्षीय कार्यकाल के लिए 10 अस्थाई सदस्यों का चुनाव करते हैं. परिषद का सदस्य बनने के लिए  हर देश को दो-तिहाई बहुमत, यानी 128 मतों, की आवश्यकता होती है.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने का संकल्प लिया

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के स्थाई देश (अमरीका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन) ने परमाणु हथियारों की रेस को कम करने की रणनीति बनाई है. इन नेताओं ने पहली बार 3 जनवरी को परमाणु युद्ध छिड़ने से रोकने और हथियारों की दौड़ से बचने पर एक संयुक्त बयान जारी किया और साथ ही एक-दूसरे पर परमाणु हथियारों का उपयोग न करने का संकल्प जताया.

मुख्य बिंदु

  • पांचों देशों के साझा बयान में कहा गया है कि हम इस बात की दावा करते हैं कि परमाणु युद्ध नहीं जीता जा सकता है और इसे कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए.
  • पांच परमाणु शक्तियों के साझा बयान के अनुसार, चीन, रूस, ब्रिटेन, संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस ने सहमति व्यक्त की है कि परमाणु हथियारों के और प्रसार और परमाणु युद्ध से बचा जाना चाहिए. परमाणु हथियारों के उपयोग के दूरगामी परिणाम होंगे.
  • फ्रांस ने भी बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि पांचों शक्तियों ने परमाणु हथियार नियंत्रण और निरस्त्रीकरण के लिए अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया है. परमाणु हथियार नियंत्रण के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दृष्टिकोण जारी रखेंगे.
  • पड़ोसी देश यूक्रेन के पास रूस के सैन्य निर्माण को लेकर चिंताओं को लेकर मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच यह बयान आया है. हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर बातचीत हुई थी. इस बातचीत में अमेरिका ने रूस को यूक्रेन के पास सैन्य निर्माण को लेकर चेतावनी भी दी थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र UNSC में समुद्री सुरक्षा पर खुली चर्चा की अध्यक्षता की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 अगस्त को डिजिटल माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में समुद्री सुरक्षा पर खुली चर्चा की अध्यक्षता की. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खुली चर्चा की अध्यक्षता करने वाले वह पहला भारतीय प्रधानमंत्री हैं.

भारत एक जनवरी 2021 से दो साल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)  का अस्थायी सदस्य चुना गया है. सुरक्षा परिषद में अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का यह सातवां कार्यकाल है. गैर-स्थायी सदस्य के रूप में भारत के लिए यह पहला अध्यक्षपद है.

भारत, अगस्त 2021 महीने के लिए UNSC का अध्यक्ष बना है. अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत तीन प्रमुख क्षेत्रों – समुद्री सुरक्षा, शांति स्थापना और आतंकवाद विरोधी में उच्च स्तरीय हस्ताक्षर कार्यक्रम आयोजित करेगा.

प्रधानमंत्री ने इस खुली चर्चा के दौरान पांच सिद्धांतों को रेखांकित किया, जिनका समुद्री व्यापार और सुरक्षा के संदर्भ में पालन करने की आवश्यकता है, जिसमें शामिल हैं: मुक्त समुद्री व्यापार बाधाओं के बिना, समुद्री विवादों का शांतिपूर्ण समाधान, समुद्री खतरों का मुकाबला करना, जिम्मेदार समुद्री संपर्क को प्रोत्साहित करना और समुद्री पर्यावरण और संसाधनों का संरक्षण.

अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना, यूएई UNSC का अस्थायी सदस्य चुना गया

संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद (UNSC) में गैर स्थायी सदस्यों के तौर पर 2022-23 के कार्यकाल के लिए अल्बानिया, ब्राजील, गैबॉन, घाना और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को निर्विरोध चुना गया है.

UNSC के पांच गैर-स्थायी सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव हुआ था. अस्थायी सदस्य के तौर पर इन देशों का कार्यकाल एक जनवरी 2022 से शुरू होगा. सभी पांचों देश निर्वरोध चुनाव जीत गए क्योंकि परिषद में आवंटित सीट के लिए अपने संबंधित क्षेत्र समूहों में वे इकलौते उम्मीदवार थे.

अफ्रीका और एशियाई देशों के लिए तीन सीटें उपलब्ध थी और इन सीटें पर गैबॉन, घाना और UAE ने जीत हासिल की. लातिन अमेरिका और कैरेबियाई समूह की सीट पर ब्राजील और पूर्वी यूरोप समूह की सीट पर अल्बानिया ने जीत हासिल की.

UNSC में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में एस्टोनिया, नाइजर, सेंट विंसेंट एंड ग्रेनेडाइंस, ट्यूनीशिया और वियतनाम का दो साल का कार्यकाल 2021 में पूरा हो रहा हैं. इन सीटों को के लिए ये चुनाव कराये गये थे.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद का अस्‍थायी सदस्‍य बना

भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) का अस्‍थायी सदस्‍य बन गया. संयुक्‍त राष्‍ट्र के इतिहास में भारत 8वीं बार प्रतिष्ठित सुरक्षा परिषद के का अस्‍थायी सदस्‍य बना है. भारत का दो साल का कार्यकाल से 31 दिसम्बर 2022 तक होगा.

जून 2020 में हुए चुनाव में भारत के साथ-साथ आयरलैंड, मैक्सिको, नॉर्वे और केन्या को इसका का अस्‍थायी सदस्‍य चुना गया था. 193 सदस्‍यों वाली संयुक्‍त राष्ट्र महासभा में भारत को 184 मत मिले थे. भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र से 2021-22 के लिए अस्‍थायी सदस्‍यता का एकमात्र उम्‍मीदवार था.

भारत अगस्त, 2021 में UNSC का अध्यक्ष पद संभालेगा. नियमों के अनुसार, हर सदस्य देश अंग्रेजी वर्णानुक्रम के अनुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए अध्यक्षता करता है.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

भारत सहित 5 देश संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के अस्‍थायी सदस्‍य चुने गये

भारत दो साल के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) का अस्‍थायी सदस्‍य चुन लिया गया है. 193 सदस्‍यों वाली संयुक्‍त राष्ट्र महासभा में भारत को 184 मत मिले हैं. भारत का दो साल का कार्यकाल 1 जनवरी 2021 से 31 दिसम्बर 2022 तक होगा. भारत के साथ-साथ आयरलैंड, मैक्सिको, नॉर्वे और केन्या ने भी सुरक्षा परिषद के चुनाव जीते हैं.

भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र से 2021-22 के लिए अस्‍थायी सदस्‍यता का एकमात्र उम्‍मीदवार था. 55 सदस्‍यों वाले एशिया-प्रशांत समूह के सदस्‍यों ने जून 2019 में ही भारत की उम्‍मीदवारी को सर्वसम्‍मति से स्‍वीकृति प्रदान कर दी थी. संयुक्‍त राष्‍ट्र के इतिहास में भारत आठवीं बार प्रतिष्ठित सुरक्षा परिषद के लिए निर्वाचित हुआ है.

भारत अगस्त 2021 में UNSC का अध्यक्ष बनेगा

भारत अगस्त, 2021 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का अध्यक्ष पद संभालेगा. नियमों के अनुसार, हर सदस्य देश अंग्रेजी वर्णानुक्रम के अनुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए अध्यक्षता करता है. संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता कार्यालय के अनुसार, भारत अगस्त, 2021 और फिर 2022 में फिर एक महीने के लिए अध्यक्ष बनेगा.

संयुक्त राष्ट्र संघ: एक दृष्टि

  • संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 24 अक्तूबर 1945 को विश्व के 50 देशों ने संयुक्त राष्ट्र अधिकार-पत्र पर हस्ताक्षर कर किया था. भारत शुरुआती दिनों से ही इसका सदस्य है.
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के छह अंग हैं- 1. सुरक्षा परिषद्, 2. अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, 3. महासभा, 4. सचिवालय, 5. आर्थिक और सामाजिक परिषद् और 6. न्यायसिता परिषद्.
  • संयुक्त राष्ट्र की छह आधिकारिक भाषाएं हैं- अरबी, चाइनीज, अंग्रेजी, फ्रेंच, रसियन और स्पैनिश. आधिकारिक भाषाएं छह हैं, लेकिन यहां पर संचालन भाषा केवल अंग्रेजी और फ्रेंच हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छः प्रमुख अंगों में से एक अंग है. अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए इसका गठन किया गया है.
  • सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं- पांच स्थाई और दस अस्‍थायी (प्रत्येक 2 वर्ष के लिए). चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके स्थाई सदस्य हैं. दस अस्‍थायी सदस्य क्षेत्रीय आधार पर सामान्य सभा द्वारा चुने जाते है। सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष हर महीने वर्णमालानुसार बदलता है.
  • सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्यों को वीटो पॉवर मिली हुई है, जबकि अस्थायी सदस्य के पास वीटो का अधिकार नहीं होता.

वीटो क्या है?

वीटो (veto) का शाब्दिक अर्थ है- ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’. मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों चीन, फ्रांस, रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई भी सदस्य सहमत नहीं है तो वह वीटो पावर का इस्तेमाल करके उस फैसले को रोक सकता है.

कश्‍मीर मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक

कश्‍मीर मुद्दे पर संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की 16 अगस्त को बंद कमरे में (अनौपचारिक) बैठक हुई. यह बैठक पाकिस्‍तान और चीन के अनुरोध पर जम्‍मू-कश्‍मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने के मुद्दे पर विचार-विमर्श के लिए बुलाई गई थी. बैठक में सभी पांच स्‍थायी सदस्‍यों और दस अस्‍थायी सदस्‍यों ने हिस्‍सा लिया. चीन को छोड़कर सभी स्‍थायी सदस्‍यों ने अनौपचारिक बैठक में भारत का समर्थन किया.

कश्‍मीर मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की अनौपचारिक बैठक: एक दृष्टि

  • बैठक में चीन को छोड़कर सुरक्षा परिषद के अन्‍य स्‍थायी सदस्‍यों–ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमरीका का कहना था कि कश्‍मीर मुद्दे पर दोनों देशो को द्विपक्षीय वार्ता करनी चाहिए.
  • इस बैठक में जम्‍मू-कश्‍मीर में सुशासन और सामाजिक-आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को सही ठहराया गया और उनकी सराहना की गयी.
  • भारत ने अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय को साफ तौर पर बताया कि संविधान के अनुच्‍छेद 370 को निरस्‍त करने का भारत का कदम उसका आंतरिक मामला है.

संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने भारत का पक्ष रखा

  • बैठक के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के स्‍थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने मीडिया के समक्ष भारत का पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 370 से संबंधित तमाम मुद्दे भारत का आंतरिक मामला है और इस बारे में भारत की स्थिति पहले भी यही थी और आगे भी यही रहेगी.
  • अकबरूद्दीन ने कहा कि भारत सरकार और भारतीय संसद के हाल के फैसलों का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना था कि जम्‍मू-कश्‍मीर में सुशासन को बढ़ावा मिले और लद्दाख समेत समूचे जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों का तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास हो.